द सर्पेण्ट एंड द रोप

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द सर्पेण्ट एंड द रोप  
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द सर्पेण्ट एंड द रोप
लेखक राजा राव
देश भारत
भाषा अंग्रेज़ी भाषा
प्रकाशन तिथि 1960

द सर्पेण्ट एंड द रोप अंग्रेज़ी भाषा के विख्यात साहित्यकार राजा राव द्वारा रचित एक उपन्यास हैI [1] यह उनका दूसरा उपन्यास है I इसे पहली बार 1960 में प्रकाशित किया गया था I जिसके लिये उन्हें सन् 1964 में अंग्रेज़ी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[2]

कहानी[संपादित करें]

यह लेखक के स्वयं की जीवन घटनाओ पर आधारित है I इसका मुख्य पात्र है रामास्वामी I जो कि एक जवान और पढ़ा लिखा व्यक्ति है I वह शारीरिक रूप से कुछ कमज़ोर हैI उसे फेफड़ों में शिकायत रहती है I वह फ्रांस में पढाई कर रहा है I वह ईसाई धर्म से सम्बन्धित किसी विषय पर रिसर्च कर रहा है I वहीँ पर ही उसने मैडेलिन नाम की फ़्रांसीसी महिला से शादी कर ली है I लेखक के शुरुआती व्याख्यान से हमे पता चलता है कि उन दोनों का वैवाहिक जीवन सही तरह से नहीं चल रहा I दोनों एक दूसरे से पूरी तरह खुश नहीं हैं I इनका पहला बच्चा , जन्म के सात महीने बाद ही मर जाता है I और अब रामास्वामी को समाचार मिलता है कि उसके पिता भी मृत्यु के नजदीक है I अत: उसे अब भारत वापिस आना होगा I

वह वापिस आता है और अपने पिता की मृत्यु पर अपने कर्तव्यों और जिम्मेवारियों का पालन करता है I यहाँ पर उसकी एक सोतेली माँ है जिसे वो छोटी माँ कह कर बुलाता है I वह फ्रांस के चला जाता है और अपने वैवाहिक जीवन की अस्थिरता और कमियों के बारे में सोचता रहता है I वह जीवन में अध्यात्मिक सच, ज्ञान और पूर्णता प्राप्त करना चाहता है I उसकी मुलाक़ात एक सावित्री नाम की लड़की से होती है जो कि कैंब्रिज (लंदन) में पढ़ती है I उसकी एक ऐसे आदमी से शादी होने वाली है जिसे वो प्यार नहीं करती I शुरू में तो रामास्वामी को सावित्री ज्यादा अच्छी नहीं लगती लेकिन धीरे धीरे वह उसके ख्यालों पर हावी होने लगती है I रामास्वामी अपनी पत्नी से मिलता है और अब उसे ये एहसास होता है कि उन दोनों के बीच दूरियां बहुत बढ़ चुकी हैं I उसकी माँ ने उसे मैडेलिन के लिए पाँव कि अंगूठियाँ दी थी आशीर्वाद के रूप में I लेकिन रामास्वामी अब हिम्मत नहीं कर पाता उसे वो उपहार देने की I दूसरी ओर , उसके दिमाग में सावित्री का ख्याल ही हावी होने लगा है जिस से अब उसे अपने वैवाहिक जीवन में कोई उम्मीद दिखाई नहीं देती I

एक दिन सावित्री फ्रांस में रामास्वामी और मैडेलिन से मिलती है I दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताते हैं I रामास्वामी उसके लंदन जाता है जहाँ पर वह अपने रिसर्च का थीसिस का काम करता है I वह सावित्री को वो अंगूठियाँ उपहार में देता है I दोनों एक दूसरे की वर्तमान स्थिति को जानते हुए भी मेल जोल जारी रखते हैं I रामास्वामी , मैडेलिनके पास वापिस आता है , जो कि अब उसके दूसरे बच्चे से गर्भवती है I लेकिन रामास्वामी को अपनी बहन की शादी के लिए भारत वापिस जाना पड़ता है I उसकी स्वयं की भी शारीरिक हालत ठीक नहीं है I उसे इलाज के लिए बैंगलोर जाना पड़ता है जहाँ पर उसे समाचार मिलता है कि मैडेलिन ने एक लड़के को जन्म दिया लेकिन वो भी जन्म के तुरंत बाद मर गया I उसे यह भी पता चलता है कि सावित्री की शादी हो गयी है I वह मैडेलिन के पास वापिस जाता है लेकिन मैडेलिन ने बौद्ध धर्म को अपना लिया है और अपने पति से स्वयं को दूर कर लिया है I

रामास्वामी अपने इलाज के लिए लंदन जाता है और वहां पर सावित्री उस से आकर मिलती है I दोनों अपनी वर्तमान स्थिति को स्वीकार करने को मजबूर है और अपने रास्ते अलग अलग कर लेते हैं I रामास्वामी , मैडेलिन को तलाक दे देता है I वह सारा जीवन सत्य और जीवन की पूर्णता की तलाश में रहता है I

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "The Serpent and the Rope | novel by Rao". Encyclopedia Britannica (अंग्रेज़ी में). मूल से 24 दिसंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-05-17.
  2. "List of Sahitya Akademi Award winners for English", Wikipedia (अंग्रेज़ी में), 2020-03-05, अभिगमन तिथि 2020-05-17