भारत में सांस्कृतिक विविधता

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भारत की सांस्कृतिक सम्पन्नता

भारत की सांस्कृतिक विविधता[संपादित करें]

भारतीय संस्कृति विश्व भर में प्रसिद्ध है। हमारी समृध संस्कृति से पूरी दुनिया प्रभावित है। हमारी संस्कृति भौगोलिक विशेषताओं की तरह बहुत विविध है। भारत एक त्योहारों का देश है। यहाँ भिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते है। पंजाब में बैसाखी, हिमाचल में फुल्लैच, हरियाणा में सांझी, उत्तर प्रदेश में लठमार होली, केरला में ओनम, तमिल नाड में पोंगाल या असम में बिहू, काफ़ी उल्लास से मनाए जाते हैं। भारत में विभिन्न धर्मों का पालन करने वाले लोग जैस - मुख्यतः हिन्दू, मुसलमान, सिख और ईसाई धर्म के लोग एकता के साथ जीवन यापन करते हैं। भारत के विभिन्न भागों में खाना पकाने का ढंग उनकी संस्कृति के मुताबिक अलग-अलग है। दक्षिण में जहाँ इडली और डोसा प्रसिद्ध हेै, वहीं उत्तर के लोग मक्की की रोटी और सरसों का साग. खाते हैं । इस देश में हर पंद्रह कीलोमीटर की दूरी पर भाषा और बोलने का ढंग बदल जाता है। यदि आप लोगों के पोशाकों पर ध्यान दें तो उसमें भी विविधता दिखाई पड़ती है। उदाहरण - पंजाब की महिलाएँ अधिकतर समय सल्वार-कमीज़ पहनतीं हैं, जबकि महाराष्ट्र की महिलाएँ लावनि साड़ी पहनना पसंद करती हैं।

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भारतीय लोगों का पहनावा

भारत में सांस्कृतिक विवधता :

प्रस्तावना : भारत एक बहुरंगी देश है। भारत में विभिन्न प्रकार की भू-आकृतियाँ, भांति भांति की भाषा, कई प्रकार के खानपान, विभिन्न प्रकार की जातीय समुदाय और नाना प्रकार के रहनसहन हैं। इतनी विभिन्नताओं की वजह से भारत में सांस्कृतिक विभिन्नता भी सर चढ़कर बोलती है। 

यहाँ हर प्रदेश की अपनी सांस्कृतिक परंपरा और लोकाचार है। यह विभिन्नता और विविधता भारत को एक सुन्दर पारम्परिक और सांस्कृतिक देश बनती हैं। भारत देश में कोई भी किसी परंपरा का उल्लंघन नहीं करते है.यहाँ सभी अपनी जीवन शैली और सांस्कृतिक धरोहर की साथ मिलजुल कर रहते हैं। सांस्कृतिक विवधता : भारत एक वृहद देश है कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक अनगिनत लोकगीत संस्कार संस्कृति और लोकगाथाएं हैं। आइये इस बहुरूपी और विविध संस्कृति की झांकी देखें |

भारत के सर पर ताज की तरह सजे इस प्रदेश में बारह महीने बर्फ रहती है यहाँ अगर एक तरफ डल लेक पर शिकारे हैं,तो दूसरी तरफ बर्फ से ढके पहाड़ हैं.अगर यहाँ शिकारे पर कोई कश्मीरी गीत गाता हुआ है तो दूसरी तरफ मंदिरों की घंटियाँ भी हैं। यहाँ की गायन और नृत्य की मद्धम लय यहाँ की खूबसूरत सांस्कृतिक वातावरण को और भी मनमोहक बना देती है। यहाँ के लोग बहुत रंगीन वेश-भूषा पहनते हैं और खाने-पीने की शौकीन होते हैं। यहाँ की प्रमुख व्यंजन हैं-यखनी , रिस्ता ,दम आलू, आबगोश्त, गोश्त, रोगन जोश, राजमा गोआग्ज़ी , नद मान्य | परम्परा और संस्कृति और प्रकृति का अनूठा संगम है कश्मीर | यहाँ अमरनाथ यात्रा ,बाहु मेला, बैसाखी ईद और भी बहुत से उत्सव होते हैं।

