कुण्डलिनी
पठन सेटिंग्स
(कुंडलिनी से अनुप्रेषित)
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![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/c/c7/DiagrammaChakraKundalini.jpg/220px-DiagrammaChakraKundalini.jpg)
योग सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक मनुष्य के मेरुदंड के नीचे एक ऊर्जा संग्रहीत होती है जिसके जाग्रत होने पर आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।दिव्यांशु पाठक के अनुसार कुण्डलिनी महाशक्ति दिव्य ऋतम्भरा प्रज्ञा प्रदान करती है साथ ही यह योगीयों के लिए आदिशक्ति हैं। इसका ज़िक्र उपनिषदों और शाक्त विचारधारा के अन्दर कई बार आया है। दरअसल मूलाधार चक्र के सबसे नीचे एक ऊर्जा रूप शिवलिंग की आकृति होती है जिस पर एक सर्पआकृति ऊर्जा साढ़े तीन वलय लेकर लिपटी है । इसका फ़ण इस लिंग के मुण्ड पर फैला है। इस सरपाकृति ऊर्जा के फ़न को मानसिक शक्ति से सभी ऊपर के चक्रों से निकालकर सहस्रार के अतमत्व से समता है है तो ब्रह्म दर्शन होता है।यही कुंडलिनी साधना है ।
इसके अनुसार ध्यान और आसन करने से, - दीवान गोकुलचन्द्र कपूर)é