काशीबाई

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काशीबाई
जीवनसाथी बाजीराव प्रथम
बच्चे
माता-पिता महादजी कृष्ण जोशी
शिऊबाई [1]
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काशीबाई १८वीं सदी के मराठा साम्राज्य के प्रधानमंत्री (पेशवा) बाजीराव प्रथम की पहली पत्नी थी। उनके चार पुत्र थे जिनमें से बालाजी बाजीराव और रघुनाथराव आगे चल कर पेशवा बने।[2] बाजीराव की दुसरी शादी के बाद बुंदेलखंड राज्य की मस्तानी काशीबाई की सौतन थी। बाजीराव की मौत के बाद काशीबाई ने विभिन्न तीर्थयात्राएं की। कुछ इतिहासकारों के अनुसार वे एक प्रकार के संधि शोथ से पीड़ित रही।

जीवन[संपादित करें]

काशीबाई छास के महादाजी कृष्ण जोशी और शिऊबाई की बेटी थी, जो एक धनी परिवार था।[3] उन्हें कृष्णराव छासकर नाम का एक भाई भी था।[4] ११ मार्च १७२० को सासवड में एक घरेलू समारोह में उन्होंने बाजीराव से विवाह किया था।[5]

काशीबाई और बाजीराव के चार बेटे थे। बालाजी बाजीराव उर्फ नानासाहेब का जन्म १७२१ में हुआ था और बाद में बाजीराव की मौत के बाद १७४० में शाहु ने उन्हें पेशवा नियुक्त किया। दूसरे बेटे रामचंद्र की मृत्यु हो गई और तीसरा बेटा रघुनाथराव १७७३-७४ के दौरान पेशवा के रूप में कार्यरत थे। चौथे पुत्र जनार्दन कि भी रामचंद्र जैसे जवानी में मृत्यु हो गई।[4]

बाजीराव ने मस्तानी से दुसरी शादी की; जो कि बुंदेलखंड के हिंदू राजा छत्रसाल और उनकी एक फारसी मुस्लिम पत्नी रुहानी बाई की बेटी थी। पेशवा परिवार ने इस शादी को स्वीकार नहीं किया। परंतु यह ध्यान योग्य है कि मस्तानी के खिलाफ पेशवा परिवार द्वारा जो घरेलू युद्ध छिड़ा था, उसमें काशीबाई ने कोई भूमिका नहीं निभाई।[6] इतिहासकार पांडुरंग बालकावडे कहते हैं कि विभिन्न ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि काशीबाई मस्तानी को बाजीराव की दूसरी पत्नी के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार थीं, लेकिन उनकी सास राधाबाई और देवर चिमाजी अप्पा के विरोध के कारण ऐसा नहीं हो सका। १८वीं सदी के रूढ़िवादी भारत की कई महिलाओं की तरह उन्हें महत्वपूर्ण मामलों में कोई भी दखल देने कि अनुमति नहीं थी।[7]

पुणे के ब्राह्मणों ने बाजीराव के मस्तानी के साथ संबंधों के कारण पेशवा परिवार का बहिष्कार किया। चिमाजी अप्पा और बालाजी बाजीराव उर्फ नानासाहेब ने १७४० में बाजीराव और मस्तानी के पृथक्करण हेतु बलप्रयोग की शुरुआत की। जब बाजीराव अभियान पर पुणे से बाहर थे, तब मस्तानी को घर में नजरबंद किया गया। अभियान पर बाजीराव कि बिगड़ती स्वास्थ्य को देखकर चिमाजी ने नानासाहेब को मस्तानी को छोड़ने और बाजीराव से मिलने के लिए भेज देने का आदेश दिया। पर नानासाहेब ने इसके बजाय अपनी मां काशीबाई को भेजा।[8] कहा जाता है कि काशीबाई ने बाजीराव की मृत्युशय्या पर एक वफ़ादार और कर्तव्य परायण पत्नी बनकर उनकी सेवा की है और उनका विवरण पति को अत्यधिक समर्पित बताया गया है।[2] उन्होंने और उनके बेटे जनार्दन ने बाजीराव का अंतिम संस्कार किया।[9]

बाजीराव की मौत के बाद १७४० में मस्तानी का भी निधन हो गया और काशीबाई ने उनके पुत्र शमशेर बहादुर प्रथम का ख्याल रखा और उन्हें हथियारों में प्रशिक्षण देने की सुविधा दी।[7] वह अपने पति की मृत्यु के बाद और अधिक धार्मिक हो गई। उन्होंने विभिन्न तीर्थयात्राएं की और बनारस में चार साल तक रही।[10] इस तरह के एक दौरे पर वह १०,००० से अधिक तीर्थयात्रियों के साथ थी और इस यात्रापर एक लाख रुपए खर्च किए थे।[11] जुलाई १७४७ में तीर्थयात्रा से लौटने पर, उसने अपने गाव छास में शिव भगवान को समर्पित सोमेश्वर मंदिर बनाने का कार्य शुरु किया। १७४९ में निर्मित मंदिर १.५ एकड़ भूमि पर खड़ा है और त्रिपुरारी पौर्णिमा उत्सव के लिए लोकप्रिय है। पुणे के पास एक पर्यटक स्थल के रूप में इस मंदिर को गिना जाता है।[7]

लोकप्रिय संस्कृति में छवि[संपादित करें]

