दौसा

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दौसा
Dausa
नगर
दौसा Dausa is located in राजस्थान
दौसा Dausa
दौसा
Dausa
राजस्थान में स्तिथि
निर्देशांक: 26°53′36″N 76°20′15″E / 26.8932°N 76.3375°E / 26.8932; 76.3375निर्देशांक: 26°53′36″N 76°20′15″E / 26.8932°N 76.3375°E / 26.8932; 76.3375
देश भारत
राज्यराजस्थान
मंडलजयपुर
जिलादौसा
शासन
 • प्रणालीनगर परिषद
 • सभादौसा नगर परिषद
 • सभापतिममता चौधरी (कांग्रेस)
ऊँचाई३२७ मी (१०७३ फीट)
जनसंख्या (२०११)
 • कुल८५९६०
भाषा
 • आधिकारिकहिन्दी
अंग्रेजी
समय मण्डलआइएसटी (यूटीसी+५:३०)
पिन३०३३०३
वाहन पंजीकरणRJ-२९
वेबसाइटdausa.rajasthan.gov.in

दौसा (Dausa) भारत के राजस्थान राज्य के दौसा ज़िले में स्थित

एक नगर है।[1][2]*जिसमें 13 उपखंड है।

यह एक एतिहासिक नगर रहा है । सन 1688 में सौंख के तोमर जाट राजा बनारसी सिंह ने दौसा के किले को जयपुर और मुगलों से युद्व में जीत लिया और बाद में महाराजा हठी सिंह ने यहां चौकियां बनाकर जाट राज्य में मिला लिया । यहां कुंतल जाट वीरों की अनेकों छतरियां बनी हुई हैं जो जाट मुगल संघर्ष में जाटों की वीरता को उल्लेखित करती हैं। राजा हठी सिंह ने यहां कुंतलपुर जट्टा नामक गांव बसाया जो आज भी मौजूद है ।

कुंतल वंश के जाट राजाओं के समय यह क्षेत्र जटवाड़ा सम्राज्य का हिस्सा रहा था।

विवरण[संपादित करें]

दौसा राजस्थान का एक ऐतिहासिक शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह जयपुर से 54 किलोमीटर की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर स्थित है। दौसा लम्बे समय तक बडगुर्जरो के आधिपत्य मे रहा। दौसा के किले का निर्माण भी बड़गुर्जरों ने करवाया। आभानेरी मे स्थित चाँदबावडी का निर्माण भी इन्ही की देन हैं। दौसा दुल्हेराय को दहेज मे प्राप्त हुआ था। दौसा का नाम पास ही की देवगिरी पहाड़ी के नाम पर पड़ा। दौसा कच्छवाह राजपूतों की पहली राजधानी थी। इसके बाद ही उन्होंने आमेर और बाद में जयपुर को अपना मुख्यालय बनाया। 1562 में जब अकबर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जियारत को गए तब वे दौसा में रुके थे। दौसा में ऐतिहासिक महत्व के अनेक स्थान है जो यहाँ के प्राचीन साम्राज्य की याद दिलाते हैं आजादी के बाद सर्व प्रथम जो तिरंगा झंडा लाल किले पर फहराया गया वो दौसा जिले के पास स्थित गांव अलुदा में बनाया गया था। जो दौसा से 10 किमी की दूरी पर है 1947 से पहले, दौसा जयपुर की कछवाहा रियासत का हिस्सा था। दौसा व्यापक रूप से ढुंढाड के नाम से जाने जाने वाले क्षेत्र में स्थित है। चौहानों ने भी 10वीं शताब्दी ईस्वी में इस भूमि पर शासन किया था। दौसा को तत्कालीन ढुनधार क्षेत्र की पहली राजधानी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। चौहान राजा सूध देव ने 996 से 1006 ईस्वी के दौरान इस क्षेत्र पर शासन किया। बाद में, 1006 ईस्वी से 1036 ईस्वी तक, कच्राछवाहा राजा दुल्हे राय ने 30 वर्षों तक इस क्षेत्र पर शासन किया।

दौसा ने देश को प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी दिए हैं। टीकाराम पालीवाल और राम करण जोशी उन स्वतंत्रता सेनानियों में से थे जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई और रियासतों के एकीकरण के लिए राजस्थान राज्य बनाने के लिए अपना बहुमूल्य योगदान दिया। आजादी के बाद 1952 में टीकाराम पालीवाल राजस्थान के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री थे। इसके अलावा, राम करण जोशी राजस्थान के पहले पंचायती राज मंत्री थे जिन्होंने 1952 में विधानसभा में पहला पंचायती राज विधेयक पेश किया था।

कवि सुंदरदास का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को विक्रम संवत 1653 में दौसा में हुआ था। वह एक प्रसिद्ध निर्गुण पंथी संत थे और उन्होंने 42 ग्रन्थ लिखे, जिनमें से ज्ञान सुंदरम और सुंदर विलास प्रसिद्ध हैं।दौसा क्षेत्र में कछवाहा राज्य के संस्थापक दूल्हेराय ने लगभग 1137 ईस्वी में बड़गूजरों को हराकर अपना शासन स्थापित किया था। इसे ढूंढाड़ अंचल के कछवाहा वंश की प्रथम राजधानी बनाया गया। दौसा जिले को जयपुर से पृथक कर 10 अप्रैल 1991 को नया जिला बनाया गया ।

