अबू हनीफ़ा

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अबू हनीफ़ा

नौमान इब्न साबित इब्न ज़ूता इब्न मर्ज़ुबान (इसलामी अक्षरांकन)
जन्म सितम्बर 5, 702 (80 हिजरी)
पर्वान, उमय्यद ख़िलाफ़त
मौत जून 14, 772(772-06-14) (उम्र 69) (150 हिजरी)
बग़दाद, अब्बासी ख़िलाफ़त
जाति पर्शियन[1][2][3]
पदवी इमाम ए आज़म
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

नोमान इब्न साइत इब्न ज़ौता इब्न मरज़ुबान (फारसी : ابوحنیفه, अरबी : نعمان بن ثابت بن زوطا بن مرزبان), जो अबू हनीफ़ा (हनीफ़ा के पिता) के नाम से मशहूर हैं और इन्हें इसी नाम से भी जाना जाता है (जन्म : 699 ई. मृत्यु 767 ई / 80-150 हिजरी साल),[4] अबू हनीफ़ा सुन्नी "हनफ़ी मसलक" (हनफ़ी स्कूल) इसलामी न्यायशास्त्र के संस्थापक थे। यह एक प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान थे। ज़ैदी शिया मुसलमानों में इन्हें प्रसिद्ध विद्वान के रूप में माना जाता है। [5] '''  उन्हें अक्सर "महान इमाम" (ألإمام الأعظم, अल इमाम अल आज़म) कहा और माना जाता है। [2]

जीवनी[संपादित करें]

बचपन[संपादित करें]

अबू हनीफा इराक के शहर कूफ़ा में पैदा हुए थे। वे खलीफ़ा उमय्यद खलीफा अब्द अल मलिक इब्न मरवान के समकालीन थे। [6][7] उनके पिता, थबित बिन ज़ूता एक व्यापारी थे, जो मूल रूप से काबुल, अफगानिस्तान से थे।

यौवन और मृत्यु[संपादित करें]

अबू हनीफ़ा मस्जिद, बग़दाद, इराक़

खलीफ़ा अल-मनसूर 763 ई. में मुस्लिम दुनिया के खलीफ़ा थे। इन की राजधानी इराक़ का शहर बागदाद था। मुख्य न्यायाधीश स्वर्गवासी होने के कारण वह पद खाली हुआ, उसे भरती करने के लिये, खलीफ़ा ने अबू हनीफ़ा को इस पद के लिये पेशकश की, लैकिन अबू हनीफ़ा स्वतंत्र रहना पसंद करते थे, इस लिये इस प्रस्ताव और पेशकश को ठुकरा दिया। इस पद को अरबी भाशा में "क़ादि-उल-क़ुज़्ज़ात" कहते हैं। इस पद पर उनके छात्र अबू यूसुफ नियुक्त किया गया।

खलीफ़ा अल-मनसूर और दीगर लोगों को यह बात अच्छी नहीं लगी कि, अबू हनीफ़ा इस पद को इनकार किया। चूं कि, अबू हनीफा इस क़ाबिल थे, और उनहें क़ाबिल समझा गया, इसी लिये उन्हें पेशकश की गयी, जिस को अबू हनीफ़ा ने खुद को क़ाबिल न बताते हुवे ठुकरा दिया। इस बात पर खलीफ़ा ने कहा कि तुम झूठ बोल रहे हो। तब अबू हनीफ़ा ने कहा कि अगर वह झूठ बोल रहे हैं तो ऐसे झूठे को ऐसे ऊंचे पद की पेश कश नहीं करना चाहिये। इस बात पर नाराज़ खलीफ़ा ने अबू हनीफ़ा को गिरफ़्तार कर जैल में बंद करवा दिया। कुछ महीनों बाद अबू हनीफ़ा जेल ही में मर गये।

शाह इस्माइल की सफ़वी साम्राज्य 1508 ई. में अबू हनीफा और अब्दुल कादिर गिलानी की क़बरों को सरकार द्वारा नष्ट कर दिया गया। [8] 1533 में, तुर्क साम्राज्य ने इराक और अबू हनीफा और अन्य सुन्नी स्थलों के मक़बरों का पुनर्निर्माण किया।[9]

