अपना दल

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अपना दल का झंडा

अपना दल उत्तर प्रदेश का एक राजनीतिक दल हैं, जिसकी स्थापना ४ नवम्बर १९९५ को डॉ॰ सोनेलाल पटेल ने इंजिनियर बलिहारी पटेल के साथ मिलकर किया था।[1]

डॉ. सोनेलाल पटेल पूर्व में बहुजन समाज पार्टी में थे। कांशी राम से मतभेद के चलते उन्होंने समाज के दबे कुचले कमजोरों और पिछड़ों को लेकर अपना दल की नींव रखी। अपना दल के गठन के पूर्व उन्होंने लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में एक कुर्मी क्षत्रीय महारैली का आयोजन किया, जिसमें अपार जनता जुटी। इस रैली को बी.बी.सी. न्यूज ने सबसे बड़ी जातीय रैली कहा था। यही रैली अपना दल के गठन का आधार बनी।

डॉ. सोनेलाल पटेल ने अपना दल को उठाने में पूरी ताकत लगा दी। उनके साथ अनेक लोगों का कारवाँ जुड़ता गया और दल को जनाधार मिलता गया। डॉ. पटेल ने कई विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव पार्टी की ओर से लड़ा पर उन्हें जीत नहीं मिल सकी। फूलपुर लोकसभा उनकी पसंदीदा सीट थी, जिस पर 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। कुछ वर्ष बाद 17 अक्टूबर 2009 को निधन हो गया।

अब अपना दल दो धड़ों में बँट चुका है, एक पत्नी कृष्णा पटेल का और दूसरा बेटी अनुप्रिया पटेल का। दोनों दलों का दावा है कि वे डॉ. पटेल के सपनों को साकार करने का काम करेंगें। अनुप्रिया पटेल पहले रोहनिया से विधायक बनीं उसके बाद बीजेपी से गढबंधन करके 2014 से लगातार दूसरी बार सांसद चुनी गई है।

सन २०२२ के विधानसभा चुनाव में अनुप्रिया पटेल के अपना दल ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। इनको अन्य छोटे दलों की अपेक्षा अच्छी सफलता प्राप्त हुई।[2][3]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "अपना दल". मूल से 30 दिसंबर 2014 को पुरालेखित.
  2. अपना दल की सफलता दर बड़ी पार्टियों से बेहतर
  3. पूर्वी उत्तर प्रदेश में चला अनुप्रिया पटेल के अपना दल (एस) का जादू, प्रियंका गांधी की कांग्रेस और मायवती के BSP को पछाड़ कर बनी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी