उत्तर आधुनिकतावाद

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उत्तर आधुनिकतावाद (Postmodernism) २०वीं शताब्दी के दूसरे भाग में दर्शनशास्त्र, कला, वास्तुशास्त्र और आलोचना के क्षेत्रों में फैला एक सांस्कृतिक आंदोलन था जिसने अपने से पहले प्रचलित आधुनिकतावाद को चुनौती दी और सांस्कृतिक वातावरण बदल डाला। उत्तर आधुनिकता के जनक ज्या फ्रांकोइस ल्योतार हैं। सर्वप्रथम उत्तर आधुनिकता वास्तुकला के क्षेत्र में प्रकट हुई, लेकिन इसका विकास दर्शन, साहित्य व समीक्षा के क्षेत्र में भी हो चुका है। उत्तर आधुनिकता व्यक्ति केंद्रित समीक्षा दृष्टि है जो मानती है कि कुछ भी संपूर्ण नहीं है । यह संपूर्णता का खंडन करती है।[1][2][3] इस नई विचारशैली में विचारधाराओं, एक निर्धारित दिशा वाले सामाजिक विकास और वस्तुनिष्ठावाद के विरुद्ध, और संशयवाद, व्यक्तिपरकता (subjectivity) और व्यंगोक्ति की ओर रुझान प्रचलित हो गया।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "postmodernism: definition of postmodernism in Oxford dictionary (American English) (US)". oxforddictionaries.com. मूल से 4 मई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मई 2016.
  2. Ruth Reichl, Cook's November 1989; American Heritage Dictionary's definition of "postmodern" Archived 2009-02-25 at the वेबैक मशीन
  3. Mura, Andrea (2012). "The Symbolic Function of Transmodernity" (PDF). Language and Psychoanalysis. 1 (1): 68–87. मूल (PDF) से 8 अक्तूबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मई 2016.