पीढ़ियों की स्तिथि[संपादित करें]

यह भी माना जाता है कि अबू हनीफ़ा ताबईन जो सहाबा के बाद के दौर के थे, में से थे। सहाबा, मुहम्मद साहब के अनुयाईयों को कहा जाता है।.[10][11] कुछ और का कहना है कि अबू हनीफ़ा ने करीब छः सहाबियों को देखा है। कम [10]

अल्लाह का डर और नमाज़[संपादित करें]

अबू हनीफ़ा ने चालीस साल तक इशा के वुज़ू से फज़र की नमाज़ पढ़ी ओर वह रात भर क़ुरआन पढ़ा करते थे।[12]

सहिष्णुता का प्रचार[संपादित करें]

अबू हनीफ़ा के विचारों के अनुसार मुस्लिम शासकों गैर-मुस्लिम प्रजा के साथ भी बराबरी का व्यव्हार करना चाहिए। किसी भी निर्दोष मुसलमान की हत्या की तरह निर्दोष गैर-मुस्लिम के हत्यारे को भी उतनी ही सज़ा मिलनी चाहिए। वे ईश-निन्दा (blasphemy) के आरोपियों को, विशेष रूप से गैर-मुस्लिम व्यक्तियों के मृत्यु के विरुद्ध थे तथा अन्य अन्य इमामों की तुलना में धर्मत्याग करने वाले मुसलमानों को मृत्यु दंड देने के पक्ष में नहीं थे, हालांकि इतिहास में ऐसी कई घटनाएँ हो चुकी हैं। सामान्य रूप से अन्य धर्म पंथ की तुलना में हनफ़ी अनुयायी अति शांति प्रिय स्वभाव के होते हैं जिसके लिए अबू हनीफ़ा की शिक्षाओं का बड़ा दख़ल है।

स्वागत[संपादित करें]

दुनिया का मेप। हनफ़ी (हरा रंग) सुन्नी पंथ को दर्शाया गया। मुख्य रूप से तुर्की, उत्तर मध्यप्राच्य, ईजिप्ट, भारत उपखंड।

रचनायें और संकलन[संपादित करें]

  • किताब उल-आसार - उल्लेखन इमाम मुहम्मद अल-शैबानिएए - संकलन जुम्ला 70,000 हदीस
  • किताबुल आसार - उल्लेखन इमाम अबू यूसुफ़
  • आलिम व मुताल्लिम - (गुरू और शिष्य) या (विद्वान और विद्यार्थी)
  • मुसनद इमाम उल आज़म (हदीसों का संकलन)
  • किताबुल राद अलल क़ादिरिय्या

उद्धरण[संपादित करें]

  1. Mohsen Zakeri (1995), Sasanid soldiers in early Muslim society: the origins of 'Ayyārān and Futuwwa, p.293 [1] Archived 2018-03-19 at the वेबैक मशीन
  2. S. H. Nasr (1975), "The religious sciences", in R.N. Frye, The Cambridge History of Iran, Volume 4, Cambridge University Press. pg 474: "Abū Ḥanīfah, who is often called the "grand imam"(al-Imam al-'Azam) was Persian
  3. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Cyril नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  4. "ABŪ ḤANĪFA, Encyclopædia Iranica". मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 फ़रवरी 2016.
  5. Abu Bakr al-Jassas al-Razi.
  6. Josef W. Meri, Medieval Islamic Civilization: An Encyclopedia, 1 edition, (Routledge: 2005), p.5
  7. Hisham M. Ramadan, Understanding Islamic Law: From Classical to Contemporary, (AltaMira Press: 2006), p.26
  8. "Encyclopedia of the Ottoman Empire". मूल से 19 जनवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 फ़रवरी 2016.
  9. History of the Ottoman Empire and modern Turkey
  10. "Imām-ul-A'zam Abū Ḥanīfah, The Theologian". मूल से 4 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 फ़रवरी 2016.
  11. http://www.islamicinformationcentre.co.uk/alsunna7.htm Archived 2016-03-04 at the वेबैक मशीन last accessed 8 June 2011
  12. http://islamicworld.in/abu-nahifa-rehmatullah-aleh-13452/[मृत कड़ियाँ]

बाहरी कड़ियां[संपादित करें]