सागरिका प्रक्षेपास्त्र

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के-१५/सागारिका
प्रकार पनडुब्बी - प्रक्षेपित कम दूरी की बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र
उत्पत्ति का मूल स्थान भारत
सेवा इतिहास
सेवा में २०१०
उत्पादन इतिहास
निर्माता डीआरडीओ
निर्दिष्टीकरण
वजन १७ टन
लंबाई १० मीटर
व्यास ०.७४ मीटर

वारहेड १००० किलोग्राम

इंजन दो चरण, ठोस ईंधन रॉकेट मोटर
परिचालन सीमा ७०० किमी @ १,००० किलोग्राम और १,९०० किमी @ १८० किलोग्राम[1]

[2]

प्रक्षेपण मंच अरिहंत वर्ग पनडुब्बी

सागारिका भारतीय सेना में शामिल एक परमाणु हथियारों का वहन करने में सक्षम प्रक्षेपास्त्र है जिसे पनडुब्बी से प्रक्षेपित किया जा सकता है। इसकी सीमा ७०० किमी (४३५ मील) है।

सिंहावलोकन[संपादित करें]

सागारिका डीआरडीओ के हैदराबाद में मिसाइल परिसर में विकसित की गई थी। [3] यह प्रक्षेपास्त्र भारत के परमाणु शक्ति संतुलन त्रय का एक हिस्सा होगा और प्रतिकार परमाणु हमले की क्षमता प्रदान करेगा। [4]

विकास[संपादित करें]

इस प्रक्षेपास्त्र का विकास १९९१ में के-१५ के गुप्तनाम से शुरु हुआ था।[5] भारत सरकार ने सबसे पहले इसकी पुष्टि सागरिका विकास के शुरु होने के सात साल बाद (1998) में किया, जब तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस ने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान इसकी घोषणा की। .[6] पानी के भीतर मिसाइल लांचर, परियोजना 420 (P420) का विकास, 2001 में पूरा किया गया और भारतीय नौसेना को परीक्षण के लिए सौंप दिया गया। इसका विकास हजीरा (गुजरात) में हुआ था। [7] जिन वैज्ञानिकों ने मिसाइल विकसित करने में मदद की उन्हे भारत के प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह द्वारा सम्मानित किया गया। [8]

परीक्षण[संपादित करें]

प्रक्षेपास्त्र को सफलतापूर्वक छह बार परीक्षित किया गया और पूर्ण सीमा तक तीन बार परीक्षण किया गया। 26 फ़रवरी 2008 का परीक्षण विशाखापट्टनम के तट पर एक जलमग्न पोंटून से आयोजित किया गया। [3][9][10]

सागारिका के भूमि आधारित संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण 12 नवम्बर 2008 को किया गया था। [11]

अधिष्ठापन[संपादित करें]

भारतीय नौसेना का 2010 के अंत तक मिसाइल का सेवा में प्रयोग करने की योजना है। सागरिका मिसाइल भारत की अरिहंत वर्ग परमाणु संचालित पनडुब्बी के साथ एकीकृत है जिसका २६ जुलाई 2009 से समुद्री परीक्षण शुरू किया जा रहा है। .[12]

भारत ने सफलतापूर्वक सागरिका का भूमि आधारित संस्करण तैयार किया है - जिसे शौर्य रूप में जाना जाता है जो लंबे समय के लिए भूमिगत भंडारो में संग्रहित किया जा सकता है और बूस्टर से गैस कनस्तरों से प्रक्षेपित की जा सकती है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. http://www.indiaresearch.org/Shourya_Missile.pdf Archived 2018-09-21 at the वेबैक मशीन शौर्य प्रक्षेपास्त्र
  2. "भारत प्रक्षेपास्त्र के कुलीन वर्ग मे शामिल". मूल से 11 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जनवरी 2011.
  3. "सागारिका का सफलतापूर्वक परीक्षण". मूल से 1 अगस्त 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जनवरी 2011.
  4. "भारत के पास पनडुब्बी मिसाइल शक्ति". मूल से 17 जून 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जनवरी 2011.
  5. "के-१५ के लिये मिसाइल लांचर". मूल से 1 अगस्त 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जनवरी 2011.
  6. "भारत नई मिसाइल परीक्षण के लिये तैयार". मूल से 23 अप्रैल 2003 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जनवरी 2011.
  7. "पानी के भीतर मिसाइल लांचर हजीरा मे विकसित". मूल से 11 अक्तूबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जनवरी 2011.
  8. प्रधानमंत्री ने डीआरडीओ को प्रदर्शन के उच्चतम मानकों और हथियार प्रणालियों की डिलीवरी के लिए प्रयास करने को कहा
  9. "भारत कुलीन न्यूक्लियर हड़ताल क्लब में शामिल". मूल से 23 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जनवरी 2011.
  10. "भारत के पास पानी के भीतर मिसाइल लांच करने की क्षमता". मूल से 16 सितंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जनवरी 2011.
  11. भारत ने परमाणु सक्षम प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण किया[मृत कड़ियाँ]
  12. "मंगलवार को सागारिका का परीक्षण". मूल से 7 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जनवरी 2011.