निर्धारणवाद

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निर्धारणवाद या नियतत्ववाद ( Determinism) वह दार्शनिक विचार है जिसका मानना है कि मानव द्वारा किये जाने वाले कारों सहित, प्रत्येक घटना के लिये ऐसी स्थितियाँ मौजूद होतीं हैं, जो उस घटना के के अतिरिक्त कोई दूसरी घटना उत्पन्न ही नहीं कर सकतीं थीं। अर्थात मानव कोई भी कार्य अपने स्वतंत्र इच्छा से नहीं करता है। वह जो भी कार्य करता है परिस्थितियां उससे करवाती है।महान दार्शनिक स्पिनोजा इसके समर्थक है। उन्होंने इतिहास का उदाहरण लेकर इसे समझाया की आज के पहले आदिमानव जो कच्चा मांस खाता था ,क्योंकि उस समय परिस्थिति ऐसी थी लेकिन आज का मानव स्वादिष्ट पकाकर मांस खाता है क्योंकि परिस्थिति ऐसी इसका ये मतलब हुआ की कोई भी जीव परिस्थितियों से स्वतंत्र होकर कुछ नहीं कर सकता है।