2013 मुज़फ़्फ़र नगर दंगे

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2013 मुज़फ़्फ़र नगर दंगे
दंगो का स्थान।
तिथी 27 अगस्त 2013 (2013-08-27) – 17 सितम्बर 2013 (2013-09-17)
(21 दिन)
जगह मुज़फ़्फ़र नगर जिला, उत्तर प्रदेश, भारत
29°28′20″N 77°42′32″E / 29.472332°N 77.708874°E / 29.472332; 77.708874निर्देशांक: 29°28′20″N 77°42′32″E / 29.472332°N 77.708874°E / 29.472332; 77.708874
कारण कवाल गाँव में हिन्दू - मुस्लिम संघर्ष[1]
विधि खत्म[2]
हिंसा और कार्यवाही
मौत43[4]
हताहत93[3]
गिरफ्तारी1,000
नजरबंद10,000[3]

27 अगस्त 2013 मुज़फ़्फ़र नगर जिले के कवाल गाँव में हिन्दू -मुस्लिम हिंसा के साथ यह दंगा शुरू हुआ जिसके कारण अब तक 65 जाने जा चुकी है और 93 हताहत हुए हैं। 17 सितम्बर को दंगा प्रभावित हर स्थानों से कर्फ्यु हटा लिया गया और सेना वापस बुला ली गयी।[5]

शुरुआती झड़पें[संपादित करें]

जाट और मुस्लिम समुदाय के बीच 27 अगस्त 2013 से प्रारंभ हुई। कवाल गाँव में कथित तौर पर एक छेड़खानी के साथ यह मामला शुरू हुआ।[6] पीड़ित मलिक पुरा गांव की लड़की के द्वारा जानसठ पुलिस में कई बार शिकायत की गई लेकिन मामले में पुलिस द्वारा कोई मदद नहीं की संघर्ष के दौरान मुस्लिम युवक शाहनवाज कि हत्या कर दी गई। इसके बाद पुलिस कप्तान मंजिल सैनी और डीएम मुजफ्फरनगर सुरेंद्र सिंह जाट के द्वारा कुछ मुस्लिम युवकों को कव्वाल से गिरफ्तार कर लिया गया। उसी रात उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस कप्तान मंजिल सैनी और डीएम सुरेंद्र सिंह जाट का मुजफ्फरनगर से तबादला कर दिया गया और सभी मुस्लिम युवकों को थाने से ही छोड़ दिया गया इस घटना ने जाटों में बेचैनी बढ़ा दी और उनका विश्वास सरकार से खत्म हो गया एकतरफा कार्यवाही ने दंगे म के खालापार में जुम्मे की नमाज के बाद जनसभा में भड़काऊ भाषण जाटों के खिलाफ दिए गए और नतीजे भुगतने की धमकी दी गई इससे जाटों द्वारा भी नगला में महापंचायत बुलाई गई जिसमें कहा गया बेटियों के सम्मान में जाट मैदान में पंचायत के बाद घरों को लौटते हुए जाटों पर जोली नहर और अनेकों रास्तों पर जैसे पुरबालियान ने मुस्लिम समाज के लोगों ने जानलेवा हमला किया और चार पांच लोगों को जान से मार दिया उसके बाद जाट समाज क्रोधित हो उठा और पूरा जनपद हिंसा ग्रस्त हो गया पुलिस थानों से भाग गई भारतीय इतिहास का पहला दंगा था जो गांवों में भयानक रूप ले चुका था। इस दंगे में जाट बहुल गाँवो में रहने वाली गरीब मुस्लिम जातियों के (लुहार, बढई, धोबी) आदि के लोगों ने दंश झेला। पूरे जनपद के सैकड़ों गांव हिंसा की चपेट में आ गया मजबूरन सपा सरकार को जनपद में भारतीय सेना बुलानी पड़ी इसके बाद लाखों की संख्या में मुस्लिम शरणार्थी कैंपों में रहने को विवश हो गए पूरे जनपद को दंगे ने अपने घेरे में ले लिया था कुटबा कुटबी फुगाना पुरबालियान जौली अनेकों गांवों में जीवन संघर्ष हुआ मुस्लिम बाहुल्य गांवों से दलित समाज के लोगों ने किया जाट बहुल इलाकों से मुस्लिम लोग भी पलायन हो गए 60 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाई और सैकड़ों से ज्यादा लापता हुए एक पत्रकार भी मारा गया [7]

