वेल्‍लयानी झील

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वेल्‍लयानी झील केरल की वर्षापोषित ताजे जल वाली तीन झीलों में से एक है, जिसे 'वेल्‍लयानी कायल' के नाम से भी पुकारा जाता है। यह रमणीय झील चारों तरफ हरियाली से घिरी है और तिरूवनंतपुरम शहर से लगभग नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वेल्‍लयानी झील विभिन्‍न प्रकार के पेड़ पौधों और पशुओं का आवास है और जैव विविधता इस झील के आस-पास के लोगों की आजीविका में मदद करती है। प्रवासी पक्षियों समेत आर्द्र भूमि की लगभग सौ प्रजाति के पक्षी इस झील पर आते रहते हैं।

वेल्‍लयानी झील

उत्पत्ति कथा[संपादित करें]

इस झील की उत्‍पत्ति के संबंध में एक स्‍थानीय कहानी मशहूर है कि एक संत इस स्‍थान पर एक बरगद के पेड़ के नीचे ध्‍यान लगाया करते थे। एक दिन उनके पास एक भिखारी आया और उनसे पीने के लिए थोड़ा पानी मांगा। संत ने देखा कि उनका घड़ा लगभग खाली था, उन्‍होंने घड़े में बची कुछ बूंदों को अपनी हथेली पर डाला और प्रार्थना करते हुए पानी की बूंदों को दूर तक फेंक दिया। जमीन के जिस हिस्‍से तक बूंदों ने धरती को छुआ था, वहां एक बड़ी झील बन गई। इस झील के तट पर विष्‍णु और देवी को समर्पित दो मंदिर स्थित हैं। ऐसा माना जाता है कि 1953 तक इस झील का प्रयोग सिर्फ विख्‍यात श्री पद्मनाभस्‍वामी मंदिर की पूजा में प्रयुक्‍त होने वाले कमल पुष्‍पों की सिंचाई के लिए ही किया जाता था। लेकिन बाद में इस झील के पानी का प्रयोग पेयजल के रूप में और सिंचाई के लिए भी बड़े पैमाने पर होने लगा।

ताजे जलयुक्‍त वेल्‍लयानी झील कल्लियूर, वेंगनूर, विझिंझम ग्राम पंचायतों के लोगों के लिए पेयजल का एक प्रमुख स्रोत है। लेकिन धान की खेती शुरू होने के कारण झील के पानी की गुणवत्‍ता में ह्रास हुआ है और जल प्रसार क्षेत्र में भी काफी कमी आई है। 1926 में इस झील का क्षेत्रफल 750 हेक्‍टेयर था जो 2005 में घटकर 397.5 हेक्‍टेयर हो गया। परिणामस्‍वरूप इस झील के आस-पास स्थित गांवों को पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। 1950 के दशक के दौरान इस झील के पानी को रोककर चावल की खेती की एक परियोजना शुरू की गई थी, जिसके परिणामस्‍वरूप झील क्षेत्र के आसपास बड़े पैमाने पर कृषि अभियान शुरू हुए और झील के क्षेत्रफल में कमी आई।

अध्‍ययन और अनुशंसाएं[संपादित करें]

केरल विधानसभा की पर्यावरण समिति ने ताजे जल वाली झीलों से जुड़े पर्यावरण संबंधी मुद्दों का अध्‍ययन किया और 1993 में एक रिपोर्ट सौंपी। इस समिति ने अनुशंसा की थी कि राज्‍य सरकार को इस झील के हड़पे गए हिस्‍से की पहचान करके सीमांकन करना चाहिए और अवैध कब्‍जा करने वालों को हटाने, झील के पानी को प्रदूषण से बचाने, झील के तल से जमी गंदगी को हटाकर उसकी गहराई बढ़ाने और झील में गाद के और जमाव को रोकने के लिए कदम उठाया जाना चाहिए।

कृषि महाविद्यालय, वेल्‍लयानी द्वारा किए गए एक अध्‍ययन की रिपोर्ट ने यह चेतावनी दी है कि खेती के लिए वेल्‍लयानी झील के जल को खत्‍म करने से इस जलाशय के लिए खतरा पैदा हो जाएगा और पड़ोसी पंचायतों को सेवा प्रदान करने वाली कई पेयजल परियोजनाओं के लिए संकट उत्‍पन्‍न हो जाएगा। 2005 में केरल राज्‍य मानव अधिकार आयोग अध्‍ययन रिपोर्ट ने इस जलाशय क्षेत्र का सीमांकन करने और हड़पे गए हिस्‍सों की पहचान करने के लिए एक राजस्‍व सर्वेक्षण कराने की सिफारिश की थी। वर्ष 2006 में केरल राज्‍य मानव अधिकार आयोग ने राज्‍य सरकार को वेल्‍लयानी झील से सटी जमीन पर धान की खेती से संबंधित आदेश को वापस लेने का निर्देश दिया था। इस आयोग ने राज्‍य सरकार को पेयजल के एक स्रोत के रूप में इस झील के संरक्षण के लिए कदम उठाने हेतु केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के साथ मिलकर कार्य करने का भी निर्देश दिया है।

संरक्षण के पहल[संपादित करें]

वेल्‍लयानी झील के संरक्षण के लिए लोगों की मांग तब शुरू हुई जब 1990 के दशक के दौरान वेल्‍लयानी के आस पास के गांव में पानी की कमी बढ़ गई। स्‍थानीय लोगों की मदद से कई गैर-सरकारी संगठनों द्वारा ताजे जल वाली वेल्‍लयानी झील और उसके पारितंत्र को सुरक्षित करने के लिए कई भागीदारी अभियान चलाए जा रहे हैं। इस अनोखे पारितंत्र के महत्‍व को समझते हुए राज्‍य सरकार ने वेल्‍लयानी झील संरक्षण समाज की स्‍थापना करके राज्‍य सरकार ने इस झील के पारितंत्र संबंधी सुरक्षा और सौंदर्यीकरण के लिए कदम उठाए हैं।

त्रिवेंद्रम जिला पंचायत ने वेल्‍लयानी झील के पारितंत्र की सुरक्षा के लिए इस झील को महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम में शामिल करने की पहल की है। इस परियोजना के अंग के रूप में यह पंचायत बांधों को मजबूत बनाने और दलदल की सफाई इत्‍यादि के लिए कदम उठा रहा है। इस पंचायत में बांधों को मजबूत बनाने के लिए सीमेंट और पत्‍थर की जगह पर नारियल रेशा निगम की जियो टेक्‍सटाइल टेक्‍नोलॉजी का प्रयोग करने का फैसला किया है। कल्लियूर और वेंगनूर गांवों की पंचायतें इस परियोजना के क्रियान्‍वयन के लिए जिम्‍मेदार हैं। तिरूवनंपुरम जिले के इस एक मात्र वर्षा पोषित ताजे जल की झील के लिए संरक्षण परियोजना को विभिन्‍न चरणों में लागू किया जाएगा।

वेल्‍लयानी झील एक अनोखा पारितंत्र प्रस्‍तुत करती है और इस झील के अनोखे पारितंत्र को सुरक्षित रखने और इस झील के पानी पर निर्भर गांव के लिए पर्याप्‍त पेयजल की उपलब्‍धता को सुनिश्चित करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति की आवश्‍यकता है।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]