बीकानेर के मेले

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पर्व एवं त्योहार[संपादित करें]

यहाँ हिंदुओं के त्योहारों में शील-सप्तमी, अक्षय तृतीया, रक्षा बंधन, दशहरा, दिवाली और होली मुख्य हैं। राजस्थान के अन्य राज्यों की तरह यहाँ गनगौर, दशहरा, नवरात्रा, रामनवमी, शिवरात्री, गणेश चतुर्थी आदि पर्व भी हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। तीज का यहाँ विशेष महत्व है। गनगौर एवं तीज स्रियों के मुख्य त्योहार हैं। रक्षाबंधन विशेषकर ब्राह्मणों का तथा दशहरा क्षत्रियों का त्योहार है। दशहरे के दिन बड़ी धूम-धाम के साथ महाराजा की सवारी निकलती है। मुसलमानों के मुख्य त्योहार मुहरर्म, ईदुलफितर, ईद उलजुहा, शबेबरात, बारह रबीउलअव्वल आदि है। महावीर जयंती एवं परयुशन जैनों द्वारा मनाया जाता है। यहाँ के सिख देश के अन्य भागों की तरह वैशाखी, गुरु नानक जयंती तथा गुरु गोविंद जयंती उत्साह के साथ मनाते है।

मेले[संपादित करें]

बीकानेर के सामाजिक जीवन में मेलों का विशेष महत्व है। ज्यादातर मेले किसी धार्मिक स्थान पर लगाए जाते हैं। ये मेले स्थानीय व्यापार, खरीद-बिक्री, आदान-प्रदान के मुख्य केन्द्र हैं। महत्वपूर्ण मेले निम्नलिखित हैं-


कतरियासर जसनाथ जी का मेला

कतरियासर गाँव में जसनाथ जी महाराज जो जसनाथ सम्प्रदाय के आराधना देव हैं इस सम्प्रदाय के लोग ज्यादातर जाट जाति के लोग हैं तथा अन्य जातियाँ के लोग भी हैं तथा कतरियासर गावँ में जसनाथ जी का भव्य मंदिर है जहाँ भव्य मेला लगता हैं भक्तगण बाड़मेर, नागौर, चुरू, जोधपुर, जैसलमेर, सीकर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, झुंझुनूं, हरियाणा तथा पंजाब व उत्तरप्रदेश से आते हैं यहाँ ओर विश्व प्रसिद्ध अग्नि नृत्य होता हैं जो धधकते अंगारो पर किया जाता हैं जो एक चमत्कार हैं जसनाथ जी महाराज का जो देखने लायक हैं अग्नि नृत्य के बीच फ़र्हे फ़र्हे(फतेह-फतेह) का घोष किया जाता हैं व साथ ही में सिंभुदड़ा का पाठन किया जाता हैं कतरियासर गाँव में जसनाथजी के मंदिर के अलावा सती माता काळलदेजी(जसनाथ जी महाराज की अर्धांगनी) का पवित्र मंदिर हैं जहाँ इनका भी भव्य मेला भरता हैं जसनाथ जी महाराज के 36 नियम हैं जिसमे पर्यावरण, वन्य जीव जंतुओं का संरक्षण, आदि के बारे में लोगों को जागरूक किया गया हैं

कोलायत मेला -[संपादित करें]

यह मेला प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्लपक्ष के अंतिम दिनों में श्री कोलायत जी में होता है और पूर्णिमा के दिन मुख्य माना जाता है। यहाँ कपिलेश्वर मुनि के आश्रम होने के कारण इस स्थान का महत्व बढ़ गया है। ग्रामीण लोग काफी संख्या में यहाँ जुटते है तथा पवित्र झील में स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि कपिल मुनि, जो ब्रह्मा के पुत्र हैं ने अपनी उत्तर-पूर्व की यात्रा के दौरान स्थान के प्राकृतिक सुंदरता के कारण तप के लिए उपर्युक्त समक्षा। मेले की मुख्य विशेषता इसकी दीप-मालिका है। दीपों को आटे से बनाया जाता है जिसमें दीपक जलाकर तालाब में प्रवाह कर दिया है। यहाँ हर साल लगभग एक लाख तक की भीड़ इकढ्ढा होती है।

