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जब मरुस्थली भागो में कठोर चट्टानों के ऊपर कोमल संरचना वाली चट्टानें क्षैतिज रूप में बिछी होती हैं, तब कोमल चट्टानों को हवा शीघ्रता से काट देती हैं। चट्टानों में पाई जाने वाली नमी भी अपरदन का एक सहायक कारक बनती हैं। परिणामस्वरुप उनके बीच में पतली घाटियों का निर्माण हो जाता हैं। कठोर चाट्टानी भाग कोमल चट्टनों पर टोपी की तरह अवस्थित रहता हैं। ये ढक्कनदार दवात के समान होते हैं।