शीतला सहाय

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शीतला सहाय (1932- 2011) भारत के मध्य प्रदेश के एक राजनेता थे। वे मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री भी रहे।

जन्म एवं शिक्षण[संपादित करें]

शीतला सहाय का जन्म ८ अप्रैल १९३० को रामनवमी के दिन मध्यप्रदेश के विदिशा जिले की गंजबासोदा तहसील में हुआ। आपको प्रारंभिक शिक्षा गंजबासोदा, म्याना एवं गुना में ग्रहण की तथा इसके पश्चात् विदिशा से उच्चतर माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण की। श्री सहाय ने वर्ष १९५३ में ग्वालियर के तत्कालीन विक्टोरिया कॉलेज से कॉमर्स विषय में १९५५ में विधि में स्नातक उपाधि तथा वर्ष १९५७ में विक्टोरिया कॉलेज ग्वालियर से ही अर्थशास्त्र में स्नाकोत्तर उपाधि ग्रहण की।

राष्ट्र सेवा के लिए सम्पर्ण[संपादित करें]

सहाय की प्रारंभ से ही राष्ट्रीय चेतना के कार्यों में रुचि रही थी। आपने १२ वर्ष की उम्र में १९४२ के भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। अनुशासनात्मक जीवन में विश्वास रखने के कारण आप राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संपर्क में आये, संघ पर प्रतिबंध लगने के समय आपने सत्याग्रह में भाग लिया तथा ६ माह जेल में रहे।

जन्म प्रतिनिधित्व[संपादित करें]

शीतला सहाय की राजनैतिक आभा का सूरज ग्वालियर के क्षितिज पर उनके विघार्थी काल से ही चमकने लगा था, आप वर्ष १९५४ में विक्टोरिया कॉलेज संघ के महामंत्री एवं १९५६-५७ में दो बार अध्यक्ष रहे, इसी दौरान आप मध्य भारत हिन्दी साहित्य सभा के महामंत्री निवार्चित हुए, वकालत के समय अत्तेव सफल श्री सहाय १९६७ में प्रथम बार लश्कर से विधायक निर्वाचित हुए, इस दौरान आप प्रदेश विधानसभा की लोक लेखा समिति के सदस्य मनोनीत किये गए तथा विपक्ष के उप नेता चुने गए। श्री सहाय १९७२ में तीसरी बार पुनः दूसरी बार विधायक निर्वाचित होने पर आपने १९७७ से १९८० तक प्रदेश मंत्रीमंडल में स्वस्थ्य, आवास, जन संपर्क एवं गृह निर्माण मंत्री के रूप में प्रदेश वासियों की सेवा की। आप १९८० में चोथीबार विधायक निर्वाचित हुए तथा इस दौरान प्रदेश विधान सभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष मनोनीत किये गए। १९९० में पांचवी बार विधायक चुने जाने पर श्री शीतला सहाय १९९० से १९९२ तक प्रदेश मंत्री मंडल में गृह, परिवहन, जेल, सिंचाई, नर्मदा घाटी विकास एवं आयटक जैसे महत्वपूर्ण विभागों में कैबिनेट मंत्री रहे।

विकास कार्यों में योगदान[संपादित करें]

