अमानत बैंक

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अमानत को-ऑपरेटिव बैंक[संपादित करें]

१३ जनवरी १९७७ को मुमताज़ अहमद खान ने अमानत को-ऑपरेटिव बैंक की स्थपना की और २६ साल के छोटे-से समय में कर्णाटक की पहली अनुसूचित शहरी सरकारी बैंक का दर्जा प्राप्त किया। ४४० करोड़ रूपये की कार्यशील पूंजी रिपोर्ट की गई है।

बैंक की सेवा भावना[संपादित करें]

बैंक केवल व्यापारिक लाभ के लिए नहीं बल्कि सेवा का भी भाव रखता है जिसका सबूत हरिद्वार सेवा समिति के अंतरगत चल रही इसकी शाखा है।[1]

आरोप और उनका खंडन[संपादित करें]

अमानत बैंक के अध्यक्ष और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद के. रहमान खान ने इन आरोपों का खंडन किया है कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम ने उनके बैंक में 200 करोड़ रुपए जमा कराए हैं।[2]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 फ़रवरी 2014.
  2. http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/12786790.cms