किरगिज़ लोग

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काराकोल में एक मनासची कथाकार पारम्परिक किरगिज़ वेशभूषा में
एक किरगिज़ परिवार

किरगिज़ मध्य एशिया में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। किरगिज़ लोग मुख्य रूप से किर्गिज़स्तान में रहते हैं हालाँकि कुछ किरगिज़ समुदाय इसके पड़ौसी देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि उज़्बेकिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान, अफ़्ग़ानिस्तान और रूस

नाम की उत्पत्ति और किरगिज़ जाति की जड़ें[संपादित करें]

तुर्की भाषाओँ में 'किरगिज़' का मतलब 'चालीस' होता है। माना है कि किर्गिज़ियों के चालीस क़बीले थे, जिस से उनका यह नाम पड़ा है।[1] माना जाता है कि प्राचीनकाल में किरगिज़ लोगों के पूर्वज तूवा और साइबेरिया की येनिसेई नदी के किनारे रहते थे। पास में मंगोलिया और मंचूरिया में बसने वाले ख़ितानी लोगों ने इन पर बड़े हमले किये लेकिन किर्गिज़ियों के चालीस क़बीले डटे रहे। वक़्त के साथ वे फैलकर मध्य एशिया के अन्य क्षेत्रों में पहुँचे। माना जाता है कि आधुनिक किरगिज़ लोग उन प्राचीन येनिसेई किरगिज़ और मध्य एशिया में रहने वाले शक, हूण और अन्य जातियों का मिश्रण हैं। ७वीं से लेकर १२वीं शताब्दी के मुस्लिम और चीनी सूत्रों के अनुसार किर्गिज़ियों की आँखें अक्सर नीली और हरी हुआ करती थीं और उनके बाल अक्सर लाल हुआ करते थे, लेकिन वर्तमान में ऐसा नहीं है, यानी कि आधुनिक किरगिज़ उस प्राचीन जाति और अन्य जातियों का मिश्रण हैं।

मनास की गाथा[संपादित करें]

मुख्य लेख: मनास की दास्तान

किरगिज़ लोगों की कथाओं में मनास नाम के एक नायक की अहम भूमिका है जिसने किरगिज़ साम्राज्य को बढ़ाने का काम किया और किर्गिज़ियों को अपने शत्रुओं से सुरक्षित रखा। ख़ास मौक़ों पर 'मनासची' नाम के कथाकार मनास की गाथा गाकर सुनाया करते हैं।[2]

आनुवंशिकी (जॅनॅटिक) जड़ें[संपादित करें]

किर्गिज़स्तान के जुमगल ज़िले के पुरुषों का जब अध्ययन किया गया तो देखा गया कि उनमें से ६३% का पितृवंश समूह आर१ए (R1a) था। एशिया में यह हिंद-यूरोपी भाषाएँ बोलने वालों में पाया जाता है और बहुत से उत्तर भारतीयों और रूसियों का भी यही पितृवंश है। बहुत से ताजिकी आदमियों में पितृवंश समूह ऍन की ऍन३ (N3) शाखा भी मिली है, जो इनके साइबेरिया से होने का संकेत है।

इतिहास[संपादित करें]

येनिसेई क्षेत्र से फैलकर किरगिज़ आधुनिक चीन के शिंजियांग प्रांत के उइग़ुर इलाक़े के भी मालिक बन गए। इस विशाल क्षेत्र पर उनका राज २०० साल तक रहा लेकिन फिर मंगोल लोगों के दबाव से सिकुड़कर केवल अल्ताई और सायन पर्वतों तक ही सीमित रह गया। जब १३वीं सदी में चंगेज़ ख़ान का मंगोल साम्राज्य उठा तो उसके बेटे ने सन् १२०७ में किर्गिज़स्तान पर आसानी से क़ब्ज़ा कर लिया। फिर किरगिज़ लोग १४वीं सदी तक मंगोल साम्राज्य का हिस्सा रहे। १८वीं सदी के बाद यहाँ रूसी प्रभाव बढ़ा और सोवियत संघ के बनाने के बाद किर्गिज़स्तान उसका हिस्सा बन गया। २०वीं सदी के अंत में सोवियत संघ बिखर गया और किर्गिज़स्तान एक स्वतन्त्र राष्ट्र बना।

धर्म[संपादित करें]

किरगिज़ लोग अधिकतर सुन्नी इस्लाम धर्म के अनुयायी होते हैं। इस्लाम इस क्षेत्र में रेशम मार्ग से आते-जाते अरब व्यापारियों द्वारा पहुँचा। फिर भी बहुत सी इस्लाम से पहले की धार्मिक अवधारणाएँ किरगिज़ समाज में चली आ रही हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. The Bradt Travel Guide: Kyrgyzstan Archived 2016-01-02 at the वेबैक मशीन, Laurence Mitchell, Bradt Travel Guides, 2008, ISBN 978-1-84162-221-7, ... The name Kyrgyz comes from two Turkic words that cither mean 'forty tribes' (kyrk - forty; uz - tribes) or, alternatively, 'forty girls' (kyrk - forty; kyz - girls). Both of these meanings correspond to the Manas epic ...
  2. The Kyrgyz - Children of Manas, Petr Kokaisl, Pavla Kokaislova, Nostalgie Praha, 2009, ISBN 978-80-254-6365-9, ... Next, there is possible to mention the Manas - mythic integrator of the Kyrgyz, which was used as a symbol of Kyrgyz nation unity after the USSR disintegration ...