रौद्र रस

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रौद्र काव्य का एक रस है जिसमें 'स्थायी भाव' अथवा 'क्रोध' का भाव होता है। धार्मिक महत्व के आधार पर इसका वर्ण रक्त एवं देवता रुद्र है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  उदाहरण

उस काल मारे क्रोध के तन उनका कांपने लगा। मानों हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।।

    Abhishek tiwari