युगबोध

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युगबोधसमसामयिक परिस्थितियों के ज्ञान की अवधारणा है। समसामयिक परिस्थितियों में किसी काल की राजनितिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्थितियाँ शामिल मानी जाती हैं। युगबोध का सृजन प्रक्रिया से सीधा संबंध माना गया है। कलात्मक और साहित्यिक रचनाएं युगबोध से निर्मित होती हैं तथा उसका प्रकटन भी करती हैं।

युगबोध औ्र कला[संपादित करें]

युगबोध और साहित्य[संपादित करें]

साहित्य में युगबोध की अभिव्यक्ति वस्तु चयन के साथ ही शिल्पगत प्रयोग के रूप में बी प्रकट होती है। उदाहरण के लिए आधुनिक मानसिकता का प्रतिफलन काव्य नाटकों के कथावस्तु औ्र शिल्प में भी दिखाई देता है। आधुनिक काव्य नाटकों के मुख्यतः तीन वर्ग हैं जो क्रमशः पुराकथा, इतिहास और वर्तमान समस्याओं के यथार्थ पर आधारित हैं। ये आधार निश्चय ही आधुनिक युगबोध से प्रेरित हैं। इसी प्रकार ये काव्य नाटक मंच विधान संबंधी नए प्रयोगों को ध्यान में रखकर रचे गए हैं जिस कारण आधुनिक युगबोध इनमें शिल्पित दिखाई देता है।[1]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "साहित्य कुंज- डॉ, ऋषभ देव शर्मा". मूल से 16 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अक्तूबर 2013.