स्वराज भवन, प्रयागराज

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स्वराज भवन

स्वराज भवन प्रयागराज में स्थित एक ऐतिहासिक भवन एवं संग्रहालय है। इसका मूल नाम 'आनन्द भवन' था। इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण मोतीलाल नेहरू ने करवाया था।

1930 में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। इसके बाद यहां कांग्रेस कमेटी का मुख्यालय बनाया गया। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म यहीं पर हुआ था। आज इसे संग्रहालय का रूप दे दिया गया है।next

परिचय[संपादित करें]

1899 में मोतीलाल नेहरु ने चर्च लेन नामक मोहल्ले में एक अव्यवस्थित इमारत खरीदी। जब इस बंगले में नेहरु परिवार रहने के लिये आया तब इसका नाम आनन्द भवन रखा गया। पुरानी इमारत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को सौँप दी गयी। 1931 में पंडित मोतीलाल नेहरु की गूजरने के बाद उनके पुत्र जवाहर लाल नेहरु ने एक ट्रस्ट बना कर स्वाराज भवन भारतीय जनता के ज्ञान के विकास स्वास्थ्य एंव सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिये समर्पित कर दिया। इस इमारत के एक हिस्से में अस्पताल जो की आज कमाला नेहरु के नाम से जाना जाता हैं। और शेष अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के उपयोग के लिये था। 1948 से 1974 तक इस ईमारत का उपयोग बच्चोँ की शैक्षणिक गतिविधियोँ विकाय के लिये किया जाता रहा और इसमें एक बाल भवन कि स्थापना कि गयी। बाल भवन में शैक्षिक यथा संगीत विज्ञान खेल आदि के विषय में बच्चोँ को सिखाया जाता था। 1974 में स्वंगीय प्रधानमत्री इंदिरा गाँधी ने जवाहर लाल मेमोरियल फण्ड बना कर यह इमारत 20 वर्ष के लियें उसे पट्टे पर दे दिया। और उस इमारत में बाल भवन चलता रहा। किन्तु अब बाल भवन को स्वाराज भवन के ठीक बगल में स्थित एक अन्य मकान स्थापित कर दिया गया। और स्वाराज भवन को एक सग्रहालय के रूप में विकसित कर दिया गया।

स्वाराज भवन एक बडा भवन हैँ। और भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दिनोँ का एक जीता जागता धरोहर हैँ। यही वह स्थान हैँ जहा पं जवाहरलाल नेहरु ने अपना बचपन बिताया। यहीँ से वो राजनिति कि प्रारम्भिक शिक्षा लेने के बाद में भारतीय स्वाधिनता संग्राम में शामिल हुये। जवाहरलाल नेहरु ने 1916 में अपने वैवाहिक जीवन का शुभ आरम्भ इसी भवन से किया। इसके अतिरिक्त यह राजनिति गतविधियोँ का एक मंच भी रहा। 1917 में उत्तर प्रदेश होम रुम लीन के अध्यक्ष मोतीलाल नेहरु एवं महामंत्री जवाहरलाल नेहरु थे। 19 नवम्बर 1919 को इंदिरा गाँधी का जन्म भी इसी भवन में हुआ। 1920 में आल इंडिया खिलाफत इसी भवन में बनायी गयी। भारत का संविधान लिखने के लिये चुनी गयी आल पार्टी का सम्मेलन भी इसी स्वाराज भवन में हुआ था।

वास्तुकला की दृष्टि से यह भवन अपने आप मे अनोखा हैं। यह दो मंजिली इमारत हैं आनन्द भवन भारतीय स्वाधीनता संघर्ष की एक ऐतिहासिक यादगार हैं और ब्रिटिश शासन के विरोध में किये गये अनेक विरोधोँ, कांग्रेस के अधिवेशनोँ एवं राष्टीय नेताओँ के अनेक सम्मेलनोँ से इसका सम्बन्ध रहा हैं।

महात्मा गाँधी जब कभी इलाहाबाद आते थे तो यही रहते थें। आज भी यहाँ गाधी जी के अनेक वस्तुएँ रखीं हैं। आनन्द भवन मात्र राजनैतिक विचार विमर्श का केन्द्र ही नहीं, व्यक्तियोँ को राजनिति का भी केन्द्र हैं खान अब्दुल खाँ, जे बी कृपलानी, लाल बहादुर शास्त्री, राम मनोहर लोहिया और फिरोज गाँधी जैसे नेता जिन्होँने न मात्र स्वाधीनता संघर्ष मे अपिलु स्वाधीन भारत की राजनीति को नया मोड दिया, यही स्थल आनन्द भवन ही हैं।

1942 इन्दिरा गाँधी का विवाह इसी भवन में हुआ और 1938 मे जवाहरलाल नेहरु की मां स्वरुप रानी की मृयु भी यहीं हुयी। 1970 में इन्दिरा गाँधी ने इस भवन को राष्ट्र को समर्पित कर दिया और इसके बाद इसे एक संग्रहालय का स्वरुप दे दिया गया। इसके खुलने का समय प्रात: 9.30 से सांय 5 बजे तक हैं। साप्ताहिक अवकाश सोमवार को रहता हैं।

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