मडिकेरी

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मडिकेरी
Madikeri
ಮಡಿಕೇರಿ
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अब्बे जल प्रपात, मडिकेरी का प्रमुख आकर्षण
अब्बे जल प्रपात, मडिकेरी का प्रमुख आकर्षण
मडिकेरी is located in कर्नाटक
मडिकेरी
मडिकेरी
कर्नाटक में स्थिति
निर्देशांक: 12°25′15″N 75°44′23″E / 12.4209°N 75.7397°E / 12.4209; 75.7397निर्देशांक: 12°25′15″N 75°44′23″E / 12.4209°N 75.7397°E / 12.4209; 75.7397
देश भारत
प्रान्तकर्नाटक
ज़िलाकोडगु ज़िला
ऊँचाई1150 मी (3,770 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल33,381
भाषा
 • प्रचलितकन्नड़, कोडावा
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड571 201
दूरभाष कोड08272
वाहन पंजीकरणKA-12
वेबसाइटwww.madikericity.gov.in

मडिकेरी (Madikeri) भारत के कर्नाटक राज्य के कोडगु ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]

विवरण[संपादित करें]

मडिकेरी को दक्षिण का स्कॉटलैंड कहा जाता है। यहां की धुंधली पहाड़ियां, हरे वन, कॉफी के बगान और प्रकृति के खूबसूरत दृश्य मडिकेरी को अविस्मरणीय पर्यटन स्थल बनाते हैं। मडिकेरी और उसके आसपास बहुत से ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं। यह मैसूर से 125 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है और कॉफी के उद्यानों के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है।

1600 ईसवी के बाद लिंगायत राजाओं ने कोडगु में राज किया और मडिकेरी को राजधानी बनाया। मडिकेरी में उन्होंने मिट्टी का किला भी बनवाया। 1785 में टीपू सुल्तान की सेना ने इस साम्राज्य पर कब्‍जा करके यहां अपना अधिकार जमा लिया। चार वर्ष बाद कोडगु ने अंग्रेजों की मदद से आजादी हासिल की और राजा वीर राजेन्द्र ने पुनर्निमाण कार्य किया। 1834 ई. में अंग्रेजों ने इस स्थान पर अपना अधिकार कर लिया और यहां के अंतिम शासक पर मुकदमा चलाकर उसे जेल में डाल दिया।

दर्शनीय स्थल[संपादित करें]

अब्बे झरना[संपादित करें]

यह खूबसूरत जलप्रपात मडिकेरी से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। एक निजी कॉफी बागान के भीतर यह झरना स्थित है। पर्यटक बड़ी संख्या में इस स्थान पर आते हैं। मॉनसून के दिनों में यहां की सुंदरता देखते ही बनती है।

मडिकेरी किला[संपादित करें]

प्रारंभ में यह किला मिट्टी का बना था। टीपू सुल्तान के इसका पुर्ननिर्माण करके इसमें पत्थरों का इस्तेमाल किया। टीपू सुल्तान के 18वीं शताब्दी में यहां कुछ समय के लिए शासन किया था। किले के अंदर लिंगायत शासकों का महल है।

राजा की सीट[संपादित करें]

यह वह स्थान है जहां से कोडागू के राजा ढलते सूर्य को देखते थे। यहां से दूर-दूर फैले हर धान के खेतों, घाटियों, भूरे-नीले घाटों के दृश्य देखे जा सकते हैं। राजा की सीट के साथ ही चोटी मारियम्मा नामक एक प्राचीन मंदिर है।

भागमंडल[संपादित करें]

धुंध भरी सुबह में मदिकेरी

मडिकेरी से 40 किलोमीटर दूर भागमंडल को दक्षिण काशी भी कहा जाता है। जब से भगन्द महर्षि ने यहां शिवलिंग स्थापित करवाया इसे भागमंडल के नाम से जाना जाता है। तलकावेरी यहां से 8 किलोमीटर दूर है। भागमंडल के समीप ही महाविष्णु, सुब्रमन्यम और गणपति मंदिर भी हैं।

