हिमाचल प्रदेश का भूगोल

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रियो प्योगिल, हिमाचल प्रदेश
रियो प्योगिल, हिमाचल प्रदेश

परिचय[संपादित करें]

हिमाचल प्रदेश हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रेणी का हिस्सा है। शिवालिक पर्वत श्रेणी से ही घग्गर नदी निकलती है। राज्य की अन्य प्रमुख नदियों में सतलुज और व्यास शामिल है। हिमाचल हिमालय का सुदूर उत्तरी भाग लद्दाख के ठंडे मरुस्थल का विस्तार है और लाहौल एवं स्पिति जिले के स्पिति उपमंडल में है। हिमालय की तीनों मुख्य पर्वत श्रंखलाएँ, बृहत हिमालय, लघु हिमालय; जिन्हें हिमाचल में धौलाधार और उत्तरांचल में नागतीभा कहा जाता है और उत्तर-दक्षिण दिशा में फैली शिवालिक श्रेणी, इस हिमालय खंड में स्थित हैं। लघु हिमालय में 1000 से 2000 मीटर ऊँचाई वाले पर्वत ब्रिटिश प्रशासन के लिए मुख्य आकर्षण केंद्र रहे हैं।

हिमाचल का शब्दिक अर्थ है ‘बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच स्थित भूमि’ पश्चिमी हिमालय की गोद में स्थित हिमाचल प्रदेश में प्रवेश के लिए विभिन्न रास्ते अपनाए जाते हैं, जिनमें या तो हम प्रवेश कर सकते हैं पंजाब के मैदानों से, या शिवालिक पहाडि़यों से, या शिमला की पहाडि़यों से, जो ढकी हुई हैं। लहलहाते हरे-भरे चील के वनों से। यह अदभुत भूमि प्रत्येक आगन्तुक को अपनी ओर आकर्षित करती है। हिमाचल प्रेदश की भौगोलिक स्थिति है 330, 22 से 330 12 उत्तरी अक्षांश तथा 750, 47 से 790, 4 पूर्वी देशांतर। इसकी पूर्वी दिशा में स्थित है तिब्बत देश, उत्तर में जम्मू तथा कश्मीर, दक्षिण पूर्व में उत्तराचंल, दक्षिण में हरियाणा एवं पश्चिम में पंजाब प्रदेश। हिमाचल प्रदेश की सारी भूमि पहाडि़यों एवं ऊंची चाटियों से भरी हुई है। इन चोटियों की समुद्र तल से ऊंचाई 350 मीटर से सात हजार के बीच में पाई जाती है।
प्राकृतिक संरचना के अनुसार हिमाचल के भू-क्षेत्र को चार भागों में बांटा जा सकता है।

  • निचली पहाडि़यां – इस क्षेत्र में शामिल हैं, जिला कांगड़ा, हमीरपुर ऊना, बिलासपुर तथा मंडी जिले के निचले क्षेत्र, सोलन तथा सिरमौर। इस क्षेत्र को शिवालिक क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में औसतन वर्षा लगभग 1500 मी. मी. से 1800 मी.मी. के बीच है। यहां की समुद्रतल से ऊंचाई 350 या 1050 फुट से 1500 मीटर या 4500 फुट तक पाई जाती है। कृषि उत्पादन की दृष्टि से यहां मक्की, गेहूं, अदरक, गन्ना, धान, आलू तथा खट्टी किस्म के फल आदि उगाए जाते हैं। प्राचीन काल में इस क्षेत्र को मैनाक पर्वत के नाम से भी जाना जाता था।
  • भीतरी या मध्य हिमालय इस क्षेत्र में प्रदेश के ऊपरी भाग तथा सिरमौर जिला के पछाड़ व रेणुका तहसील, मंडी जिला के चचिमोटल तथा करसोग तहसील, कांगड़ा जिला के ऊपरी भाग तथा पालमपुर तहसील तथा चंबा जिला की चुराह तहसील के ऊपरी भाग शामिल हैं। इस क्षेत्र की समुद्रतल से न्यूनतम ऊंचाई 1500 मीटर या 4500 फुट से 4500 मीटर या 13500 फुट है। यहां की जलवायु तथा मिट्टी, आलू बीज, समशीतोषण कटिबंध फल तथा अन्य सामान्य फल प्रजातियों के लिए काफी उपयोगी है। मध्य हिमालय की दो प्रमुख चोटियां इसी क्षेत्र में पड़ती है पीर पंजाल (चंबा जिला में) तथा धौलाधार (कांगड़ा जिला में)।
  • वृह्त हिमालय या उच्च पर्वतीय क्षेत्र इस क्षेत्र में जिला किन्नौर, चंबा जिला की पांगी तहसील तथा लाहुल स्पिति जिला के कुछ भृ-भाग सम्मिलत हैं। इस क्षेत्र की सुमद्रतल से ऊंचाई 4500 मीटर तथा इससे अधिक पाई जाती है। वर्षा यहां पर बहुत कम होती है। इस क्षेत्र का अधिकतर भाग बर्फ से ढका रहता हैक्। यहां का वातावरण गर्मियों में समशीतोष्ण तथा शरद ऋतु में ध्रुवीय (अति ठंडक वाला) प्रकृति का होता है। यहां की मिट्टी समुद्रतल से ऊंचाई तथा वातावरण शुष्क फलों (मेवे) के उत्पादन के लिए अति उपयोगी है।
  • जसकर पर्वत शृंखला यहप प्रदेश की अंतिम और पूर्वतम पर्वत शृंखला है। इसकी अधिकतम ऊंचाई सात हजार मीटर से अधिक है। यह पूर्व से उत्तर की ओर से उठती हुई कश्मीर तथा चीन की ओर चली जाती है। सतलुज इसे शिपकी के पास काटती है। हिमाचल की सबसे ऊंची पर्वत चोटी शिल्ला (7026 मी) इसी पर्वत शृंखला में है।

== स्थालाकृति jishan Changya ==yaha per 3 pass he jo 1.thag la 2.mana 3.niti Jo himachal Pradesh ke mountain serni me sthith hai

प्राकृतिक वनस्पति[संपादित करें]

== खनिज पदार्थ


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पर्यावरण[संपादित करें]

Himachal Pradesh ki lipi tankri lipi k nam se jana jata h or ye dayen se bayen or likhi jatih