पंजाब भारत की वीरों और किसानों का प्रदेश है यहाँ की सांस्कृतिक विरासत में वीरों और किसानों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यहाँ के लोग खूब मेहनती होते हैं और जमकर जीवन का आनंद उठाते हैं। यहाँ की संस्कृति में मस्ती सौह्राद्य और जोश दिखाई देता है। यहाँ का प्रमुख त्यौहार बैसाखी है जो फसल की बरकत की ख़ुशी में मनाया जाता है। लोग खूब नाचते हैं और रंग बिरंगे परिधान पहनते हैं। यहाँ का प्रमुख नृत्य भांगड़ा और गिद्दा है ,जो हर ख़ुशी की मौके पे पूरे जोश से किया जाता है। यहाँ का प्रमुख खानपान है- राजमा चावल, सरसों का साग, मक्के की रोटी,दूध से बने व्यंजन जैसे- लस्सी,छाछ, मक्खन आदि बड़े चाव से पसंद किया जाता है।

चित्र:Https://web.archive.org/web/20170208080535/https://commons.wikimedia.org/wiki/Category:Quality images of Punjab, India
पंजाब की विरासत

ये प्रदेश जनसँख्या बाहुल्य क्षेत्र है। यहाँ एक कहावत कही जाती है कि 'उत्तर प्रदेश हर दो फलांग पे भाषा और पानी बदल जाता है " और ये सच भी है कि यहाँ की सांस्कृतिक विवधता देखते ही बनती है। यहाँ परम्पराओ और संस्कृति का अद्भुत संगम है| यहाँ नदियों और पेड़ो और सूरज की पूजा का बहुत महत्व है। यहाँ हर मास कुछ न कुछ उत्सव होता रहता है। साल की शुरुआत से मकरसक्रांति ,बसंत पंचमी ,बरगदाई अमावस्या, हल छट ,तीज, जन्माष्टमी ,दीपावली और भी न जाने कितने तीज और त्यौहार का प्रदेश है उत्तर प्रदेश |यहाँ खानपान में भी विविधता है। दाल, चावल, रोटी मुख्य भोजन हैं इसके अलावा हर त्यौहार पर एक विशेष प्रकार का व्यंजन बनता है। उत्तर-प्रदेश हर प्रकार से दूसरे प्रदेशों से उत्तम है।

मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दोनों प्रकार का योगदान है भारत की पृष्ठ भूमि पर - उज्जैन की नगरी प्राचीनतम स्थानों में से एक है। यहाँ काल भैरव की आशीर्वाद से प्रगति और खुशहाली है,ऐसी यहां मान्यता है। मध्य प्रदेश को "मंदिरो का प्रदेश" भी कहा जाता हैं अनोखे और अनूठे और पौराणिक कथाओं से जुड़े हुए मंदिरों की अपनी परंपरा और संस्कृति है। हर मंदिर में पूजा और अर्चना का अपना महत्व और तरीका है। यहाँ की प्रमुख उत्सव शिवरात्रि की हैं इनके आलावा खजुराहो उत्सव, भगोरिया हाट उत्सव ,मड़ई उत्सव (जो वहां की जनजाति का उत्सव है), तानसेन संगीत उत्सव आदि. यहाँ की कुछ मुख्य व्यंजन हैं -बाफला चक्की की शाक, मालपुआ, मक्के की कीज़, मावबाटी, खोपरापाक आदि।

