सिद्धिदास महाजु

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सिद्धिदास महाजु
जन्मनेपाल संबत ९८७, यंलागा दुतिया
केल त्वाः, काठमाडौं
मौतनेपाल संबत १०५०, कछलागा बालाचह्रे
भाषानेपालभाषा
राष्ट्रीयतानेपाली
कालपुनर्जागरण
विधागद्य, कहानी
आंदोलननेपाल भाषा पुनर्जागरण

सिद्धिदास महाजु (सिद्धिदास अमात्य) नेपालभाषा के महाकवि है। उन्हे नेपालभाषा पुनर्जागरण का चार स्तम्भ मै एक के रूप मै भी लेते है। नेपालभाषा मै आधुनिक कविता एवम्‌ आधुनिक कथा लेखन के सुरुवात मै इनका बडा हात था। उन्हौंने रामायण को नेपालभाषा मै अनुवाद किया था।

व्यक्तिगत जीवनी[संपादित करें]

इनका जन्म ने॰स॰ ९८७ यंलागा दुतिया दे दिन हुवा था। इनका पिता का नाम लक्ष्मीनारायण महाजु व माता का नाम हर्षलक्ष्मी महाजु था। वेह‌ क्वाछेँ ननि, केल त्वाः, काठमाडौंमै रहते थे। इनका विवाह गंगादेवी/ हाकुनानी से हुवा था। इनका देहान्त ने॰स॰ १०५० कछलागा बालाचह्रे मे हुवा था।

कृति[संपादित करें]

इनका कृति इस प्रकार है-

  • सज्जन हृदयाभरण
  • सत्यसति
  • सिद्धि रामायण
  • शुकरम्भा संवाद

प्रसिद्ध वाणी[संपादित करें]

इन के वाणी "भाषा म्वाःसा जाति म्वाइ" (भाषा जीवित रहेगा तो जाति जीवित रहेगा) नेपालभाषा साहित्य का एक बहुत प्रभावशाली वाक्य है। किसी भी जाति, प्रजाति या सभ्यता के अस्तित्व के लिए भाषा अपरिहार्य है। इस वाणी के अनुसार सभ्यता के विकास के मापन के लिए सभ्यता का भाषा साहित्य को मापना अपरिहार्य है।

देखें[संपादित करें]