योन योस्वा केटलार

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जान जेशुआ केटलेर (1659-1718) या योन योस्वा केटलार (En:Joan Josua Ketelaar), का नाम डच भाषा में लिखे गए उनके हिंदी व्याकरण के ग्रंथ के लिए जाना जाता है। योन योस्वा केटलार का पारिवारिक नाम केटलर था, उसका जन्म पूर्वी प्रशिया (आधुनिक पोलैंड) के एल्बिंग नामक नगर में 1659 ई. में हुआ था और उसकी मृत्यु 1718 में फारस (ईरान) में। वह सन् 1683 में भारत आया था और डच इस्ट इंडिया कंपनी के अधीन क्लर्क, असिस्टेंट (1687), अकाउंटेंट (1696), बुक कीपर (1699), प्रोविज़नल 'चीफ़' (1700), जुनियर मर्चेंट (1701), मर्चेंट (1706), सीनियर मर्चेंट (1708), दूत (1708), डिरेक्टर ऑव् ट्रेड (1711), राजदूत (1716) पदों पर कार्य किया। इस दौरान उसे सूरत, भरुच, अहमदाबाद, आगरा एवं लखनऊ में रहने का अवसर मिला। आगरा निवास के समय उसने हिन्दी व्याकरण डच भाषा में लिखा, जिसकी प्रतिलिपि उसके सहायक इजाक फान देअर हीव ने 1698 ई. में लखनऊ में प्रकाशित की। सन् 1743 में इसका लैटिन अनुवाद डैविड मिल ने प्रकाशित करवाया। इसी लैटिन अनुवाद से पहली बार यह व्याकरण प्रकाश में आया। डॉ॰ सुनीति कुमार चटर्जी ने इस लैटिन अनुवाद का अनुशीलन कर अपना लेख "The Oldest Grammar of Hindustani" प्रकाशित करवाया। लइदन (Leyden) विश्वविद्यालय के डॉ॰ फ़ॉग़ल ने मूल डच भाषा में लिखित हिन्दी व्याकरण का अनुशीलन कर अपने दो लेख "The Author of the First Grammar of Hindustani" और "Joan Josua Ketelaar of Elbing, Author of the First Hindustani Grammar"14 प्रकाशित कराये। केटलार की जीवनी और उसके हिन्दी व्याकरण की विस्तृत चर्चा प्रकृत लेखक के "हिन्दी भाषा का प्रथम व्याकरण" नामक लेख में की गयी है।

सन्दर्भ[संपादित करें]