इस खबर के फैलते ही मुज़फ़्फ़र नगर, शामली, बागपत, सहारनपुर में दंगा फ़ैल गया।[8]

जनसभा[संपादित करें]

इसके दोनों तरफ से राजनीति शुरु हो गई। मारे गए दोनों जाटो युवकों के इंसाफ के लिए एक महापंचायत बुलाई गई। इसके बाद मुस्लिमों की तरफ से ३० अगस्त को हुई मुस्लिम महापंचायत हुई। उसके जवाब में हुई नंगला मंदौड़ में हुई महापंचायत में भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेताओं पर यह आरोप लगा की उन्होंने जाट समुदाय को बदला लेने को उकसाया।इस महापंचायत में शान्तिपूर्ण प्रदर्शन किया गया। मुस्लिम बस्तियों से गुजरते हुए गोलियां चल रही थी। [9]

जौली नहर कांड[संपादित करें]

7 सितम्बर को दो समुदाय की हुई झड़प में महापंचायत से लौट रहे किसानों पर जौली नहर के पास दंगाइयों घात लगाकर हमला किया। दंगाइयों ने किसानों के 18 ट्रैक्टर और 3 मोटरसाइकिलें फूक दी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक उन लोगो ने शवों को नहर में फेक दिया। अब तक 6 शवों को ढूँढ लिया गया है इस दंगे में एक फोटोग्राफर और पत्रकार समेत 43 लोगों की मौत हो चुकी है।[10]

कार्यवाही[संपादित करें]

दंगा फैलते ही शहर में कर्फ्यु लगा दिया गया और सेना के हवाले शहर कर दिया गया। 1000 सेना के जवान 10000 पी.ए.सी. के जवान, 1300 सी.आर.पी.एफ. के जवान और 1200 रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों को शहर की स्थितियों पर नियंत्रण करने के लिए तैनात कर दिया गया।[11]

11 सितम्बर 2013 तक लगभग 10 से 12 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। 2300 शस्त्र लाइसेंस रद्द किये और 7 लोगों पर रा.सु.का के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज हुआ।[4]

जाँच[संपादित करें]

सत्रह लोगों पर प्राथमिकी दर्ज हुई जिसमें भाजपा और भारतीय किसान यूनियन के नेता शामिल है।[12] उत्तर प्रदेश सरकार ने सेवानिवृत्त जज विष्णु सहाय के नेतृत्व में एक समितीय न्यायिक कमिटी गठन की घोषणा की।[13] उत्तर प्रदेश सरकार ने ५ वरिष्ठ पुलिस अफसरों का मुज़फ्फरनगर से तबादला कर दिया।[14]

स्टिंग ऑपरेशन[संपादित करें]

चैनल आज तक के द्वारा कराये गए स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया गया कि उत्तर प्रदेश के मंत्री आज़म खान के आदेश पर पुलिस अफसरों ने कई मुस्लिम समुदाय के दोषी लोगो को छोड़ दिया गया।[15] लेकिन आज़म खान ने इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया।[16]

प्रतिक्रिया[संपादित करें]

विपक्षी दलों जैसे बहुजन समाज पार्टी,[17] भारतीय जनता पार्टी,[18] राष्ट्रीय लोकदल[19] और मुस्लिम संगठन जैसे जमात उलेमा-ए-हिंद[20] ने समाजवादी पार्टी की सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन की माँग की।

गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को पहले ही इस तरह की घटनाओं की चेतावनी दी थी।[21]

राजनितिक असर[संपादित करें]

आज़म खान की नाराजगी

वरिष्ठ समाजवादी पार्टी नेता और कबिनेट मंत्री आज़म खान पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से गैर मौजूद रहे, जो कि आगरा में हो रही थी। सूत्रों के अनुसार वह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से दंगों से निपटने में लाचारगी से नाराज थे।[22]

सोमपाल शास्त्री का मना करना

सोमपाल शास्त्री, जो कि बागपत लोक सभा क्षेत्र से सपा के उम्मीदवार थे, ने पार्टी के चिह्न पर लोकसभा लड़ने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि शामली, बागपत और मुज़फ़्फ़र नगर में फैली हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है।[23]

सरधना महापंचायत[संपादित करें]

यहाँ पर हुए दंगों में आरोपी विधायक संगीत सोम की गिरफ्तारी के विरोध में २९ सितम्बर २०१३ को मेरठ जिले की सरधना तहसील में महापंचायत का आयोजन किया गया। शासन द्वारा इस पर पहले से ही रोक लगा दी गई थी। इसमें शामिल होने आये लोगो पुलिस ने जबरन लाठियाँ बरसाई। इससे उत्तेजित भीड़ ने कमिश्नर, डीआईजी, डीएम और एसएसपी के वाहन फूँक डाले।[24]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Journalist and a photographer killed in fresh communal violence in Muzaffarnagar, army deployed as curfew imposed". इंडिया टुडे. मूल से 21 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 सितंबर 2013.
  2. "Muzaffarnagar riots: normalcy returns, army leaves". हिन्दुस्तान टाइम्स. मूल से 12 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 सितंबर 2013. Archived 2013-10-12 at the वेबैक मशीन
  3. "Muzaffarnagar violence: Over 10,000 displaced; 10,000 arrested". Times of India. 12 सितंबर 2013. मूल से 11 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2013.
  4. "Muzaffarnagar curfew relaxed, death toll rises to 43". Firstpost. 12 सितंबर 2013. मूल से 10 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2013. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "fp12" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  5. "Bloody communal Riots in Muzaffarnagar come to Halt". मूल से 23 नवंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 सितंबर 2013.
  6. Varma, Gyan (12 सितंबर 2013). "Communalism gains new ground in rural India". लाइव मिंट. मूल से 28 नवंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2013. Italic or bold markup not allowed in: |work= (मदद)
  7. "Timeline of Muzaffarnagar riots: eve-teasing incident led to murders, then riots". India TV News. 2013-09-08. मूल से 21 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2013-09-08.
  8. "Three killed in UP after girl's harassment". Mid-Day. 2013-08-28. मूल से 3 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 सितंबर 2013.
  9. Sreenivasan Jain (2013-09-11). "Muzaffarnagar riots: a meeting after Friday prayers exploited by politicians". NDTV. मूल से 14 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2013-09-11.
  10. "dna special: Jolly canal killings triggered the Muzaffarnagar riots". DNA. मूल से 17 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2013.
  11. "Curfew in force, toll in Muzaffarnagar climbs to 28". Tehelka. 9 सितंबर 2013. मूल से 28 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2013.
  12. "Muzaffarnagar toll mounts to 21". द हिन्दू. 8 सितंबर 2013. मूल से 11 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2013.
  13. Bose, Adrija (9 सितंबर 2013). "Muzaffarnagar live: UP govt appoints judicial panel to probe violence". Firstpost. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2013.
  14. "Poor riot management: Uttar Pradesh government removes five senior officials". मूल से 23 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2013. Archived 2013-09-23 at the वेबैक मशीन
  15. "Cops expose Azam Khan's role in Muzaffarnagar violence". Headlines Today. September 18, 2013. मूल से 21 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 सितंबर 2013.
  16. "Muzaffarnagar: Azam Khan says punish me if guilty". हिन्दुस्तान टाइम्स. September 18, 2013. मूल से 19 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 सितंबर 2013. Archived 2013-09-19 at the वेबैक मशीन
  17. "Muzaffarnagar clash: Bahujan Samaj Party demands dismissal of UP government". DNA India. 8 सितंबर 2013. मूल से 10 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2013.
  18. "BJP demands dismissal of UP government". द हिन्दू. 11 सितंबर 2013. मूल से 14 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2013.
  19. "Muzaffarnagar clashes: RLD chief Ajit Singh demands President's Rule in UP". Business Standard. 8 सितंबर 2013. मूल से 14 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2013.
  20. "Muzaffarnagar riots: Jamiat demands dismissal of Akhilesh govt". द हिन्दू. 12 सितंबर 2013. मूल से 28 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2013.
  21. "Muzaffarnagar riots: Blame game continues as death toll rises to 31". 9 सितंबर 2013. मूल से 12 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2013. Archived 2013-09-11 at the वेबैक मशीन
  22. "Azam Khan's absence sets rumour mills churning". द हिन्दू. 11 सितंबर 2013. मूल से 14 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2013.
  23. "In wake of Muzaffarnagar riots, Sompal Shastri refuses to be SP candidateg". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. 15 सितंबर 2013. मूल से 13 नवंबर 2013 को पुरालेखित. Archived 2013-11-13 at the वेबैक मशीन
  24. "मेरठः महापंचायत में जुटी भीड़ भड़की, फायरिंग". आईबीएन खबर. 29 सितम्बर 2013. मूल से 5 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. Archived 2013-10-05 at the वेबैक मशीन