कोण

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

"यदि कोई रेखा अपने एक सिरे को स्थिर रखकर घूमती हुई अपनी स्थिति में परिवर्तन करती है, तो रेखा के परिक्रमण की माप को कोण कहते है। "

∠, कोण का प्रतीक

ज्यामिति में कोण (Angle) वह आकृति है जो एकबिन्दु से दो सरल रेखाओं के निकलने पर बनती है।

कोणों के चिन्ह (धन एवं ऋण) :[संपादित करें]

कोई भी कोण परिक्रामी रेखा (Revolving Line) द्वारा दो प्रकार से अनुरेखित किया जा सकता है -

"यदि परिक्रामी रेखा वामावर्त (Anti Clock Wise) दिशा घूमकर कोण बनाती है तो इस प्रकार से बना कोण धनात्मक (Positive) होता है। "

"यदि परिक्रामी रेखा दक्षिणावर्त(Clock Wise) दिशा घूमकर कोण बनाती है तो इस प्रकार से बना कोण ऋणात्मक (Nagative) होता है। "

धन एवं ऋण कोणों को उनकी राशियों के आगे '+' या '-' का चिह्न लगाकर प्रदर्शित किया जाता है।

कोणों के प्रकार:------

1:- शून्य कोण:- वह कोण जिसका मान 0° होता है उसे शून्य कोण कहते हैं।

2-न्यूनकोण:- जिस कोण का मान 0° से बड़ा और 90°से छोटा हो। उसे न्यूनकोण कहते हैं।

3:- समकोण:- जिस कोण का मान 90° होता है। उसे समकोण कहते हैं।

4:- अधिककोण:- जिस कोण का मान 90° से बड़ा और 180° से छोटा हो।उसे अधिककोण कहते हैं।

5:ऋजुरेखीय कोण:- जिस कोण का मान 180° हो। उसे ऋजुरेखीय कोण कहते हैं।

6:- वृहत्तकोण:- जिस कोण का मान 180° से बड़ा और 360° से छोटा हो। उसे वृहत्तकोण कहते हैं।

7:- पूर्णकोण:- जिस कोण का मान 360°हो। उसे पूर्णकोण कहते हैं।

8:- कोटिपुरक कोण या पूरक कोण:-दो कोणों का योगफल 90° हो, तो उन्हें कोटिपुरक कोण कहते हैं।

9:-सम्पूरक कोण:- दो कोणों का योगफल 180° हो, तो उन्हें सम्पूरक कोण कहते हैं।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]