नागरहोले राष्ट्रीय पार्क[संपादित करें]

नागरहोले अभयारण्य में हाथी वृन्द

अगर आप वन्य जीवों से रूबरु होना चाहते है तो मडिकेरी से 93 किलोमीटर दूर नागरहोळे राष्ट्रीय पार्क जरुर जाएं। यहां हिरन, बिशन, हाथी, जंगली भालू, भेडिये के अलावा बंदर की विभिन्न प्रजातियों और विशाल टाईगरों को देखा जा सकता है। 284 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह पार्क उष्णकटिबंधीय पतझड़ वनों से घिरा हुआ है।

ओंकारेश्वर मंदिर[संपादित करें]

कांची कामाक्षी मंदिर के मंडप के निकट दशहरा का जलूस

भगवान शिव और विष्णु को समर्पित यह मंदिर कोडागू राजा लिंगराज ने 1820 में बनवाया था। यह मंदिर मस्जिदाकार शैली में बनवाया गया है। मंदिर में एक केंद्रीय गुम्बद और चार मीनारें हैं जो बासव अर्थात पवित्र बैलों से घिरी हरुइ हैं। मंदिर के सामने एक टैंक बना है जो मंदिर को और आकर्षक बनाता है।

इरप्पु झरना[संपादित करें]

मडिकेरी से 91 किलोमीटर दूर इरप्पु तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है जिसका संबंध रामायण के नायक राम से है। रामतीर्थ नदी के किनारे पर ही भगवान शिव का मंदिर है। शिवरात्रि के मौके पर हजारों तीर्थ यात्री इस नदी में डुबकी लगाते हैं।

तलकावेरी[संपादित करें]

मडिकेरी से 48 किलोमीटर दूर तलकावेरी कावेरी नदी की उद्गम स्थली है इसलिए धार्मिक दृष्टि से इसका बहुत महत्व है। यह ब्रह्मगिरी पहाड़ के ढलान पर स्थित है। समुद्र तल से इस स्थान की ऊंचाई 4500 फीट है।

हारंगी बांध[संपादित करें]

मडिकेरी से लगभग 36 किलोमीटर दूर हारंगी अपने ट्री हाउसों के लिए लोकप्रिय है। उत्तरी कोडगु के कुशलनगर के समीप स्थित हारंगी बांध एक दर्शनीय पिकनिक स्थल है। कावेरी नदी पर बना यह बांध 2775 फीट लंबा और 174 फीट ऊंचा है।

नाल्कनाड् महल[संपादित करें]

मडिकेरी का राजमहल, जिसमें अब जिलाधिकारी कार्यालय स्थित है।
मडिकेरी की सड़कें

कोडागू की सबसे ऊंची पहाड़ी के तल पर बना नाल्कनाड् महल अतीत की याद दिलाता एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। मडिकेरी से 45 किलोमीटर दूर यह महल 1792 में दोड्डा वीरराज द्वारा बनवाया गया था। दो खंड का यह महल आकर्षक चित्रकारी और वास्तुकारी से सबको मोहित कर देता है।

आवागमन[संपादित करें]

वायु मार्ग

मंगलौर विमानक्षेत्र मडिकेरी का नजदीकी घरेलू एयरपोर्ट है जो 135 किलोमीटर दूर है। यहां से बैंगलोर के लिए सीधी फ्लाइट है।

रेल मार्ग

मडिकेरी का नजदीकी रेल मुख्यालय मैसूर है। मैसूर भारत के प्रमुख शहरों से ट्रेन के माध्यम से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

मडिकेरी बेहतर सड़क नेटवर्क से कर्नाटक के प्रमुख शहरों से जुड़ा है। राज्य परिवहन निगम की बसों से मडिकेरी पहुंचा जा सकता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Lonely Planet South India & Kerala," Isabella Noble et al, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012394
  2. "The Rough Guide to South India and Kerala," Rough Guides UK, 2017, ISBN 9780241332894