निर्देशक संजय लीला भंसाली के फ़िल्म बाजीराव मस्तानी (२०१५) में काशीबाई का किरदार अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने निभाया।[12] फ़िल्म के गीत "पिंगा" में उनके नृत्य और पोशाक पर सामाजिक मीडिया में चिल्लाहट हुई और दोनों काशीबाई और मस्तानी के वंशजो ने इसका आलोचना की।[7][13][14] कुछ इतिहासकारों ने यह भी कहा कि इस तरह की प्रतिष्ठित महिला का जनता में नृत्य करना अनुपयुक्त होता था। इसके अलावा, काशीबाई एक प्रकार के संधि शोथ से पीड़ित थी और इस तरह का नृत्य शारीरिक रूप से संभव नहीं था।[15]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Balkrishna Govind Gokhale (१९८८). Poona in the eighteenth century: an urban history [अठारहवीं शताब्दी में पूना: शहरी इतिहास] (अंग्रेज़ी में). Oxford University Press. पृ॰ ५०, १३२. मूल से 5 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 मई 2017.
  2. Mehta, Jaswant Lal (२००५). Advanced Study in the History of Modern India 1707-1813 [आधुनिक भारत के इतिहास में एक उन्नत अध्ययन १७०७-१८१३] (अंग्रेज़ी में). Sterling Publishers Pvt. Ltd. पृ॰ १२४. मूल से 22 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जून 2015.
  3. Sandhya Gokhale (२००८). The Chitpavans: social ascendancy of a creative minority in Maharashtra, 1818–1918 [चित्तपावन: महाराष्ट्र में एक रचनात्मक अल्पसंख्यक की सामाजिक शक्ति, १८१८-१९१८] (अंग्रेज़ी में). Shubhi Publications. पृ॰ ८२. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788182901322. मूल से 18 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 मई 2017.
  4. R. D. Palsokar, T. Rabi Reddy (१९९५). Bajirao I: an outstanding cavalry general [बाजीराव I: एक उत्कृष्ट घुड़सवार सेनाके जनरल] (अंग्रेज़ी में). Reliance Pub. House. पृ॰ ५३. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788185972947. मूल से 18 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 मई 2017.
  5. Charles Augustus Kincaid, Dattātraya Baḷavanta Pārasanīsa (१९२२). A History of the Maratha People: From the death of Shivaji to the death of Shahu [मराठा लोगों का इतिहास: शिवाजी की मृत्यु से शाहू की मृत्यु तक] (अंग्रेज़ी में). S. Chand. पृ॰ १८०. मूल से 18 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 मई 2017.
  6. I. P. Glushkova, Rajendra Vora (१९९९). Home, Family and Kinship in Maharashtra [महाराष्ट्र के राजाओके परिवार] (अंग्रेज़ी में). Oxford University Press. पृ॰ १०७. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780195646351. मूल से 18 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 मई 2017.
  7. गरिमा मीश्रा (३ जनवरी २०१६). "Kashibai: The first lady" [काशीबाई: पहली महिला]. दी इंडियन एक्सप्रेस (अंग्रेज़ी में). मूल से 8 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ जनवरी २०१६.
  8. एच एस भाटिया (२००१). Mahrattas, Sikhs and Southern Sultans of India: Their Fight Against Foreign Power [मराठा, सिख और भारत के दक्षिणी सुल्तान: उनकी विदेशी शक्ति विरुद्ध लड़ाई] (अंग्रेज़ी में). Deep Publications. पृ॰ ६६. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788171003693. मूल से 18 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 मई 2017.
  9. Imprint, Volume 21 [इम्प्रिन्ट, खंड २१] (अंग्रेज़ी में). Business Press. १९८१. पपृ॰ १६९. मूल से 18 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 मई 2017.
  10. The Sikh Review, Volume 25, Issues 277–288 [सिख समीक्षा, खंड २५, अंक २७७-२८८] (अंग्रेज़ी में). Sikh Cultural Centre. १९७७. पृ॰ ४८. मूल से 19 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 मई 2017.
  11. B. R. Andhare (१९८४). Bundelkhand under the Marathas, 1720–1818 A.D.: a study of Maratha-Bundela relations, Volumes 1–2 [मराठों के तहत बुंदेलखंड, १७२०-१८१८ ए डी: मराठा-बुंदेला संबंधों का एक अध्ययन, खंड १-२] (अंग्रेज़ी में). Vishwa Bharati Prakashan. पपृ॰ ७७-७८. मूल से 19 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 मई 2017.
  12. "Priyanka Chopra to join Bajirao Mastani cast". इंडिया टुडे. मूल से 31 मार्च 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जून 2015.
  13. मृणामयी ऐनापुरे (१९ नवंबर २०१५). "Why the outrage around Bajirao Mastani's 'Pinga' is casteist and hypocritical" [क्यों बाजीराव मस्तानी की 'पिंगा' के आसपास आक्रोश जातिवादी और पाखंडी है]. Firstpost (अंग्रेज़ी में). मूल से 8 जनवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ जनवरी २०१६.
  14. सतीश नंदगांवकर (५ दिसंबर २०१५). "Bajirao and Mastani's descendants object to songs" [बाजीराव और मस्तानी के वंशज गीतों पर आक्षेप करते हैं]. द हिन्दू (अंग्रेज़ी में). मूल से 11 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ जनवरी २०१६.
  15. प्रशांत हामिने (१५ दिसंबर २०१५). "Rare manuscripts of Peshwa history lie wrapped in government apathy" [पेशवा इतिहास की दुर्लभ पांडुलिपियां सरकार की उदासीनता में लिपटे]. Afternoon DC (अंग्रेज़ी में). मूल से 14 जनवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ जनवरी २०१६.