बोधिसत्व (नाटक)

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बोधिसत्त्व (नाटक) प्रसिद्ध इतिहासकार डी डी कौशाम्बी द्वारा रचित एक मराठी नाटक है। यह ग्रन्थ प्रथमतया 1945 में प्रकाशित हुआ था। इसकी प्रस्तावना दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर ने लिखी थी। इस नाटक में चार अंक हैं।

परिचय[संपादित करें]

'राजकुमार सिद्धार्थ ने वृद्ध, रोगी, मृत और संन्यासी को देखकर रात में गृहत्याग किया था' इस बात को काल्पनिक या प्रक्षिप्त मानकर कोसंबी जी ने त्रिपिटक सम्मत घटना को इस नाटक के माध्यम से अत्यंत रोचक तरीके से प्रस्तुत किया। अन्य ग्रंथों में भी उन्होंने शाक्यों व कोलियों के राज्यों के बीच बहने वाली रोहिणी नदी के जल से उपस्थित विवाद को सिद्धार्थ कुमार के घर छोड़ने का ऐतिहासिक कारण मन और उसे अनेक प्रमाणों से सिद्ध भी किया। किन्तु तब भी स्वयं के द्वारा उपस्थापित प्रमाणपूर्ण तथ्य अपूर्ण ही लगने लगे, तो त्रिपिटक के ही प्रमाणों से परिपुष्ट इस घटना को और अधिक स्पष्टता से उपस्थापित करने के लिए उन्होंने ‘बोधिसत्त्व’ नमक चार अंकों का छोटा सा नाटक लिख दिया। इस नाटक में उन्होंने त्रिपिटक सम्मत सिद्धार्थाभिनिष्क्रमण (सिद्धार्थ का घर से निकलना) की कारणीभूत घटना को अत्यन्त रोचकता से उपस्थापित किया।

डॉ॰ प्रफुल्ल गडपाल ने मराठी भाषा से इस नाटक का संस्कृत में अनुवाद किया, जो राष्ट्रियसंस्कृतसंस्थानम (मानित विश्वविद्यालय) से 2013 में प्रकाशित हुआ।