गायत्री चक्रवर्ती स्पीवाक

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गायत्री चक्रवर्ती स्पीवाक
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व्यक्तिगत जानकारी
जन्म24 फ़रवरी 1942 (1942-02-24) (आयु 82)
कलकत्ता, ब्रिटिश भारत
वृत्तिक जानकारी
युग२०वीं सदी के दर्शनशास्र
मुख्य विचारविचारों का इतिहास · साहित्य · नारीवाद · मार्क्सवाद
प्रमुख विचार"सबाल्टर्न अध्ययन"

गायत्री चक्रवर्ती स्पीवाक (जन्म २४ फ़रवरी १९४२) एक भारतीय साहित्यिक विचारक, दार्शनिक और कोलंबिया विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय प्राध्यापिका है, जहां ये तुलनात्मक साहित्य और समाज संस्थान की एक संस्थापक सदस्य है।[1] वर्ष २०१२ मे उन्हे कला और दर्शनशास्र में क्योटो पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[2] २०१३ में उन्हें भारत गणराज्य के द्वारा दिए गए तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाज़ा गया। [3]


स्पीवाक उनकी समकालीन सांस्कृतिक और "उपनिवेशवाद की विरासत" को चुनौती देने वाली आलोचनात्मक सिद्धांतों के लिए प्रसिद्ध है। ये पाठकों के साहित्य और संस्कृति के साथ संलग्न पर भी चिंतन करना चाहती है। ये ज्यादातर उन लोगों के सांस्कृतिक ग्रंथों पर अपना ध्यान केंद्रित करती है जो प्रमुख पश्चिमी संस्कृति द्वारा अधिकारहीन किये गए हो : श्रमिक वर्ग, औरत, नए आप्रवासी सबाल्टर्न के अन्य स्थान।[4][5]


जीवन[संपादित करें]

गायत्री चक्रवर्ती का जन्म २४ फ़रवरी १९४२ को भारत, कलकत्ता मे परेस चन्द्र और सिवनी चक्रवर्ती नामक माता-पिता के घर हुआ।[6] सेंट जॉन्स डायोसीसँ गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल से शिक्षा पूर्ण कर, १९५९ में प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता (कलकत्ता विश्वविद्यालय के तहत) से अंग्रेजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के साथ हि अंग्रेजी और बंगाली साहित्य मे स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया।[6] कॉर्नेल विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. की डिग्री प्राप्त करने के बाद तुलनात्मक साहित्य में पी.एच.डी. करने की ठानी।[6]

कॉर्नेल विश्वविद्यालय में विलियम बटलर येट्स पर उनके शोध-निबंध का शीर्षक "माइसेल्फ मस्ट ई रीमेक : द लाइफ एंड पोएट्री ऑफ़ डबलू.बी.येट्स " था। इसे पॉल दे मन ने निर्देशित किया था।[6]

१९६० के दशक में कुछ वक्त के लिए टैलबो स्पीवाक से विवाहित थी। द ब्राइड वोर द ट्रेडिशनल गोल्ड टैलबो स्पीवाक द्वारा एक आत्मकथात्मक उपन्यास है जो उनकी शादी के प्रारंभिक वर्षों को दर्शाता है।[7]

२१ दिसंबर २०१४ को प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता द्वारा 'आनरेरी डी.लीट.' प्रदत्त किया गया।[8]

काम[संपादित करें]

"कैन द सबाल्टर्न स्पीक?" में, स्पीवाक सती प्रथा के विवरण की कमी पर चर्चा करते हुए सबाल्टर्न के बोल पाने की क्षमता पर मनन करती है।[4]

अग्रिम पठन[संपादित करें]

  • स्टीफन मोर्टों, Gayatri Spivak: Ethics, Subalternity and the Critique of Postcolonial Reason (Polity, २००७).
  • गायत्री चक्रवर्ती स्पीवाक, डोना लाँड्री, और जेराल्ड एम. मैक्लीन, The Spivak reader: Selected Works (Routledge, १९९६).
  • सुज़ाना मिलेवस्का, "Resistance That Cannot be Recognised as Such: Interview with Gayatri Chakravorty Spivak," n.paradoxa: international feminist art journal, Jan. 2005, vol. 15, pp. 6–12.
  • फिओरेंज़ो लुलिआनो , Altri mondi, altre parole. Gayatri Chakravorty Spivak tra decostruzione e impegno militante, OmbreCorte 2012. ISBN 978-88-97522-36-2 (in Italian)

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Columbia faculty profile". मूल से 17 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 अप्रैल 2015.
  2. "The 2012 Kyoto Prize Laureate". ईनमोरी फाउंडेशन. मूल से 20 जनवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ८अप्रैल २०१५. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  3. January 2013 "List of Padma awardees" जाँचें |url= मान (मदद).
  4. Sharp, J. (2008). "Chapter 6, Can the Subaltern Speak?". Geographies of Postcolonialism. SAGE Publications.
  5. स्पीवाक १९९०, पृ॰ 62-63.
  6. "Reading Spivak". The Spivak reader: selected works of Gayatri Chakravorty Spivak. Routledge. १९९६. पृ॰ 1-4.
  7. Talbot Spivak. "द ब्राइड वोर द ट्रेडिशनल गोल्ड". मूल से 16 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अप्रैल 2015.
  8. "Times of India article". मूल से 22 नवंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अप्रैल 2015.