जॉर्ज अब्राहम

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जॉर्ज अब्राहम (क्रिकेटर)[संपादित करें]

जॉर्ज अब्राहम विश्व दृष्टिहीन क्रिकेट परिषद/ World Blind Cricket Council (WBCC) और एसोसिएशन फॉर क्रिकेट फॉर थे ब्लाइंड इन इंडिया/ Association for Cricket for the Blind in India (ACBI) के अध्यक्ष हैं। वह स्कोर फाउंडेशन, नई दिल्ली के संस्थापक भी है

प्रारंभिक वर्ष[संपादित करें]

इब्राहीम का जन्म लंदन में 31 अक्टूबर 1958 को हुआ। उनके पिता केरल के एक इंजीनियर थे। दस महीने की उम्र में, मैनिंजाइटिस नामक दिमागी बुखार के कारण उनकी ऑप्टिक तंत्रिका और रेटिना खराब हो गया और इसके चलते वो दृष्टिहीन हो गए। दो साल की उम्र में अब्राहम का परिवार भारत वापस आया। इसी दौरान इनेक मत पिता ने निर्णय लिया की वो अपने बेटे का भविष्य अच्छी तरह से संवारेंगे। अब्राहम को एक आम स्कूल में ही भेज गया। इस निर्णय की वजह से कई चुनौतियां सामने आईे। जैसे जैसे अब्राहम की स्चूली शिक्षा लखनऊ के ला मार्तिनैर, दिल्ली के फ्रैंक एंथोनी और हुबली के केंद्रीय विद्यालय में चलती रही, उन्हें कई दिक्कतें आई अपने सहपाठियों के साथ शैक्षिक तौर पे कदम से कदम मिलाकर चलने में। अब्राहम को स्कूल की किताबें पढने में काफी परेशानी होती थी लेकिन उनके माता पिता का इरादा पक्का था। अपने स्कूल के दोस्तों के साथ अब्राहम संयुक्त शिक्षा किया करते थे। उनकी माँ स्कूल की किताबे उनके लिए पढ़ा करती थी और पिता गणित पढ़ाया करते थे। अपने बेटे में आत्म विश्वास जगाने जो आगे जाकर उसकी सबसे बड़ी ताक़त बना। वाद विवाद करने में तेज़ अब्राहम एक समर्पित खिलाड़ी रह। क्रिकेट के लिए उनका जोश कभी भी कम नहीं रहा।

शिक्षा और कैरियर[संपादित करें]

जॉर्ज अब्राहम ने दिल्ली के प्रतिष्ठित सैंट स्टीफन कॉलेज से गणित में ग्रेजुएशन की। बाद में आपरेशन अनुसंधान में मास्टर्स डिग्री ली।

व्यवसाय[संपादित करें]

अब्राहम ने अपना करियर ASP (एडवरटाइजिंग एंड सेल्स प्रमोशन कंपनी) के साथ दिलली में शुरू किया। 1985 में उन्होंने एडवरटाइजिंग फर्म औगिल्वय, बेंसन एंड माथेर के साथ मुंबई में अकाउंट एग्जीक्यूटिव के तौर पे काम किया। नयी दिल्ली में आने के बाद अब्राहम ने फ्रीलांस कंसलटेंट, कंसलटेंट प्लानिंग, कम्युनिकेशन मटेरियल बनाने, कम्युनिकेशन स्किल्स ट्रेनर, सेमिनार्स का आयोजन और प्रेरणादायक वक्ता होने का कार्यभार संभाला।

Blind cricket[संपादित करें]