प्रसिद्ध मन्दिर[संपादित करें]

दौसा को देवनगरी के नाम से भी जाना जाता है। झाझीरामपुर प्राकृतिक कुंड और रुद्र, बालाजी तथा अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान दौसा नगर से 45 किलोमीटर की दूरी पर है। पहाड़ियों से घिरी इस जगह की प्राकृतिक और आध्यात्मिक सुंदरता मन को सुकून पहुँचाती है। यह संत सुन्दर दास जी की नगरी है जहां उनका राजस्थान सरकार द्वारा पैनोरमा बनाया गया हैं। पहाड़ी पर प्रसिद्ध नीलकंठ महादेव का मंदिर है। जहां सावन में लखी मेला लगता है।

मेंहदीपुर बालाजी[संपादित करें]

दौसा का प्रसिद्ध मन्दिर श्री मेंहदीपुर बालाजी घाटा मेहंदीपुर में स्थित है। हनुमान जी को समर्पित इस मंदिर का निर्माण श्रीराम गोस्वामी ने करवाया था। हनुमान जयंती, जन्माष्टमी, जल झूलनी एकादशी, दशहरा, शरद पूर्णिमा, दीपावली, मकर संक्रांति, महाशिवरात्रि, होली और रामनवमी यहाँ धूमधाम से मनाए जाते हैं। मेहंदीपुर मंदिर के बारे में माना जाता है कि यहाँ प्रेतराज भूत-प्रेत से संकटग्रस्त लोगों का इलाज करते हैं। दुनिया भर में विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति के बावजूद बड़ी संख्या में लोग इस प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए यहाँ आते हैं। मेहंदीपुर बालाजी आने के लिए सबसे नजदीकी रेल्वे स्टेशन बांदीकुई जंक्शन है जो की मेहंदीपुर बालाजी धाम से मात्र 30 की.मी.है।

हर्साद माताजी का मंदिर[संपादित करें]

माताजी के मंदिर को सचिनी देवी के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह दौसा का एक प्राचीन मंदिर है। देवी दुर्गा को समर्पित इस मंदिर में 12वीं शताब्दी की दुर्लभ मूर्तिकला को देखा जा सकता है। इस मंदिर को औरंगजेब ने तोड दिया था जिसके अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं यह मंदिर 8-9वी शदी का है जो गुर्जर-प्रतिहार शैली में बना हुआ है इस मंदिर के पत्थरों पर उकेरी गई दुर्लभ कला कृतियां पर्यटकों को आकर्षित करती है

नीलकंठ और पंच महादेव[संपादित करें]

नीलकंठ मंदिर

दौसा को देवनगरी के नाम से भी जाना जाता है। दौसा के मंदिर में भगवान शिव के पांच रूप, बैजनाथ, सोमनाथ, गुप्तेश्‍वर, गिर्राजधरण और नीलकंठ, विराजमान हैं। पठार के ऊपर स्थित (नीलकंठ महादेव मंदिर) प्राचीन भव्यता और आध्यात्म का प्रतीक है। यह मंदिर देवगिरी पहाड़ी पर बना है जो उल्टे सूप के आकार का है|

पपलाज माता मन्दिर[संपादित करें]

पपलाज माता मन्दिर लालसोट तहसील के ग्राम घाटा मे स्थित हैं। यह मंदिर जिले का सर्वाधिक लोकप्रिय है। मीणा जाति में इस मंदिर का विशेष महत्व है। यह अरावली पर्वत माला पर जिला मुख्यालय से लगभग 40 कि. मीटर की दूरी पर स्थित है.

देवनारायण भगवान मन्दिर[संपादित करें]

दौसा जिले में गुर्जर जाति के आराध्य भगवान श्री देवनारायण भगवान का बहुत सुंदर मंदिर स्थित हैं। जिसका निर्माण देवनारायण मंदिर निर्माण समिति द्वारा कराया गया हैं। यह नायाब कलाकृति का एक बेजोड़ नमूना हैं। यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं भगवान श्री देवनारायण की महीमा अनंत हैं।

यातायात और परिवहन[संपादित करें]

रेलमार्ग[संपादित करें]

दौसा नगर रेल मार्ग के जरिए देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा है। दौसा जिले में बाँदीकुई का महत्त्वपूर्ण जंक्शन भी जो की जयपुर-दिल्ली-आगरा के मध्य तीनों महानगरों को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण जंक्शन है। आश्रम एक्सप्रेस, पूजा एक्सप्रेस, मंडोर एक्सप्रेस व शताब्दी एक्सप्रेस बांदीकुई जंक्शन पर रोजाना आगमन-प्रस्थान होता है।

सड़क़ मार्ग[संपादित करें]

आगरा और जयपुर को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 21 दौसा ज़िले से होकर गुजरता है। पहले NH 11था जिसको अब बदल दिया गया हैं जयपुर से 55 किलोमीटर दूरी पर हैं

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • दौसा ज़िला
  • यहाँ मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर सिकराय तहसील में है
  • अभानेरी की चाँद बावड़ी बसवा तहसील में है
  • यह NH_21 पर स्थित है
  • यहा रेल मार्ग है
  • इसमें निम्न तहसील है।dausa,mahwa,mandawar,bejupada,baswa,sikrai,nagalrajwtana,lawan,lalsot,ramgarh pachwara,rahuwas .....

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
  2. "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990