उष्णिक् छंद

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वेदों में प्रयुक्त एक छंद है। इसमें कुल - २८ वर्ण होते हैं। गायत्री से ४ छंदों से अधिक लिपटी होने के कारण इसे उष्णिक कहते हैं [1]। उदाहरण - ऋग्वेद में मिलता है

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. शास्त्री, सीताराम. निरुक्तम्(निघंटु सहितम). पृ॰ 31. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7110-105-4.