संशोधित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, २००२

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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, १९८६ को शंशोधित करके संशोधित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, २००२ पारित किया गया। इसे भारत के राष्ट्रपति ने २२ दिसम्बर २००२ को अपनी अनुमति दे दी।

उपभोक्‍ता संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2002 में किये गए मुख्‍य संशोधन[संपादित करें]

1. उपभोक्‍ता अदालतों द्वारा निपटाएं जाने वाले मामलों की वित्‍तीय सीमा में सभी स्‍तरों पर वृध्दि कर दी गई है। जिला मंच 20 लाख रूपये, राज्‍य आयोग - 20 लाख रूपये से अधिक और 1 करोड रूपये से अधिक उपभोक्‍ता अदालतों को अंतरिम आदेश पारित करने की शक्ति दे दी गयी है।

2. शिकायतें दर्ज करने, उन पर नोटिस जारी करने, उनके निपटने के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी गई है। जहां तक संभव हो शिकायतों का निपटान 90-150 दिनों के भीतर और किया जाना होता है।

3. सामान्‍यत स्‍थगन की अनुमति नहीं है। स्‍थगन तभी होगा जब यह न्‍यायोंचित है।

4. नोटिस को कोरियर, फैक्‍स, स्‍पीड पोस्‍ट, स्‍पीड आदि द्वारा भेजने की व्‍यवस्‍था की गई है।

5. अध्‍यक्ष को किसी कारण से अनुपस्थिति रहने या उस पद के रिक्‍त होने की स्थिति वरिष्‍टतम सदस्‍य द्वारा उपभोक्‍ता मंच की अध्‍यक्षता किए जाने की व्‍यवस्‍था में की गई है।

6. राष्‍ट्रीय आयोग और राज्‍य आयोग में खंडपीठों के सृजन करने और सर्किट खंडपीठों का आयोजन करने की व्‍यवस्‍था की गई है।

7. यदि शिकायतकर्ता या प्रतिपक्षी पार्टी की मृत्‍यु हो जाए तो उनका कानूनी उत्‍तराधिकारी मामला दायर या जारी रख सकता है।

8. वाणिज्यिक प्रयोंजनों के लिए ली गई सेवाओं को उपभोक्‍ताओं अदालतों के क्षेत्रोंधिकार से अलग रखा जाएगा।

9. नकली वस्‍तुओं / सेवाओं की बिक्री को अनुचित व्‍यवहार के अंतर्गत लाया जाएगा।

10. असुरक्षित वस्‍तुओं की अवधारणा का विस्‍तार किया गया है ओर इसका सेवाओं पर भी लागू किया गया है।

11. अनुचित / अवरोधक व्‍यापार व्‍यवहार में लिप्‍त अथवा जोखिम पूर्ण सेवाओं की पेशकश करने वाले सेवा प्रदाताओं के खिलाफ भी शिकायत की जा सकती है।

12. अदालत द्वारा आदेशित मुआवजे की राशि को उसी रीति से वसूला जा सकता है जिस रीति से भू राजस्‍व वसूला जाता है।

13. न्‍यायलय के आदेश का पालन न करने वालों को दण्‍ड देने के लिए उपभोक्‍ता अदालत को प्रथम श्रेणी के न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट की शक्तियां प्रदान की गई है।

14. निचले स्‍तर पर उपभोक्‍ता आन्‍दोलन को मजबूत करने के लिए जिला स्‍तर पर जिला उपभोक्‍ता संरक्षण परिषदों की स्‍थापना का प्रावधान किया है।

15. पेट्रोल / डीजल सही नाम का मीटर शून्‍य (जीरो) के बाद प्राप्‍त करने का अधिकार बिना मिलावट के पेट्रोल, डीजल, प्राप्‍त करने का अधिकार, पंप में रखे गये फिल्‍टर पेपर से पंप पर जांच करने का अधिकार।

गैस उपभोक्‍ताओं के अधिकार[संपादित करें]

संविधान ने गैस उपभोक्‍ताओं को भी कई अधिकार प्रदान किए है। स्‍वस्‍थ परंपरा का निर्वाह करते हुए श्‍याम गैस ऐजेन्‍सी द्वारा प्रतिवर्ष उपभोक्‍ताओं को प्रशिक्षित एवं जागरूक करने ध्‍येय से अनेकानेक गतिविधियां संचालित की जाती है आइये जाने गैस के संदर्भ में उपभोक्‍ता के क्‍या-क्‍या अधिकार है। गैस उपभोक्‍ता का अधिकार है कि उसे सही तौल मौल के साथ सिलेंडर प्रदाय हो। दोष रहित सामान प्राप्‍त हो। शासन द्वारा निर्धारित दर पर गैस क्रमानुसार प्राप्‍त हो। गैस सही वजन की सील पैक प्राप्‍त करने का अधिकार प्राप्‍त है। डिफेक्‍ट होने पर टंकी बदलने की व्‍यवस्‍था है। रेग्‍युलेटर खराब होने पर निशुल्‍क बदलने का अधिकार।

यदि किसी प्रकार की राशि ली जाती है तो उसका बिल लेने का अधिकार है। उपभोक्‍ता का अधिकार है कि समय-समय पर सूचना प्रशिक्षण एवं जानकारी प्राप्‍त करने का अधिकार, कैसे गैस का रखरखाव करें, वापरें, कैसे बचाएं, आदि सुरक्षात्‍मक जानकारी का अधिकार।

उपभोक्ता जागरूकता[संपादित करें]

उपभोक्‍ताओं के हाथ में दियें गयें इस क्रांतिकारी शस्‍त्र का लाभ भी तभी उपभोक्‍ताओ को मिल सकेगा जबकि उपभोक्‍ता शिक्षित, जागरूक और अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए लडने हेतु तैयार हो। अतः उपभोक्‍ताओं को शिक्षित करने का अभियान में भी शासन ने चला रखा है, तथा संरक्षण आंदोलन को प्रोत्‍साहित करने का संकल्‍प लिया है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]