चरमपसंदी

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स्पेन की रिओ तिन्तो (नदी) जिसके तेज़ाब-युक्त पानी को उसमें रह रहे चरमपसंदी जीवाणु एक पीला-नारंगी सा रंग दे देते हैं

चरमपसंदी ऐसे जीव को कहा जाता है, जो ऐसे चरम वातावरण में फलता-फूलता हो जहाँ पृथ्वी पर रहने वाले साधारण जीव बहुत कठिनाई से जीवित रह पाते हो या बिलकुल ही रह न सके।[1][2] ऐसे चरम वातावरणों में ज्वालामुखी चश्मों का खौलता-उबलता हुऐ पानी, तेज़ाब से भरपूर वातावरण और आरसॅनिक जैसे ज़हरीले पदार्थों से युक्त वातावरण शामिल हैं।

अन्य भाषाओं में[संपादित करें]

चरमपसंदी जीवों को अंग्रेज़ी में "ऍक्स्ट्रीमोफ़ाइल" (extremophile) कहते हैं।

क़िस्मे[संपादित करें]

चरमपसंदी जीव कई प्रकार के होते हैं, जो भिन्न प्रकार के चरम वातावरणों में पनप सकते हैं -

  • अम्लपसंदी - यह जीव तेज़ाब (अम्ल) युक्त वातावरणों में पनपते हैं जहाँ पी॰एच॰ ३.० से कम हो (यानि बहुत ही अम्लीय हो); अंग्रेज़ी में इन्हें "ऐसिडोफ़ाइल" कहते हैं।
  • क्षारपसंदी - यह जीव क्षार (ऐल्कली) युक्त वातावरणों में पनपते हैं जहाँ पी॰एच॰ ९.० या ९.० से अधिक हो; अंग्रेज़ी में इन्हें "ऐल्कलीफ़ाइल" कहते हैं।
  • लवणपसंदी - यह जीव बहुत ही नमकीन (NaCl-युक्त) वातावरण पसंद करते हैं जहाँ नमक का सान्द्रण (कॉन्सॅन्ट्रेशन) ०.२ मोल प्रति लीटर से अधिक हो; अंग्रेज़ी में इन्हें "हेलोफ़ाइल" कहते हैं।
  • ऊष्मपसंदी - यह जीव ६०-८० °सेंटीग्रेड का तापमान पसंद करते हैं; अंग्रेज़ी में इन्हें "थ़र्मोफ़ाइल" बुलाते हैं।
  • अतिऊष्मपसंदी - यह जीव ८०-१२२ °सेंटीग्रेड का तापमान पसंद करते हैं, जो अक्सर खौलते ज्वालामुखीय चश्मों के पानी में पाया जाता है; अंग्रेज़ी में इन्हें "हाइपरथ़र्मोफ़ाइल" कहते हैं।
  • शीतपसंदी - यह जीव -१५ °सेंटीग्रेड या उस से भी ठन्डे वातावरणों में लम्बे अरसों तक रह के फल-फूल सकते हैं; अंग्रेज़ी में इन्हें "क्रायोफ़ाइल" या "सायक्रोफ़ाइल" कहते हैं।
  • दबावपसंदी - यह जीव अत्यधिक दबाव वाला वातावरण पसंद करते हैं, जैसे की महासागरों की तहों में सतह से मीलों नीचे गहरी खाइयों में पाया जाता है; अंग्रेज़ी में इन्हें "पीट्ज़ोफ़ाइल" कहते हैं।
  • शुष्कपसंदी - यह जीव बहुत ही सूखे वातावरणों में रह सकते हैं - इस श्रेणी के सूक्ष्मजीव चिली के प्रसिद्ध आताकामा रेगिस्तान की मिटटी में मिलते हैं; अंग्रेज़ी में इन्हें "ज़ॅरोफ़ाइल" कहते हैं।
  • रेडियोसहनी या विकिरण सहनशील - यह जीव आयनकारी विकिरण (रेडियेशन) से ग्रस्त वातावरणों में जीवित रह सकते हैं, जैसे पराबैंगनी विकिरण या नाभिकीय विकिरण (न्यूक्लीयर रेडियेशन) की स्थितियों में; अंग्रेज़ी में इन्हें "रेडियो रॅज़िस्टॅन्ट" जीव बुलाते हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Rampelotto, P. H. (2010). Resistance of microorganisms to extreme environmental conditions and its contribution to Astrobiology. Sustainability, 2, 1602-1623.
  2. Rothschild, L.J.; Mancinelli, R.L. Life in extreme environments. Nature 2001, 409, 1092-1101