मुकाम मेला -[संपादित करें]

नोखा तहसील में मुकाम नामक गाँव में एक भव्य मेला लगता है। यह मेला श्री जंभेश्वर जी की स्मृति में होता है, जिन्हें बिश्नोई संप्रदाय का स्थापक माना जाता है। फाल्गुन अमावस्या के दिन मेला भरता हैं। लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए देश के विभिन्न भागों से आते है। पर्यावरण एवं वन्य जीव प्रेमी बिश्नोई समाज के लिए मुकाम अंत्यत पवित्र स्थान हैं।

देशनोक मेला -[संपादित करें]

यह मेला चैत सुदी १-१० तक तथा आश्विन १-१० दिनों तक करणी जी की स्मृति में लगता है। ये एक चारण स्री हैं जिनके विषय में ऐसा माना जाता है कि इनमें दैविय शक्ति विद्यमान थी। देश के विभिन्न हिस्सों से इनका आशीर्वाद लेने के लिए लोगों ताँता लगा रहता है। यहाँ लगभग ३०,००० हजार लोगों तक की भीड़ इकठ्ठा होती है।

नागिनी जी मेला -[संपादित करें]

देवी नागिनी जी स्मृति में आयोजित यह मेला भादों के धावी अमावश में होता है। इसमें लगभग १०,००० श्रद्धालुगण आते है जिनमें ब्राह्मणों की संख्या अधिक होती है।

यहाँ के अन्य महत्वपूर्ण मेलो में कतरियासर का मरु मेला, तीज मेला, शिवबाड़ी मेला, नरसिंह चर्तुदशी मेला, सुजनदेसर मेला, केनयार मेला, जेठ भुट्टा मेला, कोड़मदेसर मेला, दादाजी का मेला, रीदमालसार मेला, धूणीनाथ का मेला आदि हैं।

सीसा भैरू-[संपादित करें]

तीन दिवसीय चलने वाले मेले का आयोजन भैरू भक्त मण्डल पारीक चौक सोनगिरी कुआं, डागा चौक अनेक स्थानों से लोगो का बाबा भैरूनाथ के दर्शन के लिए आते है शहर के साथ-साथ नापासर, नौखा ग्रामिण क्षेत्रों से पैदल यात्री जत्थों के साथ भैरूनाथ के जयकारे के साथ सीसाभैरव आते है इस मेले की विशेषता यह है कि यहाँ एक विशाल हवन का आयोजन किया जाता है। इसमें लगभग 5,००० श्रद्धालुगण आते है जिनमें ब्राह्मणों की संख्या अधिक होती है। यह मेला भादों में होता है। देश के विभिन्न हिस्सों से इनका आशीर्वाद लेने के लिए लोगों ताँता लगा रहता है।

श्री लाधूनाथ जी मेलाः[संपादित करें]

राजस्थान के मशहूर लोक देवता एवं आदिवासी नायक(भील/Bhil) समाज के प्रिय देवता श्री श्री लाधूनाथ जी महाराज का उत्तर पश्चिम राजस्थान का सबसे बड़ा आदिवासी मेला है। बीकानेर जिले में मसूरी गाँव में लगता है। यह राजस्थान के मशहूर संत एवं लोक देवता के रूप में पूजे जाते हैं इन्होंने अपने जीवन में अनेक ग्रंथों की रचनाएं की यह लोग देवता होने के साथ-साथ बहुत बड़े संत भी थे इन के मेले में नायक समाज के लोगों की अधिकता दिखाई देती है यह राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा मेला है इस मेले में कई समाज के लोग आते हैं श्री लादू नाथ जी महाराज एक चमत्कारी और बहुत बड़े संत के रूप में माने जाते हैं इनका मेला बड़ी धूम-धाम से और मनोरंजन का एक प्रमुख स्थान है।