पूर्व मंत्री श्री शीतला सहाय ने अपने राजनैतिक सफर के प्रारंभिक काल से ही ग्वालियर के विकास में योगदान दिया है। वर्ष १९६७ में प्रथम बार मध्य प्रदेश विधान सभा के विधायक चुने जाने के पश्चात् श्री शीतला सहाय ने ग्वालियर के निवासियों के लिए पीने के पानी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने की द्रष्टि सी प्रयास प्रारंभ किया। आपने रूपये १.७९ लाख की योजना स्वीकृत कराई जिसके अंतर्गत नयी लाइने डालना, पुरानी जीर्ण शीर्ण पाईप लाइनें बदलना तथा भंडारन हेतु टंकियों का निर्माण करना सम्मिलित है। वर्ष १९६८ में भयंकर सूखे के समय श्री सहाय ने ७८ नलकूप खुदवाये जिनके कारण नगर का जलाभाव दूर हुआ, इसके अलावा तिघरा जवसंयत्र से मोतीझील तक ४८’’ व्यास की दो पाइप लाइने डालने की महती कार्य योजना को पूरा किया | मोतीझील जल शोधन संयत्र पर दो अतिरिक्त पम्प लगवाकर श्री सहाय ने जल प्रदाय में होने वाली अवरोधों को दूर किया | तिघरा से अतिरिक्त जल उपलब्ध हो इसके लिए पहसारी जलाशय बनवाया | ककेटो, पहसारी तथा तिघरा को जोड़कर जलभाव समाप्त किया | अपर ककेटो की योजना बनवाई जिससे ग्वालियर कितना भी बड़ा नगर बन जाए, जलाभाव नहीं होगा | तिघरा से मोतीझील पानी खुली नगर से आता था | इस दूषित व्यवस्था के स्थान पर ४८’’ इंच की दो पाइप लाइने डलवाई जिससे पानी तिघरा से मोतीझील आते हुए दूषित न हो। यह श्री शीतला सहाय की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इन नगर को राष्ट्रीय राजधानी परियोजना में जुडवाना श्री सहाय की दें है। इस योजना के तहत नया नगर बसेगा | ग्वालियर काउंटर मेग्नेट सिटी के रूप में विकसित होगा। भारत सरकार के अनेक कार्यालय वहाँ आएंगे और रोजगार के साधन बढ़ेगे | जिले के किसानो को सुविधा मिलने की दृष्टी से श्री सहाय ने जन्खोदा बांध, डूबा-दुबई बांध आदि स्वीकृत करके उनके निर्माण पूरे करवाये | आपने नहरों के जाल बिछाने में और पुरानी नहरों के सुद्रणीकरण में अमूल्य योगदान दिया सिंध परियोजनाएं श्री शीतला सहाय की देन है। जो ग्वालियर संभाग के अधिकांश जिलों को पंजाब बनाने में मददगार होगी। सांक स्वर्ण रेखा परियोजना शीतला सहाय की सूझ बूझ का परिणाम है इस योजना के पूरा होने पर ग्वालियर नगर में स्वर्ण रेखा में शुद्ध-जल प्रवाह होगा और श्री नगर में झेलम अथवा लन्दन में टेम्ज नदी जैसी सुविधा ग्वालियर को प्राप्त होगी। श्री सहाय ने इस नदी को साफ़ करने की योजना दुसरी बार केवल बनाई थी बल्कि उस पर काम भी करना प्रारंभ हो गया था। आज भारत शासन