संस्कृत इन इण्डोनेशिया

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चित्र:Sanskrit in Indonesia.jpg

संस्कृत इन इण्डोनेशिया (Sanskrit in Indonesia) डेनमार्क के वैज्ञानिक एवं संस्कृत विद्वान प्रोफ डॉ जन गोण्डा (Jan Gonda) द्वारा १९५२ में रचित एक पुस्तक है। यह पुस्तक नई दिल्ली के अन्तरराष्ट्रीय भारतीय संस्कृति अकादमी द्वारा प्रकाशित की गयी थी। यह पुस्तक १९७३ और १९९८ में पुनर्मुद्रित की गयी।

वर्ण्य विषय[संपादित करें]

यह पुस्तक व्युत्पत्तिशास्त्र तथा इण्डोनेशिया की भाषाओं में संस्कृत से आये शब्दों के ऊपर एक मानक ग्रन्थ है। इस पुस्तक में ६ अध्याय तथा २ परिशिष्ट हैं। प्रथम अध्याय में विषय का परिचय दिया गया है तथा इण्डोनेशिया की भाषाओं में संस्कृत से आये शब्दों के बारे में चर्चा की गयी है। दूसरे अध्याय में संस्कृत तथा भारतीय लिपियों के मलय प्रायद्वीप तथा मेडागास्कर में प्रसार का इतिहास दिया गया है। तृतीय अध्याय में उन क्षेत्रों की चर्चा है जिनमें संस्कृत शब्द अपनाये गये हैं। श्री गोण्डा ने ११ श्रेणियों की चर्चा की है। चौथे अध्याय में संस्कृत शब्दों के इण्डोनेशियायी भाषाओं में परिवर्तित रूपों की चर्चा है। पाँचवें अध्याय में संस्कृत शब्दों में हुए महत्वपूर्ण परिवरतनों की चर्चा है। छठे अध्याय में संस्कृत पर इण्डोनेशियाई भाषाओं के शब्दों के प्रभाव के बारे में है।