डीज़ल

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डीज़ल एक प्रकार का उदप्रांगार ईंधन है जो पेट्रोलियम को कई चरणों में ठंडा करने से एक चरण (२००-३५० C) में बनता है। इसका उपयोग वाहनों, मशीनों, संयत्रों आदि को चलाने के लिए ईंधन के रूप मे किया जाता है। इसका प्रयोग भारी वाहनों तथा तापज्वलित यानि संपीडित वायु में उड़ेलने से हुए स्वतः दहन इंजनों में इस्तेमाल होता है। प्रति लीटर इसमें पेट्रोल के बराबर रासायनिक ऊर्जा होती है। इसके द्वारा चालित इंजनों में नाट्रोजन आक्साईड तथा कालिख के कण अधिक होते हैं, जिसकी वजह से प्रदूषण को नियंत्रित करना मुश्किल होता है। इसलिए इसके स्थान पर जैविक पदार्थों से बने तेल, जिन्हें जैव डीज़ल कहा जाता है, का इस्तेमाल शुरु हुआ है। डीज़ल शब्द का इस्तेमाल इस विस्थापित तेल के लिए भी होता है।

भारत में इस पर पेट्रोल के मुकाबले कम कर लिया जाता है जिसकी वजह से ये पेट्रोल से सस्ता होता है। इसके विपरीत कई देशों में इसके इस्तेमाल को कम करने के उद्देश्य से अधिक कर लगाया जाता है।

इतिहास[संपादित करें]

इसका नाम जर्मन आविष्कारक रुडोल्फ़ डीज़ल के नाम पर पड़ा है जिसने 1892 में डीज़ल इंजन के लिए पेटेंट लिया।

गुण[संपादित करें]

डीज़ल सामान्यतः द्रव रूप में पाया जाता है जिसमें कई उदप्रांगार रहते हैं। इस द्रव का घनत्व 820 ग्रान प्रति लीटर, यानि लगभग 820 किग्रा/मी3 होता है तथा इसका वाष्पीकरण 150-300 डिग्री सेन्टीग्रेड पर होता है। इसकी रचना कई उदप्रांगार के मिश्रण से होती है जिसमें खुली कड़ी तथा सुगंधित गोल कड़ी के कार्बन परमाणुओं से बने उदप्रांगार शामिल हैं। इसका औसत रासायनिक सूत्र C12H23 माना जाता है। इसमें प्रति लीटर ऊर्जा 43.18 मेगाजूल होती है जो पेट्रोल से थोड़ी अधिक है पर प्रति किलो दोनों में समान ऊर्जा रहती है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]