1989 में जॉर्ज अब्राहम दिल्ली के स्कूल फॉर द ब्लाइंड गए। वहाँ जाकर उन्हें समझ आया की वहां बच्चों को कम उनकी क्षमता के कम होने का, विकलांग होने का एहसास दिलाया जा रहा था और इस चीज़ का विश्वास दिलाया जा रहा था की उनके लिए मौके कम या नामात्र हैं। इसका बहुत गहरा असर हुआ। अब्राहम को समजुह आया की दृष्टिहीनता से झूझते व्यक्ति को मौकों की ज़रुरत है ना की सहानुभूति की। उन्हें एक मौका चाहिए बराबरी का, उत्पादक बनने का, आत्म निर्भर और अपने सपने साकार करने का। अब्राहम ने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपना जीवन दृष्टिहीन लोगों के साथ काम करने के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया। देहरादून के नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर विज़ुअली हैंडीकैप्ड जाकर अब्राहम ने दृष्टिहीन छात्रों को क्रिकेट खेलते देखा। इससे अब्राहम प्ररित हुए और उनका ध्यान क्रिकेट को एक अच्छे उपकरण की तरह उपयोग में लाने की ओर गया। शारीरिक फिटनेस, मुद्रा और गतिशीलता बढाने के साथ साथ इससे बच्चों में नेतृत्व, अनुशासन, महत्वाकांक्षा, आत्मविश्वास, टीम में काम करने, प्रतिस्पर्धा की भावना जैसे गुणों का विकास करना आसान हो सकता है। इससे समाज को भी दृष्टिहीन जानो को लेकर एक नया उदहारण, एक सकारत्मक और करवाई उन्मुक्त सोच मिलेगी। मार्च 1990 में अब्राहम ने जाने माने क्रिकेटर सुनील गावस्कर को लिखा और दृष्टिहीन साथियों के लिए पहला राष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन करने की इच्छा जताई। गावस्कर ने किसी भी तरह की मदद करने के लिए हामी देने में देर नहीं लगाईं। दिसम्बर 1990 आने तक, टाटा स्टील, कोलगेट पामोलिव, रिकार्ड लिम्का बुक और दिल्ली रोटरी क्लब की मदद से दृष्टिहीन जानो के लिए देश का सबसे पहला टाटा स्टील क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजित किया गया। राजनेता और उस समय के बीसीसीआई अध्यक्ष माधवराव सिंधिया इसके एक संरक्षक बन गए। कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी और रूसी मोदी भी यहाँ उपस्थित थे। ये आयोजन सालाना होने लगा और Coca-Cola, Brooke Bond, Hindustan Lever Limited, Lipton, Kirloskar Electricals and Titan Watches जैसे बड़े नाम इसके स्पोंसेर्स रहे। 1996 में इस कार्य को गति देने के लिए, अब्राहम ने एसोसिएशन फॉर क्रीच्केट फॉर थे ब्लाइंड इन इंडिया (ACBI) की स्थापना की। इसी साल, अब्राहम ने वर्ल्ड ब्लाइंड क्रिकेट काउन्सल (WBCC) की स्थापना करने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में ये पहला ब्लाइंड क्रिकेट विश्व कप नवंबर 1998 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया। सात देशों ने इसमें भाग लिया। भारत और ऑस्ट्रेलिया के दो सेमी फाइनलिस्ट रहे। दक्षिण अफ्रीका के फाइनल में पाकिस्तान को हराया। दूसरा ब्लाइंड क्रिकेट विश्व कप दिसंबर 2002 में चेन्नई, भारत में आयोजित किया गया। पाकिस्तान ने फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हरा दिया। पाकिस्तान के इस्लामाबाद में 2006 में तीसरे विश्व कप की मेजबानी की और पाकिस्तान ने फाइनल जीता। चौथे विश्व कप 2011 में हुआ। क्रिकेट के विकास को ध्यान में रखते हुए, ACBI ने नई दिल्ली में पहले भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट लीग (IBCL) 2010 की मेजबानी की। ये खेल लीग-कम-नाक आउट आधार पे खेल गया। तभी से IBCL दृष्टिहीन लोगों द्वारा खेले जाने वाले क्रिकेट में क्रांतिकारी बदलाव के लिए तैयार शुरू हुई।

स्कोर फाउंडेशन/प्रोजेक्ट आईवे[संपादित करें]

साल 2002 में, अब्राहम ने स्कोर फाउंडेशन की स्थापना की जो की एक गैर लाभकारी संगठन है। इस संस्था द्वारा प्रोजेक्ट आईवे लांच किया गया। प्रोजेक्ट आईवे दृष्टिहीनता और अल्प दृष्टि से जुडी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए एक केंद्र है। आईवे के कई चनेल्स हैं जैसे वेबसाइट www.eyeway.org, एक साप्ताहिक रेडियो कार्यक्रम भारत में 30 शहरों से प्रसारित किया जाता है जो 'आईवे ये हैं रौशनी का कारवां' शामिल के नाम जाना जाता है, आईवे सीधी तरह से दृष्टिहीनता से जुडा हुआ है एडवोकेसी डिपार्टमेंट के ज़रिये, रोज़गार से जुडी जानकारी आईवे एस एम एस अलर्टस के द्वारा पायी जा सकती है, इसके अलावा आईवे Talking Book सर्विस देता है और कई सेमिनार्स और कार्यशालाएं आयोजित करता है। आईवे जून या जुलाई 2013 से अपने टीवी सीरियल को लोगों तक पहुंचाने की तैयारी में जुटा है। सपना दृष्टिहीनता से जुडी जानकारी को लेकर देश के हर घर तक पहुँचने का है। उद्देश्य जानकारी को लोगों तक जानकारीपूर्ण, प्रेरणादायक और सशक्त तरीके से पहुंचाने का है। अब्राहम मानते हैं कि असली समस्या दृष्टिहीनता नहीं है कि उनके दृष्टिकोण के साथ हैं, मानसिकता के साथ है। प्रोजेक्ट आईवे इसी कोशिश में लगा रहता है कि किस तरह ज्ञान के ज़रिये दृष्टिहीन से जुडी रूडिवादी सोच को बदला जा सके।

