सुधीश पचौरी

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सुधीश पचौरी (जन्म १९४८ ; अलीगढ़) हिन्दी साहित्यकार, आलोचक एवं मीडिया विश्लेषक हैं। वे समकालीन साहित्यिक-विमर्श, मीडिया-अध्‍ययन, पॉपुलर संस्‍कृति एवं सांस्‍कृतिक अध्‍ययन के विद्वान के रूप में प्रसिद्ध हैं। सम्प्रति वे दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक हैं।

जीवन परिचय[संपादित करें]

सुधीश पचौरी का जन्म २९ दिसम्बर, १९४८ को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ थ। उन्होने आगरा विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम ए किया तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी में पीएचडी एवं परा-डॉक्टोरल शोध किया।

कृतियाँ[संपादित करें]

नई कविता का वैचारिक आधार, कविता का अन्त, दूरदर्शन की भूमिका, दूरदर्शन : स्वायत्तता और स्वतंत्रता, उत्तर आधुनिकता और उत्तरसंचरनावाद, उत्तर आधुनिक परिदृश्य, नवसाम्राज्यवाद और संस्कृति, दूरदर्शन : दशा और दिशा, नामवर के विमर्श, दूरदर्शन : विकास से बाजार तक, उत्तर आधुनिक साहित्यिक विमर्श, मीडिया और साहित्य, उत्तर केदार, देरिदा का विखंडन और साहित्य, साहित्य का उत्तरकांड : कला का बाजार, टीवी टाइम्स, इक्कीसवीं सदी का पूर्वरंग, अशोक वाजपेयी : पाठ कुपाठ, प्रसार भारती और प्रसारण-परिदृश्य, साइबर-स्पेस और मीडिया, स्त्री देह के विमर्श, आलोचना से आगे, हिन्दुत्व और उत्तर आधुनिकता, मीडिया जनतंत्र और आतंकवाद, विभक्ति और विखण्डन, नए जनसंचार माध्यम और हिन्दी, जनसंचार माध्यम, भाषा और साहित्य, निर्मल वर्मा और उत्तर-उपनिवेशवाद।

सम्मान एवं पुरस्कार[संपादित करें]

सुधीश पचौरी के साहित्यिक योगदान के लिए इन्‍हें भारतेन्दु हरिश्‍चन्द्र सम्‍मान, हिन्दी साहित्यिक सम्‍मान और रामचन्द्र शुक्‍ल सम्‍मान से सम्‍मानित किया जा चुका है। केंद्रीय हिंदी संस्थान ने हिंदी आलोचना के क्षेत्र में अप्रतिम हिंदी सेवा करने के लिए उन्हें सुब्रह्मण्‍य भारती पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया है।