त्वष्ट्र

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बृहस्पति ग्रह के आयो चंद्रमा पर विस्फोट होता एक ज्वालामुखीय क्षेत्र जिसका नाम त्वष्ट्र देवता पर रखा गया है

त्वष्टा या त्वष्ट्र या त्वष्टृ संस्कृत साहित्य में जाति और व्यक्तिवाचक संज्ञाओं का बोध कराने के लिये अनेक अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। महाभारत (प्रथम, 95, 14-15) तथा विष्णुपुराण (प्रथम अंश, 15, 132) के अनुसार 12 आदित्यों में 11 का नाम त्वष्टा है। उसका हिंदू धर्म में प्रमुख स्थान है। इस देवता के संबंध में एक देवकथा मिलती है (रघु षष्ट, 32) कि उसने अपने पुत्री संज्ञा का विवाह सूर्य से कर दिया किंतु संज्ञा सूर्य का तेज न सहन कर सकी और पिता के पास लौट आई। त्वष्टा ने सूर्य के प्रभामण्डल में थोड़ी कांट छांट कर दी, तब संज्ञा का उस अल्पतेजस सूर्य के पास रहना संभव हो गया। धार्मिक हिंदुओं का ऐसा विश्वास है कि सूर्य के कटे हुए भाग से विष्णु का चक्र और शिव का त्रिशूल बना। महाभारत के एक अन्य स्थल में (पचंम 9। 3) प्रजापति को तथा ऋग्वेद के सायण भाष्य (प्रथम, 117। 22) में इंद्र को त्वष्टा कहा गया है। त्वष्टा के मूल कार्य, सूर्य को छांटने, के कारण धीरे धीरे उसका अर्थ बढ़ई से लिया जाने लगा (हेमचंद्र और अमरसिंह के शब्दकोश), जो काष्ठादिकों को स्वरूप प्रदान करता है। इसी कारण त्वष्टा से विश्वकर्मा (प्रजापति अथवा बढ़ई) का भी बोध हुआ।

ऋग्वेद के दसवे मंडल व पुरुष सूक्त में उनका उल्लेख हुआ है। वे दिव्य लोहार व धातु से शस्त्र व औज़ार निर्माण करते हैं। उन्हें इन्द्र के वज्र का निर्माता और सोम का रक्षक कहा गया है। ऋग्वेद में उनका ६५ बार ज़िक्र आता है और उन्हें जानवरों व मानवों के शरीरों का रचियता भी बुलाया गया है। संतान पाने वालों के लिये उन्हें गर्भ-पति (यानि गर्भ का अधिदेवता) कहा गया है। उनके लिये रथकार (रथ बनाने वाला) और तक्षा भी नाम उपयोग हुए हैं।[1][2][3] इन्हें इन्द्र और सूर्य का छोटा भाई तथा अदिति और प्रजापति कश्यप का पुत्र बताया गया है

इन देवता के नाम पर बृहस्पति ग्रह के आयो चंद्रमा पर एक ज्वालामुखीय क्षेत्र का नाम रखा गया है।[4]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Śiroḍkara, Paṇduraṅga Puruṣottama (1986-04-20). "Three:Varṇāñcā bandikhānā". Bhāratiya samājavighaṭaka jātivarṇa vyavasthā (मराठी में) (2nd संस्करण). vasco da Gama: Gomantaka Daivajña Brāhmaṇa Samājotkarṣa Sansthā. पपृ॰ 38–56.
  2. Macdonell, Arthur Anthony (1995). "Abstract Gods". Vedic mythology. Vedas. Motilal Banarsidass Publ. पपृ॰ 116–118. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788120811133.
  3. Abyasambootha prutvy rasacha Viswakarmana samavarthatadi,Tasya Tvoshta vidhata roopamethi tat purushasya viswam ajanamagre, Rg veda 10-82
  4. "US Geological Planetary Nomenclature". मूल से 2 दिसंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि July 20, 2006.