लश्कर गाह

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लश्कर गाह
Lashkar Gah / لښکرګاه
लश्कर गाह is located in अफ़ग़ानिस्तान
लश्कर गाह
लश्कर गाह
अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति
सूचना
प्रांतदेश: हेलमन्द प्रान्त, अफ़ग़ानिस्तान
जनसंख्या (२००६): २,०१,५४६
मुख्य भाषा(एँ): पश्तो, दरी फ़ारसी
निर्देशांक: 31°34′59″N 64°22′9″E / 31.58306°N 64.36917°E / 31.58306; 64.36917
लश्कर गाह मस्जिद

लश्कर गाह (पश्तो: لښکرګاه‎, फ़ारसी: لشکرگاه‎‎, अंग्रेज़ी: Lashkar Gah), जिसे इतिहास में बोस्त (بُسْت‎‎, Bost) के नाम से भी जाना जाता था, दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान के हेलमंद प्रान्त की राजधानी है। हेलमंद नदी और अर्ग़नदाब नदी के बीच बसा यह शहर राजमार्ग द्वारा पूर्व में कंदहार से, पश्चिम में ज़रंज से और पश्चिमोत्तर में हेरात से जुड़ा हुआ है।

विवरण[संपादित करें]

इस शहर का वातावरण बहुत ही शुष्क और बयाबान है लेकिन हेलमंद और अर्ग़नदाब नदियों के किनारों पर थोड़ी-बहुत कृषि होती है। शहर के नागरिक अक्सर हेलमंद में तैरते और किश्ती की सवारी करते हैं, या उसके किनारे बैठकर खाना खाते हैं। नगर पालिका ने हाल ही में इसके किनारे 'मीरवाइस नेका उद्यान' बनवाया है। शहर से हेलमंद नदी के दूसरे पार एक छोटा सा वन है जिसमें तरह-तरह के जानवर और पक्षी रहते हैं। शहर से आधे घंटे की दूरी पर हेलमंद और अर्ग़नदाब नदियों के संगम स्थल के पास क़ला-ए-बोस्त नामक प्राचीन क़िले के खँडहर हैं। इस क़िले में एक २० फ़ुट चौड़ा और २०० फ़ुट गहरा ज़ीना है जिसमें उतरा जा सकता है और जिसके इर्द-गिर्द बहुत से अँधेरे कमरे हैं।

इतिहास[संपादित करें]

फ़ारसी में 'लश्कर गाह' का मतलब 'फ़ौज का अड्डा' है। इस शहर का पुराना नाम 'बोस्त' हुआ करता था और यह ग़ज़नवी साम्राज्य की शीतकालीन राजधानी था। जब सर्दियों में राजदरबार यहाँ आता था तो उनके लश्कर (सेनाएँ) भी यहाँ आकर नदी-किनारे खेमे लगा देती थीं, जिस से इस शहर का नाम 'लश्कर गाह' पड़ा। ग़ज़नवियों के महलों के लगभग हज़ार-साल पुराने खँडहर अभी भी हेलमंद नदी के किनारे खड़े हैं। इसके बाद आने वाली सदियों में बोस्त को ग़ोरियों, मंगोलों और तैमूरियों ने बार-बार नष्ट करा, हालांकि बाद में तैमूर लंग ने इसका पुनर्निर्माण किया। १६वीं सदी में इसपर ईरान के सफ़वियों का और फिर १७०९ के बाद अफ़ग़ानिस्तान के होतकी वंश का राज रहा। १७४७ तक दुर्रानी साम्राज्य ने इसे आधुनिक अफ़ग़ानिस्तान का हिस्सा बना लिया।[1]

सन् १८४० के आसपास पहले अँगरेज़-अफ़ग़ान युद्ध में ब्रिटिश फ़ौजें यहाँ आ धमकी लेकिन एक वर्ष बाद छोड़कर चली गई। दूसरे अँगरेज़-अफ़ग़ान युद्ध में अय्यूब ख़ान ने १८८० तक इस शहर का एक गढ़ के रूप में प्रयोग किया लेकिन उसके बाद अंग्रेज़ों ने इसपर अब्दुर रहमान ख़ान का क़ब्ज़ा करवा दिया। इसके पश्चात १०० साल तक यहाँ शांति रही लेकिन १९९० के दशक के मध्य में कट्टरपंथी तालिबान का यहाँ नियंत्रण हो गया। २००१ में हुए अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद २००२ में इसपर अमेरिकी सिपाहियों ने क़ब्ज़ा कर लिया और तब से इसपर अफ़ग़ान राष्ट्रीय सरकार का शासन रहा है।

लोग[संपादित करें]

लश्कर गाह में अधिकतर पश्तून रहते हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Afghanistan: Lonely Planet Archived 2016-04-24 at the वेबैक मशीन, Paul Clammer, pp. 197, Lonely Planet, 2007, ISBN 978-1-74059-642-8, ... Lashkar Gah, the capital of Helmand Province and the site of the ancient city of Bost, is a two-hour drive to the west of Kandahar. Bost was the winter palace of Sultan Mahmoud and his Ghaznavid empire and its fate was the same as Ghazni ...