Magiktuch[संपादित करें]

2004 में अपने एक दोस्त नवरोज़ धोंडी के साथ मिलकर अब्राहम ने Magiktouch Talent Management PVT LTD की स्थापना की उन संगीतकारों की कला पहचानने, उस पर काम करने और उसे बढ़ावा देने के लिए जो दृष्टिहीन हैं। इसके लिए नयी दिल्ली, अहमदाबाद, कोलकता, वाशिंगटन और अम्मान में कंसर्ट्स किये गए।

विकलांगता अधिकार आंदोलन[संपादित करें]

अब्राहम सक्रिय रूप से उस मुहीम का हिस्सा रहे जिसने भारत में निशक्त जन अधिनियम 1995 और 2001 में हुए विकलांगता के समावेश भारतीय राष्ट्रीय जनगणना जैसे अभियान चलाये।

समुदाय आउटरीच[संपादित करें]

जॉर्ज अब्राहम ने श्रॉफ के चैरिटी आई हॉस्पिटल के विज़न एन्हांसमेंट सेंटर, नई दिल्ली की स्थापना से जुड़े हुए हैं। ये सेंटर मुख्यतः अल्प दृष्टि वाले व्यक्तियों के लिए है। इसमें राजस्थान के अलवर जिले का पीडियाट्रिक ओफ्थल्मोलोजी रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम भी शामिल है। अब्राहम का सपना हमेशा से डेनिस लिल्ली जैसा तेज़ गेंदबाज़, किशोरे कुमार जैसा गायक और अमिताभ बच्चन जैसा परफ़ॉर्मर बनने का रहा है। अब्राहम 1986 से शादीशुदा हैं। इनकी पत्नी रूपा एक होर्तिकल्तारिस्ट हैं। जॉर्ज की दो बेटियाँ है - नेहा और तार।

पुरस्कार और वाहवाही[संपादित करें]

अब्राहम ने 1993 में संस्कृति पुरस्कार प्राप्त किय। 1996 में अब्राहम को अटलांटा ओलंपिक में ओलिंपिक मशाल रिले में चलाने के लिए चुना गया था। 1996 में ही रोटरी वोकेशन पुरस्कार प्राप्त किया। 2001 में अब्राहम एक अशोक फेलो के रूप में चुना गया। 2003 में अब्राहम को ऑनर अवार्ड की खातिर रोटरी से सम्मानित किया गया। 2007 में इन्हें लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स के लिए चुन गया ब्लाइंड क्रिकेट और प्रोजेक्ट आई वे में उनके योगदान के लिए। अब्राहम को डिस्कवरी चैनल के डिस्कवरी पीपल में गया था। इसी साल वो अविवा फॉरवर्ड थिन्केर्स टी वी कैंपेन का हिस्सा भी रह चुके है। 2008 में चैनल 5 पॉल मार्टन इन इंडिया में भी बुलाया गया जो की यूनाइटेड किंगडम में दिखाया गया।

लेख और प्रकाशन[संपादित करें]

1995 - इंडियन एक्सप्रेस में अब्राहम का एक कोलम था जिसका नाम "Talking from Within" था। ये कोलम विकलांगता के साथ जीवन से जुडी व्यक्तिगत बातें थी। 2003 - अब्राहम ने दक्षिण अफ्रीका में आईसीसी विश्व कप के बारे में 2003 में "दिल टॉक 'नामक एशियन एज में एक कॉलम भी लिखा।

2004 - 2004 में मधुमिता पुरी और जॉर्ज अब्राहम ने शिक्षकों, प्रशासकों और योजनाकारों के लिए समावेशी शिक्षा की पुस्तिका. आईएसबीएन 0-7619-3266-6 - Handbook of Inclusive Education for Educators, Administrators and Planners'.