राजस्थानी वेशभूषा

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राजस्थानी वेशभूषा (राजस्थानी पहनावा) बहुत अनोखा है क्योंकि राजस्थान में अनेक जातियाँ निवास करती हैं इनके कारण वस्त्र भी जातियों के हिसाब से पहने जाते है। राजस्थान के लोग ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में ही रहते हैं। इसलिए औरतें-घाघरा कुर्ती तथा पुरुष- धोती,कुर्ता पेंट पहनते हैं। यहाँ हर स्थान का अपना अलग ही पहनावा होता है, धर्म और जाति अनुसार भी पहनावा बदल जाता है। जैसे पुरुष के सिर पर पहनने पाला वस्त्र साफा, पाग, मोठड़ा, पगड़ी, टोपी, फेंटा आदि कई नामों से जानते हैं।

औरतों के पहनावे[संपादित करें]

राजस्थान में बिश्नोई समाज की औरतें सब समाज से अलग वस्त्र पहनती है तथा दूसरे समाज की औरतें तो लगभग एक जैसे ही वस्त्र पहनती है। विवाह के अवसर पर कुछ अलग किस्म के वस्त्र पहनती है तथा मृत्यु पर काले तथा हरे रंग के वस्त्र पहनती है। कुर्ती :-महिलाओं के कमर के उपर पहने जाने वाले बिना बाहों का वस्त्र। कास्ली:- महिलाओं के कमर के उपर पहने जाने वाला बाहों वाला (अंगिया)वस्त्र।

पुरुषों के पहनावे[संपादित करें]

आज पश्चिमी संस्कृति के कारण ज्यादातर पुरुष -जीन्स-पेंट तथा टीशर्ट पहने नजर आते है। बुजुर्ग धोती , पायजामा और साफा(पगड़ी) पहनते है।आजकल वो पुराना पहनावा का चलन बहुत कम हो गया है .अब धीरे धीरे ये भी लुप्त हो रहा है,क्यों कि बाहरी पहनावा ज्यादा पहन रहे है। राजस्थान में पगड़ी को पाग,चिरा कहा जाता है। तेज गर्मी से सिर की रक्षा करने का काम पगड़ी करतीं हैं। उदयपुर में अमरशाही, डूंगरपुर में उदयशाही,बूंदी में बूदीशाही,जोधपुर में विजयशाही और जयपुर मे मानसाही पगड़ी का प्रचलन था।राजस्थान में ॠतुओ के अनुसार पगड़ी का प्रचलन था। बारिश में गहरे रंग की पगड़ी, सर्दी में गहरी लाल, गर्मी में केसरिया और दशहरे पर मदील पगड़ी पहनी जाती थी। संभ्रांत परिवार के लोग इन पगङियो पर सोने और चांदी के तुरा,सरपेच, बालाबंदी, धुगधुगी, गोशपेच और लटकन का प्रयोग करते थे।[1]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

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  1. Sharma, GN (1968). Social life in medieval rajasthan. Jodhpur: L N Agrawal publishers. पृ॰ 145.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अप्रैल 2017.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 6 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अप्रैल 2017.
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 मई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अप्रैल 2017.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 13 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अप्रैल 2017.
  6. "संग्रहीत प्रति". मूल से 23 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अप्रैल 2017.