सीएमएस प्रयोग

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निर्देशांक: 46°18′34″N 6°4′37″E / 46.30944°N 6.07694°E / 46.30944; 6.07694

वृहद हैड्रॉन संघट्टक
(एलएचसी)
एलएचसी प्रयोग
एटलस ए टोरोइडल एलएचसी एपरेटस
(एक टोरोइड एलएचसी उपकरण)
सीएमएस कॉम्पैक्ट म्यूऑन सोलेनोइड
(सुसम्बद्ध म्यूऑन परिनालिका)
एलएचसी-बी एलएचसी-ब्यूटी
ऐलिस ए लार्ज आयन कोलाइडर एक्सप्रिमेंट
(एक विशाल आयन संघट्ट प्रयोग)
टोटेम टोटल क्रॉस सेक्शन, इलास्टिक स्केट्रिंग एण्ड डिफ्रेक्सन डिसोशियशन (कुल अनुप्रस्थकाट क्षेत्र, प्रत्यास्थ प्रकिर्णन और विवर्तन वियोजन)
एलएचसी-एफ एलएचसी-फॉरवर्ड
मोएडल मोनोपोल एण्ड एग्जोटिक्स डिटेक्टर अट द एलएचसी (एलएचसी पर एकल ध्रुव व विलक्षण संसूचक)
एलएचसी पूर्व त्वरक
p (प्रोटॉन) और Pb (सीसा) प्रोटॉनों (रेखिक त्वरक 2) और सीसे (रेखिक त्वरक 3) के लिए रैखिक कण त्वरक
(चिह्नित नहीं) प्रोटॉन सिंक्रोट्रॉन बूसटर
पीएस प्रोटॉन सिंक्रोट्रॉन
एसपीएस सुपर प्रोटॉन सिंक्रोट्रॉन

सीएमएस या कॉम्पैक्ट म्यूऑन सोलेनोइड या सुसम्बद्ध म्यूऑन परिनालिका प्रयोग स्विट्जरलैंड और फ्रान्स में सर्न में स्थित लार्ज हैड्रान कोलाइडर (एलएचसी) पर बने दो बृहद् व्यापक प्रयोजन कण भौतिकी संसूचकों में से एक है। सीएमएस प्रयोग का उद्देश्य हिग्स बोसॉन, अधि-विमाएं, अदृश्य पदार्थ के लिए उत्तरदायी कणों के आविष्कार सहित भौतिकी की एक विस्तृत परास का पता लगाना है।

सीएमएस का भार १२,५०० टन, लम्बाई २५ मीटर और व्यास १५ मीटर है।[1] लगभग ४३०० लोग इस प्रयोग में कार्य करते हैं जिनमें से १५३५ छात्र हैं, इस प्रयोग में ४१ देशों की १७९ संस्थाएं काम शामिल हैं।[2] इस प्रयोग का निर्माण १४ टेराइलेक्ट्रॉन वोल्ट (TeV) द्रव्यमान केन्द्र ऊर्जा पर प्रत्येक २५ नैनोसैकण्ड (ns) पश्चात प्रेक्षषित करने के लिए किया गया लेकिन २०११ तक केवल 7 TeV पर ही कार्य किया गया जबकि २०१२ में यह ऊर्जा 8 TeV थी।[3]

भौतिक उद्देश्य[संपादित करें]

प्रयोग के मुख्य लक्ष्य निम्न हैं:

  • ८ टेराइलेक्ट्रोवोल्ट परास तक भौतिकी खोजना
  • हिग्स बोसॉन का आविष्कार
  • मानक प्रतिमान से परे भौतिकी की खोज जैसे अतिसममिति, अधिविमा
  • भारी आयन संघट्ट से सम्बंधित पहलुओं का अध्ययन

एलएचसी वलय पर अन्य दिशा में स्थित एटलस प्रयोग के उद्देश्य व सोच भी समान है और ये दोनो प्रयोग एक दूसरे के पूरक के रूप में बनाए गये हैं जिससे कि किसी भी खोज को विस्तृत रूप से अध्ययन किया जा सके तथा विश्वास का स्तर बढ़ाया जा सके। उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सीएमएस व एटलस में बनावट, संसूचक चुम्बकीय क्षेत्र व तकनिकी हलों को अलग-अलग विधि से किया गया है।

परिचय एवं पृष्ठभूमि[संपादित करें]

तात्कालिक कोलाइडर (संघट्ट) प्रयोग जैसे वर्तमान ही में विघटित सर्न स्थित वृहत् इलेक्ट्रॉन पोजीट्रान कोलाइडर (लेप LEP) और हाल ही में बन्द किये गये (अक्टूबर २०११ के अनुसार ) टेवाट्रॉन और फर्मीलैब ने कण भौतिकी के मानक प्रतिमान का शुद्धता के साथ व व्यापक उल्लेख किया है। तथापि बहुल संख्या में अनुत्तरित प्रश्न शेष हैं

एक मुख्य प्रसंग हिग्स बोसॉन के प्रत्यक्ष साक्ष्यों का अभाव जो कि हिग्स प्रक्रिया द्वारा प्राप्त होता है तथा जो मूल कणों का द्रव्यमान की व्याख्या उपलब्द्ध करवाता है। अन्य प्रश्न उच्च ऊर्जाओं पर मानक प्रतिमान के गणितीय व्यवहार में अनिश्चितता सहित, ब्रह्माण्ड में प्रेक्षित द्रव्य प्रतिद्रव्य असमानता का कारण और अदृश्य पदार्थ की कण भौतिकीय व्याख्या का अभाव हैं।

अन्योन्य क्रिया बिन्दु से आ रहे बहुत अधिक फलक्स कणों के कारण यह उच्च विकीरण क्षेत्र है जो संसूचक व प्रारम्भिक भाग की इलेक्ट्रॉनिकी का विकीरण कठोर होने की अनिवार्यता सिद्ध करता है।

सीएमएस संसूचक एलएचसी भौतिकी कार्यक्रम का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आवश्यकताओं का संक्षिप्तिकरण निम्न प्रकार है:[3]

  • संवेगो व कोणों की एक वृहत परास में म्यूऑन की पहचान व परिशुद्धता से संवेग मापन। दो म्यूऑनों के निश्चर द्रव्यमान का मापन परिशुद्धता (एक टेराइलेक्ट्रॉनवोल्ट पर ≈1%) और एक टेराइलेक्ट्रॉनवोल्ट से कम संवेग वाले म्यूऑनों की आवेश असंदिग्धता को ज्ञात करने की क्षमता।
  • अन्तर खोजी (inner tracker) की आवेशित कण संवेग शुद्धता व पुनर्निर्माण दक्षता का उच्च मान।
  • वैद्युतचुम्बकीय ऊर्जा मापन में परिशुद्धता।
  • लम्बवृतीय गुम ऊर्जा, द्वि-जेट द्रव्यमान (dijet-mass) के परिशुद्धता के लिए आवश्यक हैड्रॉन (महदणु) कैलोरीमीटर।

व्यापक सिद्धांत[संपादित करें]

सीएमएस संसूचक के बेलनाकार भाग का अनुप्रस्थ काट क्षेत्र।

इस प्रयोग के आँकड़े विश्लेषण के लिए सीएमएसएसडब्ल्यू (CMSSW) नामक सोफ्टवेयर काम में लिया जाता है और डाटा को रूट प्रारूप में संरक्षित किया जाता है।

अतिचालक चुम्बक[संपादित करें]

सीएमएस प्रयोग में अतिचालक चुम्बक का उपयोग इसके मध्य क्षेत्र जिसकी लम्बाई १२.५ मीटर व व्यास ६ मीटर है में ४ टेसला चुम्बकीय क्षेत्र प्राप्त करने के लिए किया गया जो पूर्ण धारा की अवस्था में २.६ गीगा जूल ऊर्जा संरक्षित करती है।[3]

सामान्य प्राचल
चुम्बकीय लम्बाई १२.५ मीटर
शीत कोटर व्यास ६.३ मीटर
केन्द्रीय चुम्बकीय प्रेरण ४ टेसला
नोमिनल (Nominal) धारा १९.१४ किलो एम्पियर
प्रेरण १४.२ हेनरी
संरक्षित ऊर्जा २.६ गीगा जूल

चुम्बक के प्रमुख घटकों का विवरण[संपादित करें]

अतिचालक परिनालिका
चुम्बकीय दाब := 6.4 पास्कल
वैद्युत पद्धति
निर्वात तन्त्र

परिचालन परक्षण[संपादित करें]

शीतकरण
आवेशन व निरावेशन चक्र
चतुर्ध्रुव चुम्बक

वैद्युतचुम्बकीय कैलोरीमीटर[संपादित करें]

लैड टंगस्टेट क्रिस्टल[संपादित करें]

वैचुकै की बनावट और यन्त्र[संपादित करें]

फोटोन संसूचक[संपादित करें]

मील के पत्थर[संपादित करें]

१९९८ सीएमएस की शुरूआत के लिए सतही इमारत निर्माण।
२००० एलईपी शट डाउन, cavern का निर्माण शुरू।
२००४ Cavern तैयार
१० सितम्बर २००८ सीएमएस में प्रथम कीरण पूँज
२३ नवम्बर २००९ सीएमएस में प्रथम संघट्ट।
३० मार्च २०१० सीएमएस में प्रथम ७ टेराइलेक्ट्रोवोल्ट संघट्ट।
२९ अप्रैल २०१२ यहाँ पर जनित प्रथम नव कण उत्तेजित Xi-b बेरियान के २०११ में हुए आविष्कार नव कण की घोषणा
४ जुलाई २०१२ एक संगोष्ठी और वेबप्रसारण में प्रवक्ता जोसफ इन्कान्डेला उर्फ जौ इन्कान्डेला (कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा) द्वारा १२५ गीगाइलेक्ट्रोवोल्ट द्रव्यमान वाले एक कण के प्रेक्षित प्रमाणों की घोषणा। जो कि हिग्स सदृश्य है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "सीएमएस प्रयोग के लिए सर्न का सार्वजनिक पृष्ठ". मूल से 10 अप्रैल 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 अप्रैल 2013.
  2. "सीएमएस प्रयोग में जन सांख्यिकी". मूल से 6 अप्रैल 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 अप्रैल 2013.
  3. अमोस ब्रेस्किन और रुडिजर वोस, संपा॰ (2009). द सर्न लार्ज हैड्रान कोलाइडर: त्वरक व प्रयोग (अंग्रेज़ी में).

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]