वर्तनीगत एकरूपता

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हिन्दी विकिपीडिया पर वाक्यों में प्रयुक्त अव्यय शब्द, क्रिया शब्द तथा शब्दों के बहुवचन के प्रयोग में एकरूपता नहीं है, जैसे- गये / गए, गयी / गई, नये/नई, हुये/हुई, आयी/आई ....... आदि का प्रयोग किया जा रहा है जो कि ठीक नहीं है। " ये, ए, यी, ई के प्रयोग में एकरूपता के कुछ नियम हैं जिनका पालन करके लेखों में वर्तनीगत एकरूपता रख सकते हैं- " ये " तथा " ए " का प्रयोग अव्यय, क्रिया तथा शब्दों के बहुवचन बनाने के लिए किया जाता है।

कुछ नियम[संपादित करें]

जिस क्रिया के भूतकालिक पुल्लिंग एक वचन रूप में " या " अन्त में आये ('गया', 'आया') तो अन्य रूपों में प्रयोग इस तरह होगा-

गया, गयी, गये, गयीं, आया, आयी, आये, आयीं [ गए, गई तथा आए, आई नहीं होंगे ]

जिस क्रिया के भूतकालिक पुल्लिंग एक वचन रूप में " आ " (स्वर) अन्त में आये (हुआ) तो अन्य रूपों में प्रयोग इस तरह होगा- हुआ, हुए, हुई, हुईं [ हुये, हुयी, हुयीं नहीं होंगे ]

जहाँ अन्त में (य) का प्रयोग किसी भी रूप में न हो रहा हो वहाँ (स्वर) का प्रयोग किया जाता है, जैसे- दीजिए, पीजिए, लीजिए, कीजिए होंगे [ दीजिये, पीजिये, लीजिये, कीजिये नहीं ]

अव्यय को प्रथक रखने के लिए " ए " का प्रयोग होगा- इसलिए, चाहिए, जाइए, आइए

सम्प्रदान विभक्ति में भी " ए " का प्रयोग होगा- " मोहन के लिए कुर्सी लाओ " [सही है] " मोहन के लिये कुर्सी लाओ " [गलत है]

जहाँ कोई अन्य विकल्प न हो तो वहाँ स्वर [आ, इ, ए का प्रयोग किया जायेगा ]

शुद्ध तथा अशुद्ध शब्दों की सूची[संपादित करें]

अशुद्ध शब्द शुद्ध शब्द
अनाधिकार अनधिकार
आर्शीवाद आशीर्वाद
अनाधिकारी अनधिकारी
सन्यासी संन्यासी
द्वारिका द्वारका
घनिष्ट घनिष्ठ
राजनैतिक राजनीतिक
अत्याधिक अत्यधिक
सुस्वागत स्वागत
अहिल्या अहल्या
अगामी आगामी
चिन्ह चिह्न
आद्र आर्द्र
वाल्मीकी वाल्मीकि
छमा क्षमा
अध्यन अध्ययन
मैथली मैथिली
कवियित्री कवयित्री
श्रीमती श्रीमती
पुन्य पुण्य
प्रमाणिक प्रामाणिक
संसारिक सांसारिक
पूज्यनीय पूजनीय
अतिश्योक्ति अतिशयोक्ति
अध्यात्मिक आध्यात्मिक