श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर

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श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति इन्दौर, हिन्दी के प्रचार, प्रसार और विकास के लिये कार्यरत देश की प्राचीनतम संस्थाओ में से एक है। समिति की स्थापना सन् १९१० में महात्मा गांधी की प्रेरणा से हुई थी। सन १९१८ में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने समिति के इन्दौर स्थित परिसर से ही सबसे पहले हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का आह्वान किया था।[1][2] यहाँ हुए हिन्दी साहित्य सम्मेलन के दौरान ही पूज्य बापू ने अहिन्दी भाषी प्रदेशो में हिन्दी के प्रचार के लिये अपने पुत्र देवदत्त गांधी सहित पाँच लोगो को हिन्दी दूत बनाकर तत्कालीन मद्रास प्रान्त में भेजा था। इसी अधिवेशन में तत्कालीन मद्रास प्रान्त में "हिन्दी प्रचार सभा" की स्थापना का संकल्प लेकर इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु धन संग्रह किया गया था। वर्धा स्थित राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की स्थापना में भी हिन्दी साहित्य समिति की ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। इस तरह देश के अहिन्दी भाषी राज्यो में हिन्दी के प्रचार के पहले प्रयास में श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति की भूमिका अत्यन्त उल्लेखनीय और प्रभावशाली रही है।

सन १९३५ में समिति में पुनः हिन्दी साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता भी गांधीजी ने की। समिति द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका "वीणा" देश की एकमात्र पत्रिका है जो सन १९२७ से निरन्तर प्रकाशित हो रही है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, 'निराला', 'दिनकर', सुमित्रानन्दन पन्त, महादेवी वर्मा, प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, वृन्दावन लाल वर्मा, अमृतलाल नागर तथा माखनलाल चतुर्वेदी सहित देश के लगभग सभी शीर्षस्थ लेखक, कवि, निबन्धकार, कहानीकार और आलोचक नियमित रूप से "वीणा" में लिखते रहे हैं। यही कारण है कि विख्यात कवयित्री महादेवी वर्मा अक्सर ये कहा करती थी कि "हिन्दी भाषा और साहित्य का इतिहास समिति और वीणा के जिक्र के बिना सदैव अपूर्ण रहेगा".

समिति की स्थापना एक पुस्तकालय के रूप में हुई थी। अभी भी समिति का पुस्तकालय मध्यप्रदेश के सबसे सम्रद्ध पुस्तकालयो में से एक है। इसमे लग्भग २५ हजार पुस्तकें संग्रहित है। इस पुस्तकालय का कम्पुटरीकरण कर इसे ई लायब्रेरी के रूप में विकसित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। हिन्दी भाषा और साहित्य में उच्च स्तरीय शोध कार्यो को बढावा देने के उद्देश्य से समिति द्वारा डॉ॰ पी.डी. शर्मा शोध केन्द्र की स्थापना की गई है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त इस केन्द्र से अप्रैल २०१० तक 55 शोधार्थी अपना शोध पूरा कर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं।

संस्कृत के वैज्ञानिक आयामो पर शोध को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से समिति ने संस्कृत शोध संस्थान की स्थापना की है। इस शोध केन्द्र का शुभारम्भ भारत के महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने मध्यप्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिन्ह चौहान, राज्यपाल बलराम जाखड और इन्दौर की सान्सद श्रीमती सुमित्रा महाजन की उपस्थिति में किया था।

समिति के एक विभाग "समसामयिक अध्ययन केन्द्र" द्वारा ज्ञान-विज्ञान, तकनीक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में आ रहे नये बदलावो की जानकारी लोगो तक हिन्दी में पहुचाने का प्रयास किया जाता है। केन्द्र द्वारा आयोजित कार्यक्रमो में अब तक देश के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ॰ सन्दीप बसु और डॉ॰ माशेलकर, न्यायमूर्ति श्री, जे.एस.वर्मा, श्री वी. डी. ज्ञानी और श्री वी.एस.कोगजे, वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जी, वेद प्रताप वैदिक, श्री बी.जी.वर्गीज और श्री राहुल देव सांसद श्री नवीन जिन्दल, पूर्व प्रधानमन्त्री, श्री चन्द्रशेखर, पूर्व उपराष्ट्रपति श्री, क्रष्णकान्त, श्री भैरोसिन्ह शेखावत, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्री सोमनाथ चटर्जी तथा पूर्व उपप्रधानमन्त्री श्री लालक्रष्ण आडवाणी सहित देश के कई गणमान्यजन समिति के कार्यक्रमो में भाग ले चुके है।