की मदद से यह योजना कार्यान्वित हो रही है। श्री सहाय ने तीन पुल, आंग्रे की गोठ, भूमिया बाबा तारागंज और और शांति नगर के पास वार्ड ३३ को ३४ से जोड़ने हेतु बनवायें | ग्वालियर नगर सुव्यवस्थित जल मल नालियों से युक्त नगर था लेकिन आबादी बढ़ने के कारण व्यवस्था चरमरा गई, वर्षों के प्रयास के बाद उन्होंने सीवर लाइन की योजना मंजूर कराई और यह योजना भारत सरकार की मदद से तेजी से चल रही है। आगरा-मुंबई रोड का शहर के मध्य से गुजरना मौत को बुलाना सिद्ध हुआ, श्री सहाय ने बाई पास योजना बनके स्वीकृत कराई जो अनेक बाधाओं के कारण रुकी पड़ी है। जबकि भारत सरकार ने इस योजना को भी पूरा करने के लिए मदद देना भी प्रारंभ कर दिया है। श्री सहाय के द्वारा किये जा रहे विकास कार्यों का सिलसिला आगे भी जल्री रहा उन्होंने मोतीझील से तिघरा तक सड़क मार्ग बनवा कर आवागमन में होने वाली असुविधाओं को दूर किया। श्री सहाय ने वर्ष १९७७ से १९८० तक प्रदेश मंत्री मंडल में स्वास्थ्य, आवास एवं जन संपर्क मंत्री के रूप में शामिल होकर ग्वालियर जिलें में १२ नई सिंचाई परियोजनाएं प्रारंभ की इनमे सिंह परियोजना उल्लेखनीय है। श्री शीतला सहाय द्वारा वर्ष १९७८ में ग्वालियर विमान पत्तन का विघुत्तीकरण कराकर ग्वालियर में वायुमार्ग से यातायात का मार्ग प्रशस्त किया। ग्वालियर की यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए श्री शीतला सहाय ने मान. सिकंदर बख्त साहब की सांसद निधि से शहर में जिंसी अंडर ब्रिज, रॉकसी पुल, हुजरात पुल के लिए राशि उपलब्ध कराई जिससे जिंसी अंडर ब्रिज का निर्माण पूर्ण हो गया है। श्री शीतला सहाय ने लश्कर पश्चिम के लिए विशेष बिजली योजना क्रियान्वित की। इसके अतिरिक्त सिन्धी कॉलोनी में उच्चतर माध्यमिक विघालय का भवन, वार्ड ४८ में माध्यमिक विघालय का भवन निर्माण कराया | ग्रामीण क्षेत्रों के सर्वागीण विकास में श्री शीतला सहाय का उल्लेखनीय योगदान रहा है। आपने ग्रामीण क्षेत्र गिर्द, मुरार, डाबरा, करेरा में खेरिया, कुलेथ एवं वार्ड ४८ में सामुदायिक भवन का निर्माण, दतिया एवं ग्वालियर में दो कालीन बनाने के प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना की, ग्वालियर में अतिवृष्टि के दौरान बाढ़ की समस्या से निजत दिलाने के लिए श्री सहाय द्वारा हिम्मद्गढ़ तलब की सिंचाई क्षमता बढाने के साथ-साथ नूनपिकअप वियर परियोजना प्रारंभ कराई गयी। श्री सहाय का ग्वालियर में ए.जी. ऑफिस के भवन निर्माण एवं दूरदर्शन केंद्र स्थापित करने में अमूल्य योगदान रहा है।

संगीत एवं कला के क्षेत्र में योगदान[संपादित करें]

आपने प्रदेश में संगीत विघालयों को उन्नत कर महाविघालय का स्टार प्रदान करने के साथ-साथ संगीत शाला शिक्षकों को विश्व विघालय अनुदान आयोग का ग्रेड दिलाने में उल्लेखनीय योगदान दिया। ग्वालियर घराने के प्रख्यात संगीतज्ञ उस्ताद हस्सू खां, हद्दु खां की स्मृति को चिरस्थाई बनाने के लिए श्री सहा ने अमूल्य योगदान देते हुए हस्सू खां, हद्दु खां समाधि स्थल पर भव्य सभागार निर्माण के लिए श्री सिकंदर बख्त साहब की संसद निधि से धन उपलब्ध कराकर निर्माण कार्य प्रारंभ किया।

स्वास्थ सेवाओं का विकास एवं कैंसर चिकित्सालय की स्थापना[संपादित करें]

श्री सहाय ने अपने मंत्रीत्व काल में संभाग के सबसे बड़े चिकत्सालय कमलाराजा महिला चिकत्सालय का विस्तार एवं आधुनिकीकरण कराकर ग्वालियर वासियों को स्वस्थ्य के लिए एक बड़ा संबल प्रदान किया। इसी दौरान आपने चिकित्सा महाविघालय के लिए डॉ॰ भगवत सहाय स्मृति सभागार का निर्माण प्रारंभ कराया | श्री सहाय ने संसद प्रतिनिधि के रूप में श्री सिकंदर बख्त साहब ने सांसद निधि से ग्वालियर जिले में ५९ नल कूपों का खनन कराया, ६४ गलियों में सीमेंट कंक्रीट का कार्य संपन्न हुआ, ५ डब्लू. वी. एम्. सड़के बनाई गयीं। इसके अतिरिक्त मिनी स्टेडियम, मनोरंजन भवन, बिरला नगर पार्क, सीमा दीवार, यात्री प्रतीक्षालय आदि निर्माण कार्य संपन्न कराये | श्री सहाय की रचनात्मक कार्यों में रूचि एवं पीड़ित मानवता का जज़्बा होने के कारण आपने १९७१ में ग्वालियर में कैंसर चिकित्सालय एवं शोध संसथान की स्थापना के लिए जन विकास नियास गठन किये। श्री सहाय के अथक प्रयासों से कैंसर चिकित्सालय एवं शोध संसथान को भारत शासन के क्षेत्रीय कैंसर उपचार एवं अनुसन्धान केन्द्र के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। आज ये संस्थान मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान के रोगियों को कैंसर उपचार प्रदान कर रहा है। प्रदेश के विकास में श्री शीतला सहाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आपने प्रदेश से सभी जिलों में २०० बिस्तरों के जिला अस्पताल तथा हर जिला केन्द्र पर रेडियों डायग्नोसिस विशेषज्ञ नियुक्त किये। श्री सहाय द्वारा इंदौर में चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय प्रारंभ कराया गया। आपके द्वारा प्रदेश के हर जिले में स्वास्थ संबंधी समेकितविकास के लिए डेनीडा परियोजना क्रियान्वित की श्री सहाय ने गुना में जिला चिकित्सालय एवं आवास ग्रहों का निर्माण कार्य करवाया | आपने सीहोर कोलार तथा जबलपुर में बर्गी बांध का कार्य पूरा करा कर बिजली उत्पादन शुरू कराया | श्री सहाय को १९७७ से ८० के बीच में मंत्री परिषद् के सदस्य होने का सोभाग्य मिला था इस कार्य काल में उन्होंने न्यूरो सर्जरी का भवन पूरा करवाया | पैथोलॉजी विंग का निर्माण कराया, मारचुरी व स्टैण्ड आदि के निर्माण के साथ भगवत सहाय सभागार की कमी पूरी हो। नगर भी इस दृष्टी से सुविधा युक्त हुआ। इस दौरान श्री सहाय ने ओषधालयों का सुद्रणीकरण कराया लगभग एक दर्जन अस्पताल प्रारंभ किये जिससे नगर के कौने-कौने में स्वास्थ्य सुविधाएँ बढ़ी, जयारोग्य अस्पताल का एक बहुमंजिला भवन भी उन्होंने अपने मंत्रित्वकाल स्वीकृत किया दुर्भाग्य हैं कि उनके मंत्री पद से हट जाने के कारण इस चिकित्सालय का निर्माण नहीं हो पाया | आपने लश्कर पश्चिम में विघुत और पेयजल की व्यवस्था कराई, नयी सड़के, टकसाल और सिंधी कॉलोनी में हाई स्कूल के लिए भवन, गोल पहाड़ियों आदि स्थान पर मिडिल स्कूल का भवन एवं प्राइमरी स्कूल प्रारंभ कराये |

शिक्षा के क्षेत्र में योगदान[संपादित करें]

सहाय का ग्वालियर के शिक्षा के क्षेत्र में भी योगदान रहा है आपने ५ विघालय तीन, उच्चतर माध्यमिक विघालय स्थापित किये तथा डॉ॰ भगवत सहाय महाविघालय की स्थापना में बहुमूल्य योगदान दिया। इसके अतिरिक्त आपने स्नाकोत्तर नर्सिंग महाविघालय तथा कॉलेज ऑफ लाइफ साइंसेज की स्थापना करके ग्वालियर के शिक्षा जगत को नए आयाम प्रदान किये हैं। श्री सहाय के अथक प्रयासों से प्रदेश में सर्वप्रथम नर्सिंग महाविघालय में स्नाकोत्तर कक्षाएं प्रारंभ की गई। नर्सिंग महाविघालय प्रदेश के साथ साथ उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान का एक मात्र नर्सिंग महाविघालय है जहाँ नर्सिंग में स्नाकोत्तर शिक्षण की सुविधा उपलब्ध है। श्री सहाय का कला के क्षेत्र में अमूल्य योगदान रहा है, आप मध्य प्रदेश कला परिषद् के तीन बार उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं।

विदेश यात्राएं[संपादित करें]

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी श्री शीतला सहाय ने स्वास्थ्य, शिक्षा के विकास के लिए विश्व के अनेक देशों की यात्राएं की है, जिनमे इंडोनेशिया, थाईलैंड, हांगकांग प्रमुख हैं।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]