उत्तानपादासन

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उत्तानपादासन[संपादित करें]

पीठ के बल लेट जायें। हथेलियां भूमि की ओर, पैर सीधे, पंजे मिले हुए हो। अब श्वास अन्दर भरकर पैरों को 1 फुट तक (करीब 30 डिग्री तक) धीरे-धीरे ऊपर उठाये, कुछ समय तक इसी स्थिति में बने रहे। वापस आते समय धीरे-धीरे पैरों को नीचे भूमि पर टिकायें, झटके के साथ नहीं। कुछ आराम कर फिर यह क्रिया कीजिए। इसे 3 - 6 बार करना चाहिये। जिनको कमर में अधिक दर्द रहता हो, वे एक - एक पैर से क्रमशः इस अभ्यास को करें।

लाभ[संपादित करें]

यह आसन आँतों को सबल एवं नीरोग बनाता है तथा कब्ज, गैस, मोटापा आदि को दूर कर जठराग्नि को प्रदीप्त करता है। नाभि का टलना, ह्रदयरोग, पेटदर्द एवं श्वासरोग में भी उपयोगी है। एक-एक पैर से क्रमशः करने पर कमर दर्द में विशेष लाभप्रद है।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]