वर्तमान सन्दर्भो में समिति, हिन्दी के प्रसार के साथ साथ सभी भारतीय भाषाओ के बीच सम्वाद प्रक्रिया आरम्भ कर भाषायी समन्वयन तथा कम्प्युटर एवम सूचना तकनीक के क्षेत्र में हिन्दी के प्रयोग को बढावा देने की दिशा में काम कर रही है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु समिति ने हिन्दी ब्लागिन्ग के प्रशिक्षण हेतु कई कार्यशालाए आयोजित की है। जिनमे श्री रवि रतलामी और श्री प्रतीक श्रीवास्तव ने हिन्दी में ब्लॉग बनाने की विधा का प्रशिक्षण दिया है। समिति अब राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा आयोजित परीक्षाओं का एक केन्द्र भी है।[3]


समिति के विशिष्ट आयोजन[संपादित करें]

  • देशी रियासतों में हिन्दी के प्रयोग के लिए अभियान, सन्‌ १९१५ में।
  • गांधीजी की अध्यक्षता में हिन्दी साहित्य सम्मलेन का ८वा अधिवेशन, सन १९१८ में
  • हिन्दी साहित्य सम्मेलन का २४ वाँ अधिवेशन, सन्‌ १९३५ में
  • हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना, सन्‌ १९४० में
  • हिन्दी सम्मेलन एवं राष्ट्रभाषा अभियान समिति का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन, सन्‌ १९४८ में
  • आचार्य विनोबा भावे एवं महादेवी वर्मा के मुख्य आतिथ्य में हिन्दी की वैज्ञानिक और तकनीकी पुस्तकों की राष्ट्रीय प्रदर्शनी का आयोजन, सन्‌ १९५८ में।
  • दक्षिण भारतीय प्रचारकों का सम्मान, सन्‌ १९६६ (प्रथम बार)
  • दक्षिण भारतीय प्रचारकों का सम्मान, सन्‌ १९८८ (द्वितीय बार)
  • भैयाजी शम्भूनाथजी चतुर्वेदी स्मृति व्याख्यानमाला - सन्‌ १९९१ से निरन्तर
  • सामयिक विषयों पर हिन्दी में जागरूकता विकसित करने के लिए समिति ने "समसामयिक अध्ययन केंद्र "की स्थापना की। इस केंद्र ने वर्ष २००२ में मध्यप्रदेश की स्वयंसेवी संस्थाओं का एक विशाल सम्मेलन आयोजित किया। इसके अलावा निम्न लिखित महत्वपूर्ण कार्यक्रम किये - केन्द्रीय बजट पर संगोष्ठी , कॉपीराइट एक्ट पर कार्यक्रम , बाल नाट्‌य शिविर का आयोजन , आम आदमी और राष्ट्रध्वज
  • वीणा अमृतोत्सव वर्ष समारोह, हैदराबाद, वर्ष २००३
  • राष्ट्रीय पुस्तक मेले का आयोजन – नेशनल बुक ट्रस्ट, इण्डिया एवम समिति द्वारा संयुक्त रूप से इन्दौर में तीन वर्ष तक लगातार राष्ट्रीय पुस्तक मेले का आयोजन, सन 2009,2010एवं फिर 2011 में.इन पुस्तक मेलों में देश के लगभग सभी विख्यात प्रकाशकों ने भाग लिया।
  • समिति की स्थापना के शताब्दी समारोह के तहत वर्ष २०११ एवं वर्ष २०१२ में मध्यप्रदेश के साहित्यकारों एवं रचनाकारों पर केंद्रित विशिष्ट कैलेण्डर का प्रकाशन एवं देश के कई शहरों में निःशुल्क वितरण।
  • जुलाई २०११ में समिति के शताब्दी समारोह में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में हिन्दी विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा की।

सन्दर्भ[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

साँचा:हिन्दी सेवी संस्थाएँ