सावित्री (पुस्तक)

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सावित्री (Savitri: A Legend and a Symbol) महर्षि अरविन्द द्वारा रचित अंग्रेजी महाकाव्य है। यह महाभारत की एक कथा पर आधारित है। यह महाकाव्य महर्षि अरविन्द के देहावसान के समय अपूर्ण था जिसमें कुल लगभग 24,000 पंक्तियाँ हैं।

इस ग्रन्थ का अनुवाद विश्व की कई भाषाओ में हुआ है। इसको लिखने में श्रीअरविन्द को २४ वर्ष लगे। श्री नीरदवरण के अनुसार सावित्री को श्रीअरविन्द ने १२ बार लिखा था - इसलिए कि योगबल से श्रीअरविन्द चेतना के आकाश मे ज्यों-ज्यों ऊपर उठते गए सावित्री का संशोधन अनिवार्य होता गाया| श्री अरविंद के अनुसार सत्य तक जाने का सही मार्ग दर्शन नहीं, काव्य का मार्ग है| श्री रामधारी सिंह 'दिनकर' के अनुसार सावित्री मेधा का काव्य नहीं है, कोई भी विलक्षण काव्य केवल मेधा के बल पर नहीं लिखा जाता| वस्तुतः जिस लोक की छोटी सी प्रकाश कणिका महाकवियों के मन को उदभाषित करके उनसे अलौकिक काव्य का निर्माण करती है, सावित्री प्रणयन उसी लोक के सूर्य के साथ बैठ कर किया गया है या क्या पता, श्री अरविंद उस सूर्य के साथ एकाकार हो गए हों|

सावित्री की योजना[संपादित करें]

सावित्री में ३ खण्ड हैं। प्रथम खण्ड 'आदि पर्व' में ३ पर्व हैं जिसमें सृष्टि के पुनर्जन्म, उसकी समस्या और अश्वपति की साधना का विस्तार से वर्णन है। साथ ही भगवती माता का पर्व है। खण्ड दो में सावित्री के जन्म का पर्व, प्रेम पर्व, भाग्य पर्व, योग पर्व और मृत्यु पर्व सम्मिलित किये गये हैं। खण्ड तीन में चार पर्व हैं शाश्वत रात का पर्व, दोहरी द्वाभा का पर्व, शाश्वत्‌ दिवस का पर्व और उपसंहार। इन सबको मिलाकर ही पूर्ण योग की योजना बनती है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]