1968 ओलम्पिक अश्वेत शक्ति सलामी

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स्वर्ण पदक विजेता टोमी स्मिथ (बीच में) और कांस्य पदक विजेता जॉन कार्लोस (दाएं) 1968 के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में अपने पदक समारोह के अपनी मुट्ठी उठाए हुए; दोनों ने मानव अधिकार बैज पहने हैं। रजत पदक विजेता ऑस्ट्रेलिया के पीटर (बाएं) नॉर्मन ने भी मानव अधिकार बैज पहना है।

1968 ओलम्पिक अश्वेत शक्ति सलामी अफ़्रीकी अमेरिकी एथलीट टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस द्वारा 1968 के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में अपने पदक समारोह के दौरान किया गया एक विरोध प्रदर्शन है। जैसे ही वे अपने झंडे की तरफ मुड़े और अमेरिकी राष्ट्र गान (द स्टार-स्पैंग्ल्ड बैनर) शुरू हुआ, दोनों ने काला दस्ताना पहनी हुई मुट्ठी उठाई, और उसे अमेरिकी राष्ट्रीय गान समाप्त होने तक उड़ाए रखा। इसके अतिरिक्त स्मिथ, कार्लोस और ऑस्ट्रेलियाई रजत पदक विजेता पीटर नॉर्मन ने अपनी जैकेटों पर मानव अधिकार बैज पहना था। अपनी आत्मकथा, साइलेंट जेस्चर (अंग्रेज़ी: Silent Gesture) में स्मिथ ने लिखा है कि ये "अश्वेत शक्ति सलामी" नहीं, "मानव अधिकार सलामी" थी। मेक्सिको के ओलंपिक समारोह में विरोध का रूप नस्ल पर आधारित था। बेल्जियम में देश के 59 फसीद हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता है और डच बोलता है। सिर्फ 40% लोग बेलोनिया क्षेत्र में हैं और फ्रेंच बोलते हैं। जबकि वहीं राजधानी ब्रुसेल्स में 80% लोग फ्रेंच बोलते हैं और 20% लोग डच। फ्रेंच भाषी लोग जहां ज्यादा समृद्ध हैं वही डच भाषी लोगों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। स्वाभाविक है दोनों समूहों में तनाव बढ़ना ही था इसका तीखा अनुभव ब्रुसेल्स में दिखाई पड़ा जब 1968 में ओलंपिक हो रहे थे। इसके बावजूद भी कई बुद्धिजीवियों का यह मानना है कि मेक्सिको ओलंपिक 1968 में टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस द्वारा उठाया गया रंगभेद विरोधी कदम उचित नहीं था।इसके पीछे उनका तर्क यह होता है कि खेल को दो समुदायों में आपसी मतभेद से दूर रखना चाहिए।