उत्प्रेक्षा अलंकार

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परिभाषा - जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।[1]

पहचान - जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि। शब्द अगर किसी अलंकार में आते है तो वह उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

अलंकार चन्द्रोदय के अनुसार हिन्दी कविता में प्रयुक्त एक अलंकार

उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उनका लगा
मानो हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा।


सोहत ओढ़े पीत पर, स्याम सलोने गात।

मनहु नील मनि सैण पर, आतप परयौ प्रभात।।


  1. "उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा,15 उदाहरण सहित | Utpreksha Alankar" (अंग्रेज़ी में). 2020-10-06. अभिगमन तिथि 2023-02-15.