भेद

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भेद, चार उपायों में से एक है। 'भेद' का शाब्दिक अर्थ है - विदारित करना, तोड़ना, अलग-अलग करना, एकता नष्ट करना, किसी को शत्रु पक्ष से अलग करके आत्मसत करना। चाणक्य के अनुसार - "शंकजननं निर्भर्त्सनं च भेदः" (शत्रु के हृदय में शंका पैदा कर देना और बाँट देन ही भेद है)। अग्निपुराण में भेद के प्रकार माने गये हैं- परस्पर स्नेह तथा अनुरग को नष्ट करना, दो पक्षों में संघर्ष उत्पन्न करना, परस्पर फूट डाल देना। [1]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "भेद स्वरूप विमर्श" (PDF). मूल (PDF) से 7 जनवरी 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जनवरी 2023.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]