राजस्थान बलिदानों का प्रदेश है। दूर तक फैली रेगिस्तान और जटिल जलवायु यहाँ के वासियों को जुझारू और लड़ाकू बना देती है। पानी की अत्यंत कमी के बावजूद ये प्रदेश खूब निखरा और संवरा हुआ लगता है। रंगो और गीतों का है ये प्रदेश | राजा-रजवाड़ों की इस भूमि में आज भी लोक कथाओ का विशाल भण्डार है। यहाँ के जीवन को देख कर ये कहा जा सकता है कि जीवन की विषमताएं जीवन को और सुन्दर रूप दे देती हैं। यहाँ की संस्कृति में गीत संगीत हस्तशिल्प का बहुत बड़ा योगदान है। यहाँ की बांधनी साड़ियां भारत की रंगोली के सामान संस्कृति की द्योतक हैं। सांगानेरी कोटा ,जयपुरी लहरिया, चुंदरी उन मुख्य पोशाकों में से हैं जो यहाँ के लोग शान से पहनते हैं। राजस्थान सांस्कृतिक विविधता का बहुत बड़ा केंद्र है। यहाँ के मुख्य भोजन हैं - दाल बाटी चूरमा, बाजरे की रोटी, मुक्की प्याज, गट्टे की सब्ज़ी दाल बाटी ,घेवर आदि।

महाराष्ट्र को "सपनों की नगरी" भी कहते हैं | भारत के इस प्रदेश की विविधता एक अपने आप में अनूठा उदाहरण है विश्व के हर कोने और विदेशो से लोग यहाँ आते हैं और महाराष्ट्र के होकर रह जाते हैं। हर धर्म और विविधता को अपनाते हुए इस प्रदेश ने अपनी संस्कृति नहीं छोड़ी |यहाँ के मुख्य नृत्य है - लावणी यहाँ का मुख्य उत्सव है गणेश उत्सव और यहाँ के मुख्य व्यंजन हैं -पूरनपोली, खांडवी श्रीखण्ड आदि. इस प्रदेश को भारत में अनेकता में एकता का उदाहरण माना जा सकता है जैसे संगम हो विविध संस्कृतियों का |

दक्षिण भारत को "धर्म का स्थान" कहा जा सकता है। यह प्रदेश अलंकृत मंदिरो से सजा है। यहाँ की संस्कृति भी उतनी ही अलंकृत और वैभव शाली है। यहाँ धार्मिक संस्कृति के लोगों की बहुलता है। यहाँ संस्कृति खुद सुसंस्कृत होने आती है। यहाँ का मुख्य भोजन -इडली, डोसा, उत्तपम, सांभर, पायस और कई प्रकार के चावलों के व्यंजन,यहां की विशेषता हैं। यहाँ का मुख नृत्य भरतनाट्यम है यहाँ का मुख्य परिधान साड़ी और पावड़ा धमानी है।

गुजरात : गुजरात भारत की "कर्म भूमि" है। यहाँ के लोग कर्मठ और धार्मिक दोनों ही होते हैं। यहाँ प्रगतिवाद विचारधारा प्रवाहित होती है और एक सुनिश्चित ढांचे में परंपरा और संस्कृति निभायी जाती है। यहाँ कई मंदिर हैं। जिनमे द्वारका और सोमनाथ प्रमुख हैं। यहां की मुख्य भाषा गुजराती है। यहाँ के प्रमुख उत्सव हैं मकरसक्रांति और दीपावली। यहाँ की प्रमुख व्यंजन हैं -उंधिया ,खखड़ा, फकड़ा, ढोकला छांछ आदि . इन प्रदेशो के अलावा उत्तराखंड, असम, बिहार ,बंगाल, उड़ीसा सभी प्रदेशो की अपनी-अपनी सांस्कृतिक विशेषताएं हैं। भारत के हर रंग अपने में ख़ास है हर संस्कृति एक मिसाल है। यहाँ की सांस्कृतिक विरासत विविध ही नहीं विशाल और गौरवशाली भी हैं।

हर भारतीय को अपनी संस्कृति पर नाज़ होना चाहिए और दूसरी परंपराओं का भी सम्मान करना चाहिए.