चूल्हा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
इण्डोनेशिया का पारम्परिक चूल्हा। भारत में भी कुछ इसी प्रकार के चूल्हें ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी उपयोग किये जाते हैं।
गैस चूल्हा

चूल्हा उष्मा का वह स्रोत है जिससे प्राप्त उष्मा का प्रयोग भोजन पकाने में किया जाता है। चूल्हे कई प्रकार के होते हैं जैसे, मिट्टी का चूल्हा, अंगीठी या सिगड़ी, गैस का चूल्हा और सूक्ष्मतरंग चूल्हा, सौर चूल्हा आदि और इनमे प्रयोग होने वाले ऊर्जा के स्रोत भी भिन्न हो सकते हैं, जैसे लकड़ी, गोबर के उपले, कोयला, द्रवित पेट्रोलियम गैस सौर ऊर्जा और बिजली आदि।

चूल्हा विभिन्न प्रकार के होते हैं और इनमें उपयोग किए जाने वाले ऊर्जा स्रोत भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। मिट्टी के चूल्हे अपने प्राकृतिक स्वरूप के लिए प्रसिद्ध हैं, जबकि गैस चूल्हे आधुनिक विभागों में अधिक प्रचलित हैं। सोलर चूल्हे और सूक्ष्मतरंग चूल्हे नवीनतम प्रौद्योगिकी का उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जो शुद्ध और स्वास्थ्यप्रद विकल्प प्रदान करते हैं। इन चूल्हों के साथ-साथ, ऊर्जा स्रोतों का चयन भी महत्वपूर्ण है, जैसे कि लकड़ी, गोबर के उपले, कोयला, द्रवित पेट्रोलियम गैस, सौर ऊर्जा और बिजली आदि। इनमें से प्रत्येक का अपना अनूठा योगदान होता है और भोजन बनाने में उपयोग होने वाले ऊर्जा स्रोतों का चयन करते समय इस विषय पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

भारत का पारम्परिक चूल्हा

सन्दर्भ[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]