जांजगीर

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जांजगीर
Janjgir
जाज्वल्यदेवनगरी
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विष्णु मंदिर, जांजगीर
विष्णु मंदिर, जांजगीर
जांजगीर is located in छत्तीसगढ़
जांजगीर
जांजगीर
छत्तीसगढ़ में स्थिति
निर्देशांक: 22°01′19″N 82°46′12″E / 22.022°N 82.770°E / 22.022; 82.770निर्देशांक: 22°01′19″N 82°46′12″E / 22.022°N 82.770°E / 22.022; 82.770
देश भारत
प्रान्तछत्तीसगढ़
ज़िलाजांजगीर-चाम्पा ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल40,561
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी, छत्तीसगढ़ी
पिनकोड495668
दूरभाष कोड07817
वाहन पंजीकरणCG-11
निकटतम नगरबिलासपुर, कोरबा
साक्षरता दर73%
वेबसाइटjanjgir-champa.nic.in
लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर

जांजगीर (Janjgir) भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर-चाम्पा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]

विवरण[संपादित करें]

छत्तीसगढ़ के हृदय में स्थित जांजगीर चाम्पा जिले का जिला मुख्यालय जांजगीर एक खूबसूरत स्‍थान है। यह अपने वैष्णव शैली में बने मन्दिरों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों में यह मन्दिर बहुत लोकप्रिय हैं और वह इनके रख-रखाव का पूरा ध्यान रखते हैं। स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटकों को भी यह मन्दिर बहुत पसंद आते हैं और वह इन मन्दिरों के खूबसूरत दृश्य अपने कैमरों में कैद करके ले जाते हैं। यहाँ के स्थलों में विष्णु मंदिर, नहरिया बाबा मंदिर, भीमा तालाब, प्रेम मंदिर बरमबावा चौरा, शिव मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। जांजगीर जिला मुख्यालय के रेलवे स्टेशन का नाम जांजगीर नैला है। जिले के अधिकांश कार्यालय जांजगीर में स्थित है। यहां दर्जनों विद्यालय, ठाकुर छेदीलाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कृषि महाविद्यालय, जाज्वल्यदेव कन्या महाविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र, पॉलीटेक्निक कॉलेज, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाये और लगभग आधा दर्जन से ज्यादा शिक्षा महाविद्यालय स्थित है। यहाँ प्रतिवर्ष जाज्वल्य देव के सम्मान में जाज्वल्य देव महोत्सव और राष्ट्रीय स्तर का कृषि मेला आयोजित किया जाता है। जांजगीर जिला चिकित्सालय स्वच्छता के मामले में देश का अग्रणी चिकित्सालय है। यहाँ अनेक निजी चिकित्सालय भी स्थित है।

मुख्य आकर्षण[संपादित करें]

विष्णु मन्दिर[संपादित करें]

विष्णु मन्दिर को नकटा मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण हैहयवंशी (कल्चुरी) शासकों ने 12वीं शताब्दी में कराया था। इसके पास ही भीमा तालाब है, जो बहुत खूबसूरत है और पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। मन्दिर का निर्माण दो भागों में शुरू किया गया था, लेकिन कोई भी भाग पूरा नहीं हो पाया। इसलिए यह मन्दिर आज भी अधूरा पड़ा हुआ है। मन्दिर की दिवारों पर देवताओं, गन्धर्वो और किन्नरों के सुन्दर चित्र बने हुए हैं, जो पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं।

पीथमपुर शिव मन्दिर[संपादित करें]

हासदेव नदी के तट पर स्थित पीतमपुर शिव मन्दिर को कालेश्वरनाथ मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। हर वर्ष महाशिवरात्रि को यहां पर दस दिनों के लिए मेले का आयोजन भी किया जाता है। इस मेले में स्थानीय लोगों के साथ पर्यटक भी बड़े उत्साह से भाग लेते हैं। महाशिवरात्रि के अलावा रंगपंचमी के दिन यहां पर भगवान शिव का विवाह भी रचाया जाता है, जिसमें नागा साधु बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

शिवनारायण मन्दिर[संपादित करें]

महानदी के तट पर बसे शिवरीनारायण नगर में स्थित लक्ष्मीनारायण मन्दिर बहुत खूबसूरत है। इसका निर्माण हेहे वंश के शासकों ने 11वीं शताब्दी में कराया था। हिन्दु कथाओं के अनुसार लक्ष्मीनारायण मन्दिर के पास ही शबरी आश्रम स्थित है। इस मन्दिर का निर्माण वैष्णव शैली में बड़ी खूबसूरती के साथ किया गया है। माघ पूर्णिमा के दिन यहां पर भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है। इस मेले में भाग लेने के लिए अनेक पर्यटक यहां आते हैं।

लक्ष्मणेश्वर मन्दिर[संपादित करें]

लक्ष्मणोश्वर मन्दिर खरौद, जांजगीर के प्रमुख मन्दिरों में से एक है। हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मन्दिर का निर्माण भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने किया था। इस मन्दिर के प्रति स्थानीय लोगों में बड़ी है और वह पूजा करने के लिए प्रतिदिन यहां आते हैं।

माँ मड़वारानी मन्दिर[संपादित करें]

जांजगीर नगर के हृदय स्थल चंदनिया पारा में तालाब किनारे विराजित है मां मड़वारानी। मोहल्लेवासियों के दिन की शुरूवात मां मड़वारानी के दर्शन से होती है वहीं यहां से गुजरने वाले हर किसी का सिर अनायास ही माता के दर्शन कर झुक जाते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सच्चे मन से माता से जो भी मांगा जाये माता जरूर पूरा करती है। मंदिर परिसर में ही हनुमान जी की मूर्ति तथा शंकर भगवान का शिवलिंग भी है। मां मड़वारानी की ख्याति क्षेत्र में धीरे धीरे फैल रही है। यादव बाहुल्य इलाका होने की वजह से यहां की रावत नाच टीम अपने नृत्य की शुरूवात जहां इस मंदिर से करती है वहीं अब तो जांजगीर की एक बड़ी आबादी विवाह में चूल माटी एवं देवतला जैसे मांगलिक कार्य यहीं करती है। नवरात्रि के दोनों पर्वो में मंदिर का रंग रोंगन कर झालरों से सजाया जाता है। क्वांर नवरात्रि में विगत 15 से भी ज्यादा वर्षो से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है वहीं चैत्र नवरात्रि में धृत एवं तेल ज्योति कलश की स्थापना की जाती है जिसमें दूर दूर से लोग मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना करवाते हैI

नहरिया बाबा मंदिर[संपादित करें]

जांजगीर नैला रेल्वे स्टेशन के समीप यह मंदिर पिछले कुछ समय से लोगों के आस्था का प्रमुख केन्द्र बना हुआ है। यहा हनुमान जी की प्रतिमा है साथ ही साथ शनि देव, शीतला माता, शंकर, राम जानकी का भी मंदिर है।

आवागमन[संपादित करें]

वायु मार्ग

बिलासपुर हवाई अड्डा एवं रायपुर हवाई अड्डे से आसानी से जांजगीर आ सकता है। यहां से पर्यटक आसानी से जांजगीर तक पहुंच सकते हैं। नजदीकी एयरपोर्ट बिलासपुर है।

रेल मार्ग

जांजगीर राज्य की राजधानी रायपुर से 152 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है और रेलमार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। पर्यटकों की सुविधा के लिए जांजगीर में जांजगीर नैला रेलवे स्टेशन का निर्माण भी किया गया है। कोलकाता से मुंबई इसी रेल लाइन से गुजरती है।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग 200 द्वारा पर्यटक आसानी से जांजगीर तक पहुंच सकते हैं। राजमार्ग के अलावा पर्यटक बिलासपुर और रायपुर से भी आसानी से जांजगीर पहुंच सकते हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]