लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम, भारत सरकार

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लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम, भारत सरकार भारत सरकार का एक मंत्रालय है।


एम.एस.एम.ई बिज़नेस एमएसएमई किसे कहते है और MSME की परिभाषा क्या है? एमएसएमई किसे कहते है? एमएसएमई कारोबारियों को केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा कई तरह से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र का देश के विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। लघु उद्योग क्षेत्र के योगदान को देखते हुए सरकारी बैंक के साथ ही साथ प्राइवेट क्षेत्र की नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनियां (एनबीएफसी) भी कम ब्याज दर बिजनेस लोन प्रदान कर रही हैं।

एक अहम बात यह है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए उद्योग का एमएसएमई रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य होता है। लघु उद्योग को परिभाषित करने के लिए सरकार द्वारा निश्चित परिभाषाएं निर्धारित की गई हैं। लघु उद्योग की परिभाषा इस तरह की हैं:


एमएसएमई की परिभाषा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को संक्षिप्त रुप में MSME कहा जाता है। 2006 में बने MSME अधिनियम के अनुसार एमएसएमई के प्रकार का निर्धारित किये गए हैं, ये प्रकार निम्न हैं:

MSME के प्रकार मैनुफैक्चरिंग उद्योग (Manufacturing Enterprise)- मैनुफैक्चरिंग उद्योग में नई चीजों को बनाने यानी निर्माण करने का कार्य किया जाता है। सर्विस सेक्टर (Service Enterprise)- सर्विस सेक्टर में मुख्य रुप से सेवा प्रदान करने का कार्य किया जाता है। इसे सेवा क्षेत्र के रुप में भी जाना जाता है। इस सेक्टर में लोगों को और विभिन्न संस्थाओं को सर्विस देने का काम होता है। एमएसएमई के प्रकार समझने के बाद आइए अब आकार यानी साइज के हिसाब से एमएसएमई को समझते है। यह परिभाषा भी MSMED अधिनियम 2006 के अनुसार ही तय की गई है।

सूक्ष्म उद्योग: हम उन सभी उद्योग को सूक्ष्म उद्योग के अंतर्गत रखते है जिन उद्योग में 25 लाख तक के मशीनरी लगी होती है। यह परिभाषा मैनुफैक्चरिंग उद्योग के लिए लागू होती है।

सर्विस सेक्टर के लिए परिभाषा बदल जाती है। सर्विस सेक्टर में मशीनरी या सेटअप में 10 लाख तक निवेश यानी इन्वेस्ट होने पर हम उन्हें सूक्ष्म उद्योग की श्रेणी में रखते है।

मैनुफैक्चरिंग लघु उद्योग: मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में हम उन उद्योगों को लघु उद्योग की श्रेणी में रखते है जिन उद्योग में 25 लाख से 5 करोड़ रुपये तक की मशीनरी खरीद होती है।

सर्विस सेक्टर में लघु उद्योग: सर्विस सेक्टर में उन कारोबार को लघु उद्योग की श्रेणी में रखते हैं जिन कारोबार में 10 लाख से 2 करोड़ के बीच मशीनरी और अन्य चीजों की खरीद होती है।

मध्यम उद्योग: मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में मध्यम उद्योग उन कारोबार को कहा जाता है जिनमें 5 करोड़ से 10 करोड़ के बीच की मशीनरी और अन्य जरूरी चीजों पर खर्च किया जाता है।

सर्विस सेक्टर में मध्यम उद्योग: सर्विस सेक्टर यानी सेवा उद्योग में हम उन कारोबार को मध्यम उद्योग की श्रेणी में रखते है जिनमें अधिकतम 5 करोड़ तक की मशीनरी और अन्य तरह की चीजों की खरीद की जाती है।

इस परिभाषा के अतिरिक्त केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में परिभाषा को एडिट किया गया है। सरकार का तर्क है कि अब उद्योगों को आकार के आधार पर नहीं बल्कि वार्षिक टर्नओवर के आधार पर पहचाना जाना चाहिए। टर्नओवर के आधार पर परिभाषा निम्न है:

सूक्ष्म उद्योग: 5 करोड़ तक सालाना टर्नओवर वाले उद्योग लघु उद्योग: 5 करोड़ से 75 करोड़ तक सालाना टर्नओवर वाले उद्योग मध्यम उद्योग: 75 करोड़ से 250 करोड़ तक सालाना टर्नओवर वाले उद्योग बिजनेस को एमएसएमई में रजिस्टर्ड कैसे करते हैं? ऊपर बताए गए पात्रता मापदंडों पर जितने भी कारोबार खरे उतरते है MSME रजिस्ट्रेशन बहुत आसानी से हो सकता है। MSME पंजीकरण के बाद सरकारी योजना का लाभ प्राप्त करने में मदद मिलती है।

MSME रजिस्ट्रेशन के लिए आपको MSME के अधिकारिक वेबसाइट पर जाना होता है। वेबसाइट पर जाने के बाद आप अपना कारोबार किस श्रेणी में रजिस्टर्ड करना चाहते हैं चुनकर, रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरें और जरूरी कागजात की पीडीऍफ़ फाइल अपलोड करने के बाद फॉर्म सबमिट कर देना होता है।

एमएसएमई में पंजीकरण कराने का एक दूसरा तरीका यह है कि आप किसी रजिस्टर्ड चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) या पंजीकृत वकील द्वारा भी किया जा सकता है।

जानिए एमएसएमई रजिस्ट्रेशन के लिए कौन अप्लाई कर सकता है?

MSME को मिलने वाला ​​लाभ बैंक से बॉन्ड-फ्री लोन की सुविधा लाइसेंस रजिस्ट्रेशन पर छूट की सुविधा ओवरड्रफ्ट पर ब्याज दर में राहत मिलना पेमेंट प्रोटक्शन टेक्नोलॉजी और गुणवत्ता में बढ़ोतरी प्रोडक्ट की मार्केटिंग में सरकारी सुविधा मिलना बैंक से बॉन्ड-फ्री लोन की सुविधा लघु उद्योगों के लिए सरकार द्वारा क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम (CGS) शुरु किया गया है। इस योजना में नए और पुराने उद्योगों को ही जल्दी MSME बिजनेस लोन मिलता है।

लाइसेंस रजिस्ट्रेशन पर छूट की सुविधा MSME उद्योगों लाइसेंस रजिस्ट्रेशन कराने पर 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाती है।

ओवरड्रफ्ट पर ब्याज दर में राहत मिलना बैंक द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि MSME के ​​तहत पंजीकृत उद्यमों को OD (ओवरड्राफ्ट) में ब्याज पर कम से कम 1% की राहत मिले।

पेमेंट प्रोटक्शन न की गई है कि एमएसएमई रजिस्टर्ड उद्यमों का बिजनेस लोन पास होने के बाद बैंक द्वारा पेमेंट में किसी भी तरह की देरी होने पर चक्रवृद्धि ब्याज अनुसार उद्योगों को ब्याज मिलेगा।

टेक्नोलॉजी और गुणवत्ता में बढ़ोतरी MSME रजिस्टर्ड उद्योगों के लिए भारत सरकार स्वच्छ ऊर्जा को लागू कर रही है। प्रोडक्ट के बेहतर गुणवत्ता के लिए क्वॉलिटी बढ़ाने पर कार्य किया जा रहा है।

प्रोडक्ट की मार्केटिंग में सरकारी सुविधा मिलना भारतीय प्रोडक्ट को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए केन्द्रीय सरकार प्रयास कर रही है। उद्योगों को अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग और ब्रांडिंग करने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक और माध्यमगत सहायता दी जा रही है