भारत में मोबाईल बैंकिंग

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भारत में मोबाईल बैंकिंग की विधिवत शुरुआत अक्टूबर 2008 में हुई जब भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पहली बार मोबाईल बैंकिंग ट्रांसैक्शन्स के लिए नियम निर्धारित किए।[1]

पृष्ठभूमि[संपादित करें]

काफी पहले ही बैंकिंग क्षेत्र में मोबाईल फोन्स की उपयोगिता और तेज़ी से बढ़ते महत्व को भाँप लिया था तथा भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के कार्यक्षेत्र में इंटरबैंक मोबाईल भुगतान सेवा के विकास एवं संचालन को भी जोड़ा गया। भारत में वित्तीय समावेशन के लिए इसे भविष्य के एक अति महत्वपूर्ण पहलू के रूप में आँका गया।

अक्टूबर 2008 की गाईडलाईन्स[संपादित करें]

अक्टूबर 2008 में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पहली बार मोबाईल बैंकिंग ट्रांसैक्शन्स के लिए नियम निर्धारित किए। इसके अनुसार यह आवश्यक किया गया कि मोबाईल फोन पर होने वाले ट्रांसैक्शन्स किसी एक बैंक खाते से ही शुरु हों तथा समाप्त भी किसी बैंक खाते पर ही हों (नकदी ट्रांसैक्शन्स की मनाही की गई थी)।[1]

दिसम्बर 2009 की गाईडलाईन्स[संपादित करें]

The mobile banking guidelines were relaxed in December, 2009 to – enhance the daily cap on both funds transfers and transactions involving purchase of goods and services to Rs.50,000 Requirement of end-to-end encryption relaxed for transactions up to Rs.1000/- for small value transactions. Facilitate funds transfer from a bank account using a mobile phone with cash payout at ATMs/BCs up to Rs 5000.

Non-bank entities have been permitted, in August 2009, to issue semi closed prepaid m-wallets up to the value of Rs 5000/- with full KYC compliance

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Remarks by Smt Shyamala Gopinath, DG, RBI at the inauguration of Inter-Bank Mobile Payment Service of the National Payment Corporation of India at Mumbai on November 22, 2010". भारतीय रिज़र्व बैंक. 23 नवम्बर 2010. मूल से 8 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 मई 2014.