इमाम बुसीरी

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सिकन्दरिया, मिस्र में अल-बुसीरी की क़ब्र

अल-बुसीरी (अरबी: البوصيري जन्म: 1211 - मौत: 1294), पूरा नाम मुहम्मद बिन सय्यद बिन हम्माद अलसनेआजी अलबुसीरी (अरबी: محمد بن سعيد بن حماد الصنهاجي البوصيري) शाधीलिया शाखा से संबंधित एक सानहाजी बर्बर सूफ़ी इमाम थे।[1][2]

परिचय[संपादित करें]

इमाम बोसीरी एक मिस्री कवि थे जो नसली रूप से बर्बर थे। वे मिस्र के एक गाँव बुसीरी में, जहाँ उन्होंने इब्ने हनाय के नेतृत्व से काव्य शब्द लिखे। उनकी सारी कवितायें केंद्र व धुरी धर्म और रहस्यवाद रहा। उनका सबसे प्रसिद्ध काव्य शब्द 'क़सीदह बरदा शरीफ़' है जो मुहम्मद पैग़म्बर की नीयत पर आधारित है, यह इस्लामी दुनिया में बहुत प्रसिद्ध और लोकप्रिय है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. His family came from Sijilmasa before settling in Beni Hama then Egypt. "الإمام شرف الدين محمد بن سعيد بن حماد الصنهاجي البوصيري". मूल से 21 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 January 2014.
  2. "Arabic poet of Berber descent who won fame for his poem Al-Burdah." www.britannica.com. 2012. मूल से 26 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